+

MP में सोयाबीन किसानों की मुश्किलें बढ़ीं: भावांतर योजना पर भरोसा नहीं, प्रदेश स्तरीय आंदोलन की तैयारी!

भोपाल। मध्य प्रदेश के किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रदेश सरकार भावांतर योजना को निरस्त कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी सुनिश्चित नहीं करती, तो प्रदेशभर के किसान राजधानी भोपाल में बड़ा आंदोलन करेंगे। इस आंदोलन की पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी। यह चेतावनी भारतीय किसान संघ (BKS) के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने सोमवार को उज्जैन में मीडिया से बातचीत के दौरान दी।

आंजना ने कहा कि मध्यप्रदेश देश का सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक राज्य है, लेकिन इस बार मौसम की मार और बाजार में दाम घटने से किसान बेहद कठिनाई में हैं। उन्होंने बताया कि सोमवार को भारतीय किसान संघ की प्रदेश बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें तीनों प्रांत, मालवा, मध्यभारत और महाकौशल के पदाधिकारी शामिल हुए। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि किसान अब भावांतर योजना के तहत खरीदी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।

MSP पर खरीदी की मांग

किसान संघ का कहना है कि राज्य सरकार को तत्काल केंद्र सरकार को आग्रह पत्र भेजकर सोयाबीन खरीदी का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए और MSP पर खरीदी की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। साथ ही पंजीयन प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ हो, ताकि किसानों को आश्वासन के बजाय वास्तविक राहत मिले।

प्रदेश अध्यक्ष आंजना ने कहा, "किसानों का स्पष्ट मत है कि भावांतर योजना पर अब कोई भरोसा नहीं बचा है। पूर्व में भावांतर के नाम पर किसानों से छलावा हुआ। आज भी 2018 के भावांतर की राशि किसानों को नहीं मिल सकी है। ऐसे में किसान इस योजना पर दोबारा भरोसा कैसे करें?"

भावांतर योजना पर अविश्वास क्यों?

भावांतर योजना राज्य सरकार द्वारा किसानों को बाजार भाव और MSP के बीच के अंतर की भरपाई करने के लिए चलाई गई थी। लेकिन किसानों का कहना है कि यह योजना व्यवहार में कारगर साबित नहीं हुई। कई किसानों को समय पर भुगतान नहीं मिला, और जिन किसानों को मिला भी, वह राशि पर्याप्त नहीं थी।

2018 में घोषित भावांतर की राशि अभी तक हजारों किसानों को नहीं मिली है। इस वजह से किसान संघ का मानना है कि इस योजना से किसानों की स्थिति सुधरने के बजाय और खराब हुई है।

बैठक में हुआ मंथन

सोमवार को हुई बैठक में प्रदेशभर के किसानों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बैठक में क्षेत्र संगठन मंत्री महेश चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना, महामंत्री चंद्रकांत गौर, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेन्द्र सिंह पटेल, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य राजेंद्र पालीवाल, मालवा प्रांत संगठन मंत्री अतुल माहेश्वरी, प्रांत महामंत्री रमेश दांगी और प्रांत मंत्री भारत सिंह बैंस प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

बैठक में किसानों के सुझाव सुने गए और भविष्य की रणनीति पर चर्चा हुई। इसमें यह साफ हुआ कि किसान अब सरकार की ओर से किसी भी प्रकार की “भावांतर योजना” को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।

आंदोलन की चेतावनी

बैठक के बाद किसान संघ ने ऐलान किया कि यदि सरकार MSP पर खरीदी की घोषणा और पंजीयन प्रक्रिया शुरू नहीं करती है, तो पूरे प्रदेश के किसान राजधानी भोपाल में एकजुट होकर बड़ा आंदोलन करेंगे।

किसान संघ नेताओं ने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि यदि आंदोलन की नौबत आती है तो इसका खामियाजा सरकार को भुगतना होगा, क्योंकि किसान अब और इंतजार करने के मूड में नहीं हैं।

भारतीय किसान संघ के प्रांत संगठन मंत्री राहुल धूत ने ‘द मूकनायक’ से बातचीत में कहा कि सरकार किसानों की वास्तविक समस्याओं से आंखें मूंदे बैठी है। उन्होंने बताया किया कि भावांतर योजना से किसानों को राहत नहीं मिली, बल्कि उनके साथ छल हुआ है। धूत ने कहा कि किसान अब सीधे MSP पर खरीदी की मांग कर रहे हैं, और यदि सरकार ने इस पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया तो मजबूरन प्रदेशभर के किसान आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।

सोयाबीन किसानों की समस्या

  • मध्यप्रदेश में करीब 60 लाख हेक्टेयर भूमि पर सोयाबीन की खेती होती है।

  • इस बार बारिश की अनियमितता और बीमारियों की वजह से पैदावार प्रभावित हुई है।

  • बाजार में सोयाबीन का भाव MSP से काफी नीचे चल रहा है।

  • किसानों का कहना है कि यदि MSP पर खरीदी नहीं हुई तो उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।

सोयाबीन किसानों की नाराज़गी लगातार बढ़ती जा रही है। उनका कहना है कि अब वादों और योजनाओं से काम नहीं चलेगा, उन्हें MSP पर खरीदी की गारंटी चाहिए। किसानों की यह आवाज़ यदि सरकार ने समय रहते नहीं सुनी, तो आने वाले दिनों में भोपाल बड़ा किसान आंदोलन का केंद्र बन सकता है।

Trending :
facebook twitter