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सरकार ने 'The Wire' की वेबसाइट को किया ब्लॉक! पूरे देश में वेबसाइट तक पहुंच पर रोक – प्रेस की आज़ादी खतरे में?

नई दिल्ली, 9 मई – भारत सरकार द्वारा स्वतंत्र मीडिया संस्थान द वायर की वेबसाइट को देशभर में कई इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISPs) द्वारा ब्लॉक किए जाने के बाद प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। द वायर ने अपने आधिकारिक X (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए इसे संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का “स्पष्ट उल्लंघन” बताया है।

द वायर ने अपने बयान में कहा, “हम इस बेशर्म सेंसरशिप का विरोध करते हैं, खासकर उस समय जब भारत को सत्य, निष्पक्ष, विवेकपूर्ण और जिम्मेदार आवाज़ों की सबसे अधिक आवश्यकता है।”

2015 में वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन, सिद्धार्थ भाटिया और एम.के. वेणु द्वारा स्थापित द वायर एक गैर-लाभकारी, स्वतंत्र समाचार पोर्टल है, जो अक्सर सरकारी नीतियों की आलोचना करता रहा है। इस वेबसाइट के खिलाफ कई मानहानि मुकदमे भी दायर किए गए हैं, लेकिन इसकी संपादकीय स्वतंत्रता बरकरार रही है।

द वायर का दावा है कि यह कार्रवाई सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) के निर्देश पर की गई है, हालांकि सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक आदेश सार्वजनिक नहीं किया गया है।

डिजीपब का विरोध: ‘स्वतंत्र मीडिया की आवाज़ को कुचला गया’

डिजीपब न्यूज़ इंडिया फाउंडेशन (DIGIPUB), जो द वायर सहित कई डिजिटल मीडिया संस्थानों का संघ है, ने भी इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है।

DIGIPUB ने अपने बयान में कहा, “अगर सरकार ने द वायर की वेबसाइट को ब्लॉक किया है, तो यह प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। लोकतंत्र को कमजोर करने का यह तरीका है, न कि उसकी रक्षा करने का।”

डिजीपब ने सेंसरशिप को तुरंत वापस लेने और सरकार से पारदर्शिता बरतने की मांग की है।

संपादक का तीखा हमला: 'फर्जी खबरें फैला रहे चैनलों पर चुप्पी क्यों?'

द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने X पर बयान जारी करते हुए सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि कई बड़े टीवी चैनलों ने बिना किसी पुष्ट जानकारी के भारत-पाकिस्तान युद्ध जैसी खबरें फैलाईं।

वरदराजन ने लिखा, “टीवी चैनलों ने कराची बंदरगाह पर हमले, इस्लामाबाद पर कब्जा, भारतीय सेना के पाकिस्तान में घुसने जैसी खबरें चलाईं – ये सारी फर्जी और भड़काऊ खबरें थीं। इसके बावजूद सरकार ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि द वायर जैसी जिम्मेदार संस्था को ब्लॉक कर दिया।”

उन्होंने इस कदम को “असंवैधानिक” बताते हुए कहा कि यह हर भारतीय के सूचना के अधिकार पर हमला है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया: CPI का सरकार को खुला पत्र

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद डी. राजा ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखते हुए मीडिया की गैर-जिम्मेदाराना कवरेज और द वायर को ब्लॉक किए जाने पर चिंता जताई।

राजा ने X पर लिखा, “टीवी चैनल युद्धोन्माद फैला रहे हैं, झूठी खबरें चला रहे हैं और साम्प्रदायिक जहर घोल रहे हैं। वहीं जिम्मेदार पोर्टल द वायर को ब्लॉक कर दिया गया है। यह लोकतंत्र और सामाजिक एकता के लिए गंभीर खतरा है।”

अपने पत्र में डी. राजा ने मांग की:

  • नफरत फैलाने वाले चैनलों पर कार्रवाई हो

  • द वायर जैसी जिम्मेदार साइट्स की एक्सेस तुरंत बहाल हो

  • सूचना मंत्रालय, रक्षा, गृह और विदेश मंत्रालय के साथ समन्वय कर तथ्य-आधारित नियमित ब्रीफिंग शुरू करे

पत्र में कहा गया, “सच युद्ध की पहली बलि होता है। लेकिन यहां तो युद्ध शुरू होने से पहले ही सच दफन किया जा रहा है।”

'ऑपरेशन सिंदूर' और मीडिया उन्माद

इस विवाद की पृष्ठभूमि में हाल में हुए ऑपरेशन सिंदूर की रिपोर्टिंग है, जहां कई टीवी चैनलों ने बिना पुष्टि के राष्ट्रवाद और युद्धोन्माद को हवा दी। इससे न केवल जनता में भ्रम फैला, बल्कि साम्प्रदायिक तनाव भी बढ़ा।

क्या है बड़ा सवाल?

द वायर को बिना किसी सार्वजनिक आदेश के ब्लॉक किया जाना प्रेस स्वतंत्रता पर गहरे संकट का संकेत देता है। आईटी अधिनियम, 2000 के तहत सरकार के पास कुछ अधिकार हैं, लेकिन ऐसी कार्रवाई की पारदर्शिता और वैधता पर सवाल उठ रहे हैं।

विधि विशेषज्ञों और मीडिया संगठनों के अनुसार, यह फैसला जल्द ही अदालत में चुनौती दी जा सकती है। देशभर के पत्रकार, बुद्धिजीवी और राजनैतिक दल सरकार से इस आदेश को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

नोट: खबर लिखे जाने तक TheWire.in भारत के कई हिस्सों में अब भी ब्लॉक है। पाठक इसके आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल्स या वैकल्पिक लिंक्स के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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