देश के गृहमंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि “इस देश में अंग्रेजी बोलने वालों को शर्म आएगी ऐसे समाज का निर्माण अब दूर नहीं है। हमारे देश की भाषाएं हमारी संस्कृति का गहना है, हमारे देश की भाषाओं के बिना हम भारतीय ही नहीं रहते। हमारा देश, उसका इतिहास, उसकी संस्कृति को विदेशी भाषा से नहीं समझ सकते।”
गृहमंत्री जी को खुद को, उनके पुत्र को और देश प्रधानमंत्री जी को अंग्रेजी भाषा नहीं आती, तो क्या अंग्रेजी बोलने वालों को शर्म आनी चाहिए? क्या आप ऐसे समाज का निर्माण करेंगे की किसी भाषा में बात करने पर शर्म का अनुभव हो ? इतने सालों के बाद भी प्रधानमंत्री बेसिक अंग्रेजी तक नहीं बोल सकते लेकिन ऐसा जताते हैं कि वे सब समझते हैं।
प्रधानमंत्री जी विदेशों में जाकर हिंदी भाषा में बात क्यों नहीं करते और उन्हें लोगों को हिंदी भाषा में बात करने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि हमारी संस्कृति कितनी अच्छी है सब जान सके। यदि संस्कृति अच्छी है तो विदेशी लोग उसे अपनाएंगे, वे टैलेंटेड लोग हैं।
बीसीसीआई के चेयरमैन जय शाह जब नेशनल चैनल से देश को संबोधित करते हैं तब वे टेलीप्रॉन्पटर में देखकर अंग्रेजी भाषा में बात करने का प्रयास करते हैं, उन्हें ठीक से अंग्रेजी पढ़ना भी नहीं आता, तब गृहमंत्री जी अपने बेटे को मातृभाषा में बात करने की सलाह क्यों नहीं देते ?
देश की संस्कृति से किसी का पेट नहीं भरता, हमारी भाषा से रोटी नहीं कमाई जा सकती, लेकिन अंग्रेजी भाषा आती है तो आराम से रोटी कमाई जा सकती है।
बीजेपी का कोई भी नेता सिर्फ सामान्य जनता को ही ऐसी सलाह देते हैं। देश के फिल्मस्टार, क्रिकेटर, बिज़नसमेन, नेता और छोटे बड़े सेलिब्रिटी की संताने अंग्रेजी भाषा में ही पढ़ाई कर रहे हैं और वो भी विदेशों में। इन लोगों का एक भी बच्चा लोकल भाषा में पढ़ाई नहीं करता। इन्हें तो कोई कुछ नहीं कहता।
यदि आप हमारे देश के अंग्रेजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की जाति चेक करेंगे तो 90 - 95 % बच्चे सवर्ण समाज के मालूम पड़ेंगे। तो क्या देश की संस्कृति बचाने का ठेका केवल SC-ST, OBC ने लिया है ? देश की सारी अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ने वाले और विदेशों में अंग्रेजी पढ़ने वाले बच्चों की जाति सार्वजनिक तौर पर न्यूज़पेपर और टीवी चैनल्स में दिखा दीजिए, सब पता चल जाएगा।
वैसे हमारे देश में लाखों लोग अंग्रेजी भाषा में पढ़े हैं और पढ़ भी रहे हैं तो क्या वे देश की संस्कृति भूल गए ?
बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर जी ने भी विदेश जाकर अंग्रेजी में ही पढ़ाई की थी। लेकिन देश की संस्कृति के बारे में उनके जितना ज्ञान किसी के पास नहीं था। अंग्रेजी भाषा के कारण ही उन्हें विश्व का बेहतरीन लेखन पढ़ने को मिला। देश के शोषित और वंचित समाज के लोगों के साथ सदियों से हो रहे अन्याय/अत्याचार से बचाने के लिए volumes भी उन्होंने अंग्रेजी भाषा में ही क्यों लिखे? क्या बाबा साहब नहीं जानते थे कि हमारे वंचित समाज को अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नहीं है?
माता सावित्रीबाई फुले और महात्मा ज्योतिराव फुले जी ने भी अंग्रेजी भाषा में ही पढ़ाई की है। और उन्होंने सभी को अंग्रेजी भाषा में ही शिक्षित होने की सलाह दी है। यहां तक कि माता सावित्रीबाई ने अंग्रेजी भाषा का महत्व समझने के लिए 'मां अंग्रेजी' नाम की एक कविता भी लिखी है, जिसमें माता सावित्रीबाई कह रही है कि अंग्रेजी भाषा शोषित और वंचितों के पैर की बेड़ियां तोड़ने वाली भाषा है। इसीलिए उन्होंने अंग्रेजी भाषा को "माँ" से संबोधित किया।
हमारे देश की उच्च न्यायपालिकाओं में केवल अंग्रेजी भाषा ही चलती है। एक केस की सुनवाई के दौरान एक IAS अधिकारी जज साहब से मातृभाषा में बात कर रहे थे तब जज साहब ने उन्हें टोका और सिर्फ अंग्रेजी भाषा में ही बात करने की इजाजत दी थी, जिसका वीडियो बहुत वायरल है। देश की न्यायपालिका जिस भाषा में समझती है उस भाषा का ज्ञान तो होना ही चाहिए न!
अंग्रेजी भाषा अंतरराष्ट्रीय भाषा है, विश्व के साथ जुड़ने के लिए अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होना जरूरी है। अंग्रेजी भाषा का त्याग करने से नॉलेज का रास्ता बंद हो जाएगा। विश्व का सबसे बेहतरीन मानवतावादी, लोकतांत्रिक, लोगों के अधिकारों और सभी को समान अधिकार का ज्ञान देने वाला लेखन अंग्रेजी भाषा में ही लिखा गया है। अंग्रेजी भाषा का शब्दकोश विशाल है। वो अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने को प्रेरित करती है। इसीलिए अंग्रेजी भाषा से हमारी तर्कशक्ति भी विकसित होगी। और हां, किसी भी भाषा के साथ जुड़ी हुई उसकी संस्कृति भी सीखने और समझने को मिलेगी, ताकि उस संस्कृति की तुलना करके जान सके कि हमारी संस्कृति अच्छी है कि जातिवाद..., जैसा सभी संस्कृति में होता है।
मातृभाषा में पढ़कर आप मीराबाई, शबरी, नरसिंह मेहता, कवि कालिदास, कवि तुलसीदास जैसे धार्मिक कैरेक्टर और धार्मिक ग्रंथों से ऊपर नहीं उठ पाओगे। आपका ज्ञान धार्मिक कथाओं और पंचतंत्र की कहानियों तक सीमित रह जाएगा। अंग्रेजी भाषा में ऐसा कोई धार्मिक, अंधविश्वासु और सामाजिक भेदभाव वाला शिक्षण नहीं है। समानता, वाणी स्वतंत्रता, धार्मिक सहिष्णुता, सेक्युलरिज्म और समान न्याय की भावना आप अंग्रेजी भाषा से सिख सकते हैं।
और फिर भी आपको अंग्रेजी भाषा से शिकायत है तो उसपर बैन लगा दीजिए। या फिर अंग्रेजी शिक्षण सस्ता कर दीजिए ताकि सारे SC-ST बच्चे अंग्रेजी में पढ़ाई करके पीछे रह जाए। अंग्रेजी स्कूलों में बेतुके प्रोजेक्ट के नाम पर हो रहे खर्च कम कर दीजिए। ताकि अंग्रेजी स्कूल में हो रहे अतिरिक्त खर्च से परेशान होकर SC-ST के बच्चे स्कूल छोड़ ना दे। ऐसे प्रोजेक्ट आप मातृभाषा की स्कूल में कर सकते हैं।
SC-ST और शोषित/वंचित लोगों को अंग्रेजी भाषा में ही पढ़ना चाहिए। संस्कृति बचाने का काम उनपर छोड़ दीजिए जिन्हें संस्कृति से लाभ होता है। आप उत्तम ज्ञान हासिल कीजिए अंग्रेजी भाषा में पढ़कर।
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