उत्तर प्रदेश: प्रयागराज में 12 अप्रैल को एक 35 साल के दलित युवक की हत्या कर दी गई। आरोपियों ने उसे जिंदा जला दिया। बताया जा रहा है कि युवक का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने गेहूं काटने से मना किया था। मंगलवार को प्रशासन ने हत्या में शामिल आरोपियों के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चला दिया। यह कार्रवाई योगी सरकार के ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत की गई, जिसमें अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, 13 अप्रैल की सुबह उसकी अधजली लाश मिलने के बाद घर वाले आक्रोशित हो गए थे। उन्होंने न सिर्फ हत्यारोपियों के घर पर तोड़-फोड़ की थी, बल्कि पोस्टमॉर्टम के लिए पुलिस को 2 घंटे तक लाश भी नहीं उठाने दी थी। बाद में पोस्टमॉर्टम के बाद 13 अप्रैल की रात ही पुलिस ने दलित युवक का जबरन अंतिम संस्कार करवा दिया। इसके बाद लोगों का गुस्सा बढ़ गया। लोग रोड पर इकट्ठा हो गए और हंगामा करने लगे।
वहीं, सोमवार को पीड़ित परिवार से मिलने कांग्रेस सांसद उज्ज्वल रमण सिंह और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पहुंचे। गुस्साए गांव वालों ने उनकी गाड़ियों को भी रोक लिया। हनुमान पर मोरी रोड पर जाम लगा दिया।
पुलिस और सांसद के समझाने पर करीब 2.30 घंटे बाद गांव के लोगों माने और सड़क से हट गए। यह पूरा मामला यमुनापार के करछना इलाके का है। वहीं, शाम को 6 बजे के करीब आरोपियों के खेत में किए गए कब्जे पर बुलडोजर चला।
क्या था पूरा मामला?
इसौटा गांव में रहने वाले दलित अशोक कुमार का 35 साल का बेटा देवी शंकर मजदूरी करता था। उसके 3 बच्चे हैं। एक बेटी काजल और दो बेटे सूरज, आकाश हैं। पत्नी की मौत हो चुकी है। वह मां-बाप का अकेला बेटा था।
12 अप्रैल को देवी शंकर को कुछ लोग गेहूं काटने के लिए लेकर गए थे। जब उसने गेहूं काटने से मना किया, आरोपियों ने दलित युवक को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया गया। जिंदा ही दफनाने की तैयारी की, गड्ढा भी खोद लिया था। लेकिन, फिर हमलावरों ने प्लान बदल दिया। देवी शंकर को जलाने के लिए पुआल इकट्ठा करके आग लगा दी। यह वाकया 13 अप्रैल की सुबह 6 बजे का है।
तभी खेतों की तरफ गांव के लोगों को आता हुआ देखकर आरोपी भाग निकले। दलित युवक की अधजली लाश मिलने के बाद हंगामा शुरू हो गया। पिता ने पुलिस को बयान दिए कि गांव के छुट्टन सिंह समेत 7 लोगों मिलकर मेरे बेटे को इसलिए मार डाला, क्योंकि वह गेहूं काटने नहीं जा रहा था।
2 घंटे तक नहीं उठाने दी थी डेड बॉडी
हत्या की सूचना के बाद जब पुलिस गांव पहुंची, तो लोगों ने शव नहीं उठने दिया। पुलिस के सामने डेडबॉडी रखकर प्रदर्शन करने लगे। इस दौरान करीब 2 घंटे तक पुलिस ग्रामीणों को समझाती रही। लोग 7 करोड़ रुपए का मुआवजा, लाइसेंस की सुरक्षा और मकान आवंटित करने की मांग की।
इसी बीच कुछ लोगों ने मुख्य आरोपी छुट्टन सिंह के घर पर भी धावा बोल दिया। हालांकि पुलिस ने लोगों को समझाकर शांत किया। पुलिस 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। अब मुख्य आरोपी छुट्टन सिंह अभी पुलिस की पकड़ से दूर है।
ACP करछना वरुण कुमार ने बताया, रात में देवी शंकर को काम के बहाने गांव के 4 युवक लेकर गए थे। सुबह उसकी लाश मिली। परिजनों का कहना है कि जहां काम पर गया, उन्हीं लोगों ने हत्या कर दी। शव देखने से ऐसा लगता है कि हत्या करने के बाद जलाया गया है।
जिंदा जलाने की बात साफ नहीं हो पा रही है। परिवार वालों का आरोप है कि उसे जिंदा जला दिया गया। 6 लोगों को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है। उनके बयानों में विरोधाभास होने की वजह से कई एंगल पर जांच चल रही है।
भतीजे राहुल ने बताया कि शाम को कुछ लोग आए और चाचा को लेकर गए थे। उन लोगों ने कहा था कि गेहूं काटने का काम है। वहां पर क्या हुआ, कुछ पता नहीं चला। इसौटा गांव में रहने वाले दलित अशोक कुमार का 30 साल का बेटा देवी शंकर मजदूरी करता था। उसके 3 बच्चे हैं। एक बेटी काजल और दो बेटे सूरज, आकाश हैं। पत्नी की मौत हो चुकी है। वह मां-बाप का अकेला बेटा था।
पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, जांच में सामने आया है कि मृतक देवी शंकर के संबंध आरोपी परिवार की एक युवती से थे, जिसे लेकर नाराज होकर आरोपियों ने साजिश रची। उसे बहाने से बुलाया गया, शराब पिलाई गई और फिर गला दबाकर हत्या कर दी गई। इसके बाद साक्ष्य मिटाने के लिए शव को जलाने का प्रयास किया गया।
पुलिस ने जिन आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है, उनमें दिलीप सिंह उर्फ छुट्टन, अजय सिंह, मनोज सिंह, संजय सिंह उर्फ सोनू, शेखर सिंह, मोहित सिंह, अवधेश सिंह उर्फ डीएम और विमलेश गुप्ता उर्फ बाबा डॉन शामिल हैं। मुख्य आरोपी विनय सिंह अभी फरार है। यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि प्रशासन अब अपराध और अपराधियों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने से पीछे नहीं हट रहा।