जिस विद्वान ने भारतीय स्त्री की आजादी के पहले ग्रन्थ का निर्माण किया उसे नमन नहीं करेंगे तो और क्या करेंगे?

11:21 AM Dec 19, 2024 | Dr. Lata Pratibha Madhukar

मैं उसे मेरा वंदन करती हूं जिसने पहली बार सब शूद्र (सब जाति की महिलाएं भी मनुस्मृति के अनुसार शूद्र हैं) और अतिशुद्र लोगों को मानवीय अधिकार लिखित रूप से दिए, और वे हैं डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर.

हर बच्चा, बच्ची पढ़ लिख सकती हैं नारे देकर नहीं, संविधान के कारण. यहां हर भाषा बोलने वाला व्यक्ति, हर लिंगभाव, हर तरह का काम-धंधा करने वाला, हर क्षेत्र का व्यक्ति, हर धर्म, पंथ और जाति का व्यक्ति, हर तरह की बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति या हर प्रदेश की घुमंतू, या आदिवासी व्यक्ति को अधिकार केवल संविधान के कारण मिले हैं।

मुझे ये आजादी, न्याय, समानता, विविध लोगों से बंधुत्व रखने की और हर एक को अपने भगवान को पूजने की धर्म निरपेक्षता या नास्तिक होने का भी अधिकार संविधान ने दिया हैं। मैं इसलिए संविधान के शिल्पकार की आभारी हूं।

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एक भारतीय स्त्री की आजादी का पहला ग्रन्थ निर्माण करने वाले इतने बड़े पंडित, विद्वान को लोग नमन नहीं करेंगे तो और क्या करेंगे?

अमित शाह आप को कितना पता हैं संविधान? एक प्रस्ताविका तो बिना देखे सुनाइए। आप के कौन से भगवान ने आज तक सब को एक समान अधिकार दिए थे बताइए?

आपने जो आज हरकत की है, वो बहुत भारी पड़ेगी आप को। इस देश की 70 प्रतिशत जनता अब रास्ते पर आएगी।

अब देखना आपका हिंदू सनातनी धर्म का ईश्वर आपकी बिना पुलिस, बिना मिलिट्री, बिना सुरक्षा दल कैसे सुरक्षा करता है.

आपको संविधान और लोकतंत्र की शक्ति पता नहीं है। आपके भगवान खुद को बारिश में बचा नहीं पाए, मंदिर में जब पानी गिर रहा था। वे भी सोचते होंगे कि मैं कोर्ट में केस करूं क्या इस सरकार के ऊपर भ्रष्टाचार की? आखिर मुझे भी संविधान की ही शरण जाना पड़ेगा।

अब आपको ,आपके भगवान भी कैसे बचायेंगे, जबकि उनके मंदिर का करोड़ो रूपये का सोना आपने लूट लिया और पीतल चढ़ा दिया।

हमें पता हैं कि ऐसे भगवान ने हमारी कभी रक्षा नहीं की. हमें सती चढ़ाया, अग्नि परीक्षा देने को बाध्य किया, हमारी आबरू लूटने वालों को सिंहासन दिया. लेकिन पूरे विश्व में केवल एक मिसाल हैं बाबासाहेब. जिन्होंने हम महिलाओं के अधिकार के लिए अपना कैबिनेट मंत्री पद का इस्तीफा दिया. अरे सगे भाई अपनी बहनों का हिस्सा नहीं देते, तब केवल ये एक भाई - एक बाप है हम सब महिलाओं का, जिसने हमें हमारे हक मांगने के लिए कानून दिया।

अब आप बोलते हो कि रक्षा करने वाले भगवान होते हैं तो फिर मेरे जैसी सारी महिलाओं के हक के लिए अपना मंत्री पद छोड़ने वाले बाबा साहब मेरे खुद के लिए कितने बड़े हैं..?

मणिपुर और शाहीन बाग की महिलाएं, इस देश के रोहित वेमुल्ला, क्यों नहीं लेंगे बाबासाहेब की तस्वीर अपने हाथों में? और क्यों नहीं लगाएंगे दिल से संविधान? क्योंकि आपके पक्ष, आप की विचारधारा और आप के झूठी राजनीति ने अब सारी हदें पार कर ली है.

फिर भी हम बुद्ध के दिखाए शांति, अहिंसा, करुणा, विवेक और प्रज्ञा के आधार पर ही अपने बाबासाहेब के सम्मान की लड़ाई लड़ेंगे।

इस देश का वे सारे नागरिक जो इस देश में लोकतंत्र और संविधान बचाना चाहते हैं वो सब अब जयभीम के नारे देते हुए आप को सुनाई देंगे।

जय भीम!!!

लेखिका- डॉ. लता प्रतिभा मधुकर, हैदराबाद में, शोधकर्ता, कार्यकर्ता, बहुजन नारीवादी समालोचना, पीएच.डी.टीआईएसएस हैं.

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