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MP: फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव जीतने वाली भाजपा पार्षद 5 साल के लिए अयोग्य घोषित, जबलपुर नगर निगम की सीट रिक्त

भोपाल। मध्य प्रदेश में नगर निगम चुनावों में फर्जी दस्तावेज़ों के सहारे चुनाव लड़ कर पार्षद बनने का मामला सामने आया है। जबलपुर नगर निगम के वार्ड क्रमांक 24 से भाजपा की पार्षद कविता रैकवार को फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लड़ने का दोषी पाया गया है। संभागायुक्त अभय वर्मा ने अपने रिटायरमेंट के अंतिम दिन, 30 अप्रैल 2025 को यह ऐतिहासिक आदेश पारित करते हुए कविता रैकवार को अगले 5 साल के लिए किसी भी नगर निकाय चुनाव में अयोग्य घोषित कर दिया।

आयुक्त के इस फैसले के बाद अब वार्ड क्रमांक 24 की सीट रिक्त मानी जाएगी, और राज्य निर्वाचन आयोग को अगले 6 माह में उपचुनाव कराने का निर्देश दिया गया है।

क्या है पूरा मामला?

भाजपा की पार्षद कविता रैकवार ने जबलपुर नगर निगम चुनाव 2020 में वार्ड 24 से पिछड़ा वर्ग महिला (OBC महिला) के लिए आरक्षित सीट पर नामांकन दाखिल किया था। उन्होंने इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी राखी सराफ को पराजित किया था। लेकिन चुनाव जीतने के कुछ समय बाद ही उनके जाति प्रमाण पत्र को लेकर सवाल उठने लगे।

कांग्रेस प्रत्याशी सहित कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कविता रैकवार ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर चुनाव लड़ा और विजयी हुईं। इस संबंध में शिकायत दर्ज होने के बाद मामला राज्य स्तरीय छानबीन समिति को सौंपा गया।

छानबीन में फर्जी पाया गया प्रमाण पत्र

राज्य स्तरीय उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने शिकायत की गंभीरता को देखते हुए विस्तृत जांच की। जांच में यह पाया गया कि कविता रैकवार ने जो प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था, वह न केवल अमान्य है, बल्कि पूरी तरह फर्जी है। समिति ने 10 नवंबर 2020 को जारी जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया और इस आधार पर कार्रवाई की सिफारिश की। जांच रिपोर्ट कलेक्टर के माध्यम से संभागायुक्त जबलपुर को भेजी गई, जिन्होंने इस पर विधिवत सुनवाई की।

कविता रैकवार का पक्ष नहीं पाया गया वैधानिक

संभागायुक्त अभय वर्मा ने आदेश में कहा कि कविता रैकवार को पर्याप्त अवसर दिए गए, लेकिन वह अपने प्रमाण पत्र की वैधता को सिद्ध नहीं कर सकीं। उन्होंने कहा कि रैकवार द्वारा दी गई दलीलों का कोई वैधानिक आधार नहीं था, और यह स्पष्ट रूप से प्रमाणित हुआ कि उन्होंने आरक्षण का दुरुपयोग कर लोकतंत्र के साथ छल किया। इस आधार पर नगर पालिका अधिनियम 1956 की धारा 19(2) के अंतर्गत उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया।

कानून क्या कहता है?

नगर पालिका अधिनियम 1956 की धारा 19(2):

"कोई व्यक्ति जो झूठे दस्तावेज़ों के आधार पर निर्वाचित होता है, अथवा अर्हता का झूठा दावा करता है, उसे आयुक्त द्वारा अयोग्य घोषित किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति आगामी 5 वर्षों तक किसी भी नगर निकाय चुनाव में भाग नहीं ले सकता।"

कांग्रेस ने कहा, लोकतंत्र के साथ धोखा

भाजपा पार्षद को अयोग्य ठहराए जाने के बाद कांग्रेस ने इसे अपनी जीत बताया है। जबलपुर कांग्रेस नगर अध्यक्ष सौरभ शर्मा ने कहा, "यह हमारी लंबी कानूनी लड़ाई की जीत है। कविता रैकवार ने लोकतंत्र को धोखा दिया है। अब राज्य निर्वाचन आयोग को चाहिए कि उपविजेता को पार्षद घोषित किया जाए और वार्ड को बिना चुनाव के प्रतिनिधित्व मिल सके। इसके अलावा, यह भी जरूरी है कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो, क्योंकि फर्जी प्रमाण पत्र बनवाना और उसका उपयोग करना गंभीर अपराध है।"

भाजपा ने कहा, हाईकोर्ट जाएंगे

भाजपा की ओर से एमआईसी सदस्य विवेक राम सोनकर ने इस आदेश को एकतरफा करार दिया है। उन्होंने कहा कि, "हम कमिश्नर के फैसले से असहमत हैं। यह निर्णय पक्षपातपूर्ण है। भाजपा इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देगी।"

छह माह में होंगे उपचुनाव

जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने बताया कि जैसे ही किसी निर्वाचित जनप्रतिनिधि का निर्वाचन शून्य घोषित होता है, राज्य निर्वाचन आयोग को 6 माह के भीतर उपचुनाव कराना होता है। उन्होंने पुष्टि की कि राज्य स्तर की समिति द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई हुई है।

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