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गौशाला में बंद 12 साल का दलित लड़का, फिर मिली मौत की खबर... पार्टियों की चुप्पी पर उठे बड़े सवाल!

शिमला: रोहड़ू के लिम्बारा गांव में एक 12 वर्षीय दलित किशोर के साथ हुई जातीय उत्पीड़न की दर्दनाक घटना पूरे क्षेत्र में आग की तरह फैला दी है। किशोर को कथित तौर पर एक गौशाला में बंद कर दिया गया था, जिसके बाद उसने जहर खाकर अपनी जान दे दी। इस गंभीर मामले पर दलित शोषण मुक्ति मंच ने कड़ी आपत्ति जताते हुए दोषियों के खिलाफ तत्काल और सख्त कार्रवाई की मांग की है।

दलित शोषण मुक्ति मंच ने इस घटना की पुरजोर निंदा करते हुए कहा कि आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (SC/ST Act) के तहत कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए।

मंच ने पीड़ित परिवार की सुरक्षा पर भी चिंता जताई है। उन्होंने मांग की है कि पीड़ित परिवार को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए और उन्हें पूरी सुरक्षा प्रदान की जाए, ताकि उन पर मामला वापस लेने का कोई दबाव न बनाया जा सके या सबूतों के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ को रोका जा सके।

मंच ने सरकार के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि एससी/एसटी एक्ट को प्रभावी ढंग से लागू करने में सरकार की इच्छाशक्ति की कमी के कारण ही प्रदेश में जाति-आधारित अत्याचार की घटनाओं में वृद्धि हो रही है।

इस पूरे मामले पर कांग्रेस और भाजपा जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों की चुप्पी पर भी मंच ने गहरी निराशा व्यक्त की है। मंच का मानना है कि ये दल सामाजिक न्याय के बजाय वोट बैंक की राजनीति को अधिक महत्व देते हैं। जातीय अत्याचारों को रोकने के लिए एक ठोस उपाय सुझाते हुए मंच ने कहा कि जैसे धूम्रपान के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, ठीक उसी तर्ज पर एससी/एसटी एक्ट के प्रावधानों के बारे में भी व्यापक अभियान चलाने की जरूरत है।

दलित शोषण मुक्ति मंच के राज्य संयोजक, जगत राम ने कहा, "यह समय की मांग है कि दलितों के अधिकारों की रक्षा की जाए और उनके शोषण को रोका जाए। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जाति के आधार पर अत्याचार करने वालों को न्याय के कटघरे में लाया जाए।"

उन्होंने यह भी घोषणा की कि मंच बढ़ती जातीय घटनाओं के खिलाफ और संविधान के सम्मान को बनाए रखने के लिए एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा करेगा।

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