रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है। पार्टी का आरोप है कि यह कानून अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन करता है और देश के संघीय ढांचे को कमजोर करता है। झामुमो के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने स्पष्ट किया कि राज्य में इस अधिनियम के संशोधित प्रावधानों को लागू नहीं होने दिया जाएगा।
यह विवादित कानून झामुमो के दो दिवसीय केंद्रीय अधिवेशन के पहले दिन प्रमुख मुद्दों में शामिल रहा। अधिवेशन में कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पार्टी की सामाजिक न्याय आधारित नीति को मजबूती से प्रस्तुत किया और असम, ओडिशा, छत्तीसगढ़ तथा पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में पार्टी के विस्तार का संकेत भी दिया। अधिवेशन की अध्यक्षता पार्टी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन कर रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा, “सामंती ताकतों को जनता ने करारी शिकस्त दी है और अब झामुमो, जो एक सशक्त राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरी है, झारखंड को लूटने नहीं देगी। यह आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, गरीबों, शोषितों और पीड़ितों की सरकार है, जिनके अधिकारों की पहले अनदेखी की गई।”
अधिवेशन के दौरान मीडिया से बातचीत में सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार ने वक्फ कानून में संशोधन करते समय राज्यों से कोई परामर्श नहीं लिया, जबकि भूमि राज्य का विषय है।
उन्होंने कहा, “केंद्र की एकतरफा कार्रवाई न केवल असंवैधानिक है, बल्कि यह अल्पसंख्यक संस्थाओं को कमजोर करने की साजिश है। यह संघीय ढांचे की पूरी तरह अनदेखी है। झारखंड में इसे लागू नहीं होने दिया जाएगा।”
पार्टी के पारित प्रस्ताव में आरोप लगाया गया कि यह संशोधन एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है, जिसके जरिए धर्म और जाति के नाम पर डर का माहौल बनाया जा रहा है। झामुमो ने अन्य क्षेत्रीय दलों और नागरिक समाज से इस कदम के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है।
अधिवेशन के दौरान पार्टी ने 108 पन्नों की एक संगठनात्मक रिपोर्ट भी प्रस्तुत की, जिसमें विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की गई। रिपोर्ट में आदिवासी और मूलवासी समुदायों के भूमि अधिकारों को दोहराया गया और “जल, जंगल, ज़मीन” के अधिकारों पर जोर दिया गया। पार्टी ने भूमि पुनर्वास अधिनियम (Land Reclamation Act) की मांग की, वनवासियों के लिए स्थायी भूमि पट्टों की आवश्यकता जताई और जनगणना के आधार पर होने वाली आगामी परिसीमन प्रक्रिया का विरोध किया।
झामुमो का आरोप है कि परिसीमन की प्रक्रिया आदिवासी समुदायों की राजनीतिक हिस्सेदारी को कम करने की साजिश है।
अधिवेशन का समापन 15 अप्रैल को होगा, जिसमें आगामी लोकसभा चुनावों के लिए एक विस्तृत राजनीतिक रोडमैप पारित किया जाएगा, खासतौर पर पश्चिम बंगाल और बिहार के लिए। इसके साथ ही, पार्टी के नए अध्यक्ष की घोषणा भी की जाएगी।