भोपाल। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता इन दिनों सामाजिक न्याय और वंचित वर्गों की राजनीतिक भागीदारी की बात कर रहे हैं। कांग्रेस नेता और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जाति जनगणना और वंचित वर्गों को संख्या अनुपात सभी क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं। लेकिन मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी की संरचना पर नजर डालें तो यह दावे खोखले नजर आते हैं। प्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग की आबादी लगभग 17 प्रतिशत (1.5 करोड़ के करीब) होने के बावजूद, कांग्रेस संगठन में इस समुदाय के नेताओं को प्रमुख पदों पर स्थान नहीं दिया गया है। जबकि ओबीसी और ब्राह्मण वर्ग के नेताओं का संगठन पर मजबूत पकड़ बनी हुई है। द मूकनायक की पड़ताल में यह सामने आया है कि कांग्रेस के प्रदेश संगठन में शीर्ष पदों पर किस वर्ग का दबदबा है।
प्रदेश संगठन में शीर्ष पदों पर कौन किस वर्ग से है?
मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी हैं, जो ओबीसी वर्ग से आते हैं। कांग्रेस संगठन में प्रदेश अध्यक्ष का पद सबसे महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह व्यक्ति पूरे प्रदेश में पार्टी की नीतियों को लागू करने और संगठन को मजबूत करने का काम करता है। कांग्रेस पार्टी अक्सर सामाजिक न्याय और समावेशी राजनीति की बात करती है, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष पद पर अनुसूचित जाति वर्ग के किसी नेता को वर्षों से मौका नहीं दिया जा रहा है।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष
विधानसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार हैं, जो आदिवासी समुदाय से आते हैं। यह पद भी संगठन में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि विपक्ष के नेता की भूमिका सत्ता पक्ष की नीतियों पर सवाल उठाने और जनता की आवाज उठाने की होती है।
युवा कांग्रेस और महिला कांग्रेस
कांग्रेस के युवाओं के संगठन युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मितेंद्र सिंह हैं, जो ओबीसी वर्ग से आते हैं। इसी तरह महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष विभा पटेल भी ओबीसी वर्ग से हैं। युवा और महिला संगठनों की कमान भी ओबीसी नेताओं को ही दी गई है। राजनीतिक विश्लेषक मानते है, अनुसूचित जाति वर्ग की महिलाओं और युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इस वर्ग से नेतृत्व को आगे बढ़ाना आवश्यक था।
छात्र संगठन एनएसयूआई और सेवादल
छात्र राजनीति में महत्वपूर्ण संगठन एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) की कमान आशुतोष चौकसे के हाथों में है, जो ओबीसी वर्ग से आते हैं। इसी तरह कांग्रेस के सेवादल के अध्यक्ष योगेश यादव भी ओबीसी वर्ग से हैं। यह संगठन कांग्रेस पार्टी के कैडर को मजबूत करने का कार्य करते हैं, लेकिन अनुसूचित जाति वर्ग से किसी नेता को इनमें कोई अहम जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई।
मीडिया और सोशल मीडिया विभाग में ब्राह्मण वर्चस्व
मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग और सोशल मीडिया की जिम्मेदारी पूरी तरह से ब्राह्मण नेताओं के हाथों में है।
मुकेश नायक – मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष (सामान्य वर्ग, ब्राह्मण)
अभय तिवारी – सोशल मीडिया राष्ट्रीय समन्वयक (सामान्य वर्ग, ब्राह्मण)
अभय तिवारी – मीडिया और रिसर्च प्रभारी, मध्यप्रदेश (सामान्य वर्ग, ब्राह्मण)
चंचलेश व्यास – सोशल मीडिया प्रदेश अध्यक्ष (सामान्य वर्ग, ब्राह्मण)
केंद्रीय संगठन में भी अनुसूचित जाति वर्ग की अनदेखी
मध्यप्रदेश से कांग्रेस के केंद्रीय संगठन में शामिल नेताओं की सूची भी देखें तो अनुसूचित जाति वर्ग से एक भी नेता को स्थान नहीं दिया गया। इनमें शामिल नाम हैं:
ओंकार मरकाम – आदिवासी, सदस्य, कांग्रेस मुख्य चुनाव समिति
कमलेश्वर पटेल – ओबीसी, सदस्य, कांग्रेस कार्यकारिणी
सत्यनारायण पटेल – ओबीसी, राष्ट्रीय सचिव
नीलांशु चतुर्वेदी – सामान्य वर्ग, राष्ट्रीय सचिव
कुणाल चौधरी – ओबीसी, राष्ट्रीय सचिव
भूपेंद्र मरावी – आदिवासी, राष्ट्रीय सचिव
डॉ. विक्रांत भूरिया – आदिवासी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आदिवासी कांग्रेस
यह सूची दर्शाती है कि कांग्रेस के केंद्रीय संगठन में मध्यप्रदेश से अनुसूचित जाति वर्ग का कोई प्रतिनिधि नहीं है। पार्टी अक्सर दलित और वंचित वर्गों के अधिकारों की बात करती है, लेकिन शीर्ष नेतृत्व में इस वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित करने की कोई कोशिश दिखाई नहीं देती।
मध्यप्रदेश से राज्यसभा में प्रतिनिधित्व की बात करें तो जातिगत संतुलन को लेकर असमानता देखने को मिलती है। राज्यसभा में प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का नाम शामिल है, जो सामान्य वर्ग से आते हैं। इसी तरह, वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता विवेक तनखा भी सामान्य वर्ग से हैं और वर्तमान में राज्यसभा सदस्य हैं। इन दोनों नेताओं का लंबे समय से राष्ट्रीय राजनीति में प्रभाव रहा है, लेकिन राज्यसभा में समाज के अन्य वर्गों की भागीदारी को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
राज्यसभा में ओबीसी वर्ग से अशोक सिंह सदस्य हैं, जिन्हें कांग्रेस ने राज्यसभा भेजा है। एससी और एसटी की बड़ी जनसंख्या है, वहां उनके प्रतिनिधित्व की स्थिति संतोषजनक नहीं है।
क्या कांग्रेस में अनुसूचित जाति वर्ग की अनदेखी रणनीतिक है?
कांग्रेस का दावा रहा है कि वह सामाजिक न्याय की पक्षधर पार्टी है, लेकिन उसके संगठनात्मक ढांचे को देखने पर यह दावा कमजोर पड़ जाता है। प्रदेश कांग्रेस संगठन में ब्राह्मण, ओबीसी और आदिवासी नेताओं को प्रमुख पद दिए गए हैं, जबकि अनुसूचित जाति वर्ग को प्रभावी पदों से दूर रखा गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस अनुसूचित जाति वर्ग के वोट बैंक को बनाए रखने के लिए तो घोषणाएं करती है, लेकिन नेतृत्व में इस वर्ग को स्थान देने से बचती है। पार्टी की यह रणनीति भाजपा और बसपा जैसी पार्टियों के मुकाबले उसे नुकसान पहुंचा सकती है, क्योंकि अनुसूचित जाति समुदाय के नेताओं और कार्यकर्ताओं में लगातार यह भावना बढ़ रही है कि कांग्रेस सिर्फ समानांतर सामाजिक समूहों को ही नेतृत्व सौंप रही है।
मध्यप्रदेश करीब 17 प्रतिशत SC वर्ग की संख्या
मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति (एससी) की जनसंख्या लगभग 17% और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की जनसंख्या करीब 21% है। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की जनसंख्या 50% से अधिक मानी जाती है, जबकि सामान्य वर्ग की जनसंख्या लगभग 13% बताई जाती है। ये आंकड़े विभिन्न रिपोर्टों और 2011 की जनगणना पर आधारित हैं।
हालांकि, ओबीसी और सामान्य वर्ग की सटीक जनसंख्या का उल्लेख 2011 की जनगणना में नहीं किया गया था। 2021 की जनगणना कोरोना महामारी के कारण स्थगित हो गई थी, जिससे नए आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हो पाए हैं।