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MP: नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप, कहा- 'लाड़ली लक्ष्मी उत्सव महज दिखावा'

भोपाल। प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा आयोजित “लाड़ली लक्ष्मी उत्सव” को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। गंधवानी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने इस उत्सव को एक “ब्रांडिंग अभियान” करार दिया और कहा कि ज़मीनी सच्चाई बेहद चिंताजनक है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सिर्फ दिखावे और प्रचार में व्यस्त है, जबकि बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।

उमंग सिंघार ने कहा कि जिस प्रदेश में नवजात और शिशु मृत्यु दर देश में सबसे ज्यादा हो, वहाँ अगर सरकार उत्सव मना रही है तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने इंडिया हैल्थ एक्शन ट्रस्ट (IHAT) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि मध्यप्रदेश में नवजात मृत्यु दर 35 प्रति हजार है, शिशु मृत्यु दर 48 है जबकि पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 56 तक पहुँच चुकी है। ये आँकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि राज्य में मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाएं विफल हो चुकी हैं।

सरकार के दावों पर सवाल

उन्होंने लिंग अनुपात के सरकारी दावों पर भी सवाल उठाए। सिंघार के अनुसार 2014 से 2023 तक लिंग अनुपात में सिर्फ तीन अंकों की मामूली वृद्धि (926 से 929) हुई है, जो यह दर्शाता है कि बेटियों के नाम पर चलाई जा रही योजनाएं ज़मीन पर असर नहीं डाल पा रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार भले ही अपने अभियान का गुणगान कर रही हो, लेकिन सच्चाई यह है कि ये योजनाएं सिर्फ पोस्टर और होर्डिंग्स तक सिमट कर रह गई हैं।

शिक्षा की स्थिति पर बात करते हुए उन्होंने ASER रिपोर्ट 2024 का हवाला दिया, जिसमें बताया गया है कि प्रदेश की 15-16 वर्ष की आयु वर्ग की 16.1 प्रतिशत किशोरियाँ स्कूल से बाहर हैं, जो देश में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि शिक्षा से वंचित बेटियों के लिए उत्सव मनाना एक क्रूर मज़ाक जैसा है।

हाईकोर्ट में महिला जजों की कमी

सिंघार ने सरकारी सेवाओं में महिलाओं की भागीदारी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार महिला सशक्तिकरण की बातें तो करती है, लेकिन जमीनी हालात इसके विपरीत हैं। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में केवल 3 प्रतिशत महिला जज हैं, जो देश में सबसे कम है। वहीं पुलिस बल में 33 प्रतिशत आरक्षण का दावा वर्षों से किया जा रहा है, लेकिन मौजूदा प्रगति दर से यह लक्ष्य हासिल करने में 80 साल लग सकते हैं।

बेटियों के पोषण पर चिंता जताते हुए उन्होंने NFHS-5 के आँकड़ों का हवाला दिया, जिसमें बताया गया कि राज्य में 5 वर्ष से कम उम्र के 35.7 प्रतिशत बच्चे अविकसित (स्टंटेड), 33 प्रतिशत कम वज़न वाले और 19 प्रतिशत अत्यधिक दुबले (वेस्टेड) हैं। उन्होंने कहा कि पोषण के लिए प्रति दिन मात्र 12 रुपये का बजट निश्चित किया गया है, जो मौजूदा महंगाई में नाकाफी है।

उन्होंने महिला सुरक्षा के मुद्दे को भी जोरदार ढंग से उठाया। सिंघार ने कहा कि अप्रैल 2025 में राज्य में बलात्कार की कई दर्दनाक घटनाएँ सामने आईं, जिनमें बच्चियों से लेकर कॉलेज की छात्राएँ तक शिकार बनीं। औसतन हर दिन 20 बलात्कार के मामले दर्ज हो रहे हैं। उन्होंने विधानसभा में प्रस्तुत सरकारी आंकड़ों के हवाले से बताया कि 2024 की तुलना में बलात्कार के मामलों में 19 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति समुदाय की महिलाओं के खिलाफ बलात्कार के मामलों में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

वन लगातार घट रहे: सिंघार

वन संरक्षण के मुद्दे पर भी उन्होंने सरकार को घेरा। सिंघार ने कहा कि एक ओर सरकार 48 लाख पौधे लगाने का दावा कर रही है, वहीं राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश में 5500 वर्ग किलोमीटर वन भूमि पर अतिक्रमण हो चुका है, जो देश में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि यह सरकार वन और पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी दोहरे मापदंड अपना रही है।

सिंघार ने सरकार से सवाल किया कि जब बेटियाँ असुरक्षित हैं, कुपोषण से जूझ रही हैं, शिक्षा से वंचित हैं और उनके लिए न्याय की उम्मीदें न्यूनतम हैं, तो ऐसे में उत्सव किस बात का मनाया जा रहा है?

द मूकनायक से बातचीत में उन्होंने कहा कि: “बेटियों के नाम पर उत्सव मनाने से पहले यह सरकार बेटियों को सुरक्षा, शिक्षा और सम्मान देने की ईमानदार कोशिश करे। अगर आँकड़े ही गवाही दे रहे हैं कि हमारी बेटियाँ असुरक्षित, कुपोषित और शिक्षा से वंचित हैं, तो यह उत्सव केवल एक छलावा बनकर रह जाता है।”

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