भोपाल। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के इतिहास में पहली बार एक ऐसा अवसर आया, जब न्यायपालिका और अधिवक्ता समुदाय ने मिलकर संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती का आयोजन किया। यह आयोजन हाईकोर्ट परिसर स्थित सिल्वर जुबली हॉल में बेहद गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ, जिसमें हाईकोर्ट अधिवक्ता संघ और जिला अधिवक्ता संघ, जबलपुर की संयुक्त भागीदारी रही। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (चीफ जस्टिस) सुरेश कुमार कैत ने की।
इतिहास में पहली बार हुआ आयोजन
1956 में स्थापित मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण था, जब बाबा साहब की जयंती पहली बार विधिवत रूप से मनाई गई। यह पहल न केवल बाबा साहब के प्रति श्रद्धा का प्रतीक थी, बल्कि न्याय और समानता के मूलभूत संवैधानिक मूल्यों को सुदृढ़ करने का भी प्रयास था। इस आयोजन में समाज के विभिन्न वर्गों के प्रति न्यायपालिका की संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से दिखाई दी।
मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत के साथ इस कार्यक्रम में जस्टिस विवेक अग्रवाल, जस्टिस विवेक जैन, जस्टिस डीडी बंसल, जस्टिस एके सिंह, जस्टिस अतुल धीधारण, जस्टिस मनिंदर भट्टी, जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा जैसे वरिष्ठ न्यायाधीश विशेष रूप से उपस्थित रहे। इनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम को विशेष महत्व प्रदान किया और यह संदेश दिया कि बाबा साहब की विरासत केवल एक वर्ग या समुदाय की नहीं, बल्कि पूरी न्याय व्यवस्था की साझा जिम्मेदारी है।
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डीके जैन, सचिव पारितोष त्रिवेदी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमित जैन, उपाध्यक्ष प्रशांत अवस्थी और कार्यकारिणी के अन्य सदस्यों ने इस आयोजन में अहम भूमिका निभाई। जिला अधिवक्ता संघ के साथ-साथ बार काउंसिल के अध्यक्ष राधेलाल गुप्ता और सदस्य केपी गनगोरे, वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, पुष्पेंद्र यादव और आदित्य संघी जैसे नामचीन अधिवक्ताओं की भी गरिमामयी उपस्थिति रही। कुल मिलाकर कार्यक्रम में लगभग 500 अधिवक्ता, न्यायिक अधिकारी और रजिस्ट्री के कर्मचारी शामिल हुए।
बाबा साहब के विचारों को जीवन में अपनाने का आह्वान
अपने संबोधन में मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत ने कहा कि बाबा साहब को केवल पूजना पर्याप्त नहीं, बल्कि उनके विचारों और आदर्शों को जीवन में उतारना आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने विशेष रूप से शिक्षा, सामाजिक समरसता और महिला सशक्तिकरण को बाबा साहब के जीवन दर्शन का केंद्र बताया। उन्होंने बताया कि बाबा साहब ने महात्मा फुले को अपना गुरु माना और फुले की पत्नी सावित्रीबाई फुले से प्रेरणा ली, जो भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं।
सामाजिक न्याय और समानता का संदेश
इस अवसर पर दिए गए वक्तव्यों में बार-बार यह बात दोहराई गई कि बाबा साहब का जीवन शोषित, वंचित और उपेक्षित वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित रहा। उन्होंने संविधान के माध्यम से एक ऐसा ढांचा तैयार किया जिसमें हर व्यक्ति को समान अधिकार मिले, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या वर्ग से संबंधित हो। इस समारोह के माध्यम से अधिवक्ताओं और न्यायपालिका के प्रतिनिधियों ने यह संदेश दिया कि वे भी अपने दायित्वों को उसी भावना से निभाएंगे।
महिला सशक्तिकरण और शिक्षा पर विशेष बल
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने महिलाओं को शिक्षा और अधिकारों के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता पर जोर दिया। यह विचारधारा बाबा साहब की ही प्रेरणा से जुड़ी रही है, जिन्होंने शिक्षा को सामाजिक बदलाव का सबसे बड़ा माध्यम बताया था। महिला अधिवक्ताओं की उपस्थिति और सहभागिता ने इस संदेश को और अधिक प्रासंगिक बना दिया।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट परिसर में पहली बार बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती विधिवत रूप से मनाई गई, जो अपने आप में एक ऐतिहासिक पहल है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत ने की। आयोजन में 500 से अधिक अधिवक्ताओं, न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों ने भाग लेकर इसे भव्यता प्रदान की। समारोह में सामाजिक समरसता, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जोर दिया गया। साथ ही, बाबा साहब के विचारों को आत्मसात करने और भारतीय संविधान की मूल भावना के प्रति निष्ठा बनाए रखने का संकल्प लिया गया।
द मूकनायक से बातचीत में जबलपुर हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में अधिवक्ताओं, न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों की उल्लेखनीय भागीदारी रही। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में सामाजिक समरसता, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई, जिससे बाबा साहब के विचारों को और गहराई से समझने का अवसर मिला। साथ ही, सभी ने संविधान की मूल भावना के प्रति अपनी निष्ठा दोहराई और यह संकल्प लिया कि न्यायिक प्रक्रिया में समानता और न्याय के मूल्यों को हमेशा प्राथमिकता दी जाएगी।