+

MP में BJP जिलाध्यक्षों की नियुक्ति पर सियासी घमासान, कांग्रेस ने कहा, दलित-आदिवासियों की संख्या के अनुपात नहीं मिला प्रतिनिधित्व!

भोपाल। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा 62 जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद सियासी विवाद शुरू हो गया है। कांग्रेस ने इस नियुक्ति प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि बीजेपी ने अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग को संगठन में उचित स्थान नहीं दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव बरोलिया ने कहा, कहा कि 62 जिलाध्यक्षों में केवल 3 दलित और 4 आदिवासी नेताओं को स्थान मिला है, जबकि प्रदेश में इन समुदायों की आबादी काफी अधिक है। कांग्रेस ने इसे बीजेपी की आदिवासी और दलित विरोधी मानसिकता करार दिया। बरोलिया ने कहा कि राहुल गांधी बार-बार यही सवाल उठाते हैं कि सरकार और संगठन में दलितों व आदिवासियों की कितनी हिस्सेदारी है, और बीजेपी की यह सूची दिखाती है कि पार्टी इन वर्गों को हाशिए पर रखना चाहती है।

बीजेपी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए जवाब दिया कि पार्टी ने सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व दिया है और आने वाले दिनों में प्रदेश कार्यकारिणी एवं अन्य समितियों में सभी वर्गों को और अधिक स्थान मिलेगा। बीजेपी प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस को पहले अपने शासनकाल में झांकना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दशकों तक मध्यप्रदेश में सत्ता संभाली, लेकिन कभी किसी दलित या आदिवासी को मुख्यमंत्री नहीं बनाया। वहीं, बीजेपी ने हमेशा हर वर्ग को उचित सम्मान दिया है और आगे भी पार्टी इसी नीति पर चलेगी। बीजेपी प्रवक्ता ने यह भी कहा कि प्रदेश कार्यकारिणी और अन्य समितियों में आगामी नियुक्तियों के दौरान दलितों, आदिवासियों और अन्य वर्गों को और अधिक प्रतिनिधित्व मिलेगा।

बीजेपी जिलाध्यक्षों में किसे कितना प्रतिनिधित्व?

बीजेपी ने 9 चरणों में जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा की है। इन 62 जिलाध्यक्षों की सामाजिक पृष्ठभूमि की बात करें तो सामान्य वर्ग से 29, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से 25, अनुसूचित जाति से 3, अनुसूचित जनजाति से 4 जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं। इसके अलावा, 62 में से 17 जिलाध्यक्षों को पुनर्नियुक्त किया गया है, यानी वे पहले भी इस पद पर रह चुके हैं। वहीं, इस बार बीजेपी ने 7 महिलाओं को जिलाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी ने कहा कि उसने वरिष्ठ नेताओं, पूर्व मंत्रियों और संगठन से जुड़े अनुभवी कार्यकर्ताओं को प्रमुखता दी है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार बीजेपी ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में पूरी रणनीति के तहत काम किया है। पार्टी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और अन्य वरिष्ठ नेताओं की पसंद को ध्यान में रखते हुए नियुक्तियाँ की हैं। बताया जा रहा है कि 6 जिलों में अध्यक्ष पद पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े नेताओं को तवज्जो दी गई है। इसके अलावा, बीजेपी ने सांसदों और विधायकों से उनके पसंदीदा नाम लिखित रूप में मांगे थे, जिसके बाद रायशुमारी करके जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की गई।

कांग्रेस ने बीजेपी पर साधा निशाना

बीजेपी की इस सूची पर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव बरोलिया ने कहा कि बीजेपी की यह नीति हमेशा से दलित और आदिवासियों को नजरअंदाज करने की रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सिर्फ इन समुदायों के वोट हासिल करने के लिए चुनावों में उनके हितैषी होने का दावा करती है, लेकिन जब संगठनात्मक नियुक्तियों की बात आती है, तो उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है। कांग्रेस ने कहा कि प्रदेश में अनुसूचित जाति और जनजाति की बड़ी आबादी होने के बावजूद बीजेपी ने जिलाध्यक्षों के पदों पर मात्र 3 दलित और 4 आदिवासी नेताओं को ही मौका दिया है, जो पार्टी की नीतियों को उजागर करता है।

कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी सिर्फ अपने प्रचार के लिए आदिवासी और दलित समुदाय के नाम का उपयोग करती है। पार्टी चुनावों में इन वर्गों के नेताओं को आगे रखती है, लेकिन जब संगठन में जिम्मेदारियों की बात आती है, तो उन्हें दरकिनार कर दिया जाता है। कांग्रेस नेताओं ने यह भी कहा कि बीजेपी आदिवासी और दलितों को केवल एक वोट बैंक के रूप में देखती है और उनके वास्तविक सशक्तिकरण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती।

कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि बीजेपी ने एक बार फिर दलितों को हाशिए पर रखा है। 62 जिलाध्यक्षों में केवल तीन दलितों को मौका देकर बीजेपी ने अपनी मानसिकता स्पष्ट कर दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी दलितों को सिर्फ वोट बैंक के रूप में देखती है, लेकिन संगठन और सत्ता में उनकी भागीदारी सुनिश्चित नहीं करती।

अहिरवार ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा दलितों को नेतृत्व में स्थान दिया है, जबकि बीजेपी सिर्फ दिखावे की राजनीति कर रही है।

बीजेपी का पलटवार

कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि पार्टी ने सभी वर्गों को सम्मान दिया है और आगे भी देती रहेगी। बीजेपी प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा कि कांग्रेस को पहले अपने शासनकाल की हकीकत देखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी किसी दलित या आदिवासी को मुख्यमंत्री नहीं बनाया, जबकि बीजेपी ने इन समुदायों के नेताओं को सदैव उचित स्थान दिया है। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि पार्टी सिर्फ जातिगत समीकरणों पर नहीं, बल्कि योग्यता और संगठन के प्रति निष्ठा के आधार पर नियुक्तियाँ करती है।

बीजेपी ने यह भी कहा कि पार्टी आने वाले दिनों में प्रदेश कार्यकारिणी और विभिन्न समितियों में सभी वर्गों को समुचित स्थान देगी। प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस सिर्फ आरोप लगाकर राजनीतिक लाभ उठाना चाहती है, लेकिन जनता को सच्चाई पता है। उन्होंने कहा कि बीजेपी का संगठन हमेशा से सभी वर्गों को साथ लेकर चलता आया है और आगे भी इसी सिद्धांत पर काम करेगा।

जातीय समीकरण को साधने की कोशिश

मध्यप्रदेश में बीजेपी ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में जातीय संतुलन साधने की कोशिश की है, लेकिन कांग्रेस इसे असफल प्रयास बता रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी को यह अहसास है कि आदिवासी और दलित वर्ग की नाराजगी पार्टी के लिए आगामी चुनावों में नुकसानदायक हो सकती है। यही कारण है कि पार्टी ने ओबीसी वर्ग को सबसे अधिक प्रतिनिधित्व देकर संतुलन बनाने की कोशिश की है।

Trending :
facebook twitter