झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियां कमर कस चुकी हैं. सभी 81 विधानसभा सीटों पर नेता प्रचार में जुटे हुए हैं. इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच सीधा मुकाबला है. हरियाणा और जम्मू कश्मीर के चुनावी नतीजे सामने आने के बाद माना जा रहा है कि दो से तीन दिनों में चुनाव आयोग झारखंड और महाराष्ट्र में चुनावों की घोषणा कर सकता है.
झारखंड की राजनीति में, झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी का खास प्रभाव देखने को मिला रहा है। पार्टी इंडिया गठबंधन के साथ है और राज्य में सबसे अधिक सीटें हासिल करने का दावा करती है। पार्टी का यह दावा कैसे सफल होगा यह जाने के लिए द मूकनायक की एडिटर-इन-चीफ मीना कोटवाल ने जेजेएम की नेत्री व गांडेय की विधायक, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन मुर्मू से बात की।
आपका शुरू से राजनीति की ओर झुकाव नहीं रहा है, लेकिन अब आप पार्टी के लिए प्रचार करती हैं। लोग जानना चाहते हैं कि कल्पना क्या हैं?
मेरे पिता जी आर्मी में ऑफिसर थे। चूंकि यह जॉब बहुत पारदर्शी होती है तो उनकी पोस्टिंग देश के कई हिस्सों में होती थी। इसलिए हम लोगों ने भारत के बहुत हिस्सों में यात्रा की है। बहुत सारी चीजें सीखने को मिली हैं। उसके बाद मैंने उड़ीसा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। फिर, शादी हुई। उसके बाद मैंने एमबीए किया। अब मैं दो बच्चों की मां हूं। उसके बाद अब आप जो सामने देख रहे हैं वहीं कल्पना सोरेन हैं।
झारखंड में ऐसी परिस्थिति बनी कि पार्टी में आपकी जरूरत महसूस हुई, क्या आपने कभी ऐसा सोचा था कि आपको पूरी पार्टी संभालनी पड़ेगी?
मैं बस इतना कहना चाहूँगी कि महिला होने के नाते हम लोग हर परिस्थिति के लिए हमेशा तैयार होते हैं, चाहे घर की जिम्मेदारी हो या एक पार्टी की जिम्मेदारी। घर में परिवार के सदस्यों की संख्या थोड़ी कम होती है और पार्टी में लोगों की संख्या बढ़ जाती है। उस समय बहुत अच्छा लगा, क्योंकि जिस परिस्थिति में मेरा आगमन हुआ था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे इस तरह से आना पड़ेगा। मैंने यही सोच था कि आदरणीय पार्टी के हमारे सभी पदाधिकारी, गुरुजन और हेमंत सोरेन जी लोग ही सब देखेंगे, लेकिन जो परिस्थिति आई, और उसमें मुझे जो समझ में आया, मैंने एक परिवार की तरह ही पार्टी को संभालने का प्रयास किया। उस समय लगा कि अब एक और बड़ी जिम्मेदारी निभाने का वक्त आ गया है।
मुखमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चला, अचानक तमाम चीजें हुईं, क्या लगता है कि अगर सीएम समझौता कर लेते तो यह दिन सामने आते?
मैंने इसे इस तरीके से नहीं समझती हूं! मैं यह देखती हूं कि हमारे आदरणीय गुरु जी ने और हमारे क्रांतिकारी अगुआ साथियों ने इस झारखंड के लिए अपना बचपन, अपनी जवानी, और अब बुढ़ापे के पायदान पर आकार खड़े हुए हैं तो उन्होंने बहुत कुर्बानियां दी हुई हैं। उन्होंने अपने परिवारों को छोड़कर झारखंड को अपना परिवार माना है। उन्होंने यह कुर्बानी यह के लोगों के लिए, यहां के मुद्दों के लिए दी। तो मुझे लगता है जिस तरह से झारखंड आंदोलनकारियों का गढ़ है, ऐसे में आदरणीय हेमंत सोरेन जी ने भी अपने पूर्वजों से सीखकर अपनी जिम्मेदारी निभाई। और जो हमारे प्रमुख मुद्दे हैं, झारखंड के मुद्दे हैं उसे पहले चुना।
आप अभी लगातार रैली कर रहीं हैं, जो विश्वास, प्यार और साथ हेमंत सोरेन जी को मिल रहा था वह आपको मिल पा रहा है?
यह मैं आप लोगों से जानना चाहूँगी..! क्योंकि आप लोग जनसभाओं के कवरेज में थे। आप लोग धरातल पर उतर कर लोगों से पूछते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि इसका जवाब आप बेहतर जानते होंगे।
झारखंड में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या आपकी जनसभाओं में अधिक होती है, क्या महिलाओं को आपसे ज्यादा अपेक्षाएं हैं?
झारखंड में पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री जी ने हमारे आधी आबादी के चेहरों पर मुस्कुराहट लाने का काम किया है। ये मुस्कुराहट एक सम्मान है। हम घर की स्त्रियाँ, हम घर की गृहणी क्या चाहते हैं.. ? हम सुबह से लेकर रात तक शरीरिक से लेकर मानसिक रूप से खटते [घर के तमाम कार्य] हैं। लेकिन हम अपने परिवार और समाज से छोटे से स्नेह की उम्मीद करते हैं, छोटी सी तारीफ चाहते हैं। हमको उससे ज्यादा और कुछ नहीं चाहिए। तो यह हमारी झारखंड सरकार ने, हमारी गठबंधन सरकार ने, हमारी हेमंत सरकार ने झारखंड की आधी आबादी को दिया है।
यह कबीले तारीफ है, और मैं यह गर्व के साथ इसलिए कह रही हूं कि एक महिला होने के नाते अगर घर में दिनभर आप खटती हैं, और आखिरी में आपको कोई गले लगाकर, कोई पीठ थप-थापकर, कोई मीठे बोल बोलकर आपका तारीफ कर देता है तो वो सारी थकान उतार जाती है। मुझे लगता है कि यह एक भावना है। यह पहली बार है कि “मईया सम्मान योजना” में मईया हमारी ढ़ेर सारा आशीर्वाद देने जा रही हैं।
मईया सम्मान योजना क्या है और इसका लाभ कैसे उठा सकते हैं?
झारखंड सरकार ने, झारखंड मुख्यमंत्री मईया सम्मान योजना (JMMSY) में योजना के 18 वर्ष की बच्चियों से लेकर 50 वर्ष की की महिलों को समान रूप से हजार रुपए की राशि प्रति माह दिया जाता है। यह महिलाओं को सशक्त कराने का एक प्रयास है। जो खुशी मैंने उन महिलाओं के चेहरे पर देखी है, उनके अंदर जो विश्वास देखा है, उससे मुझे बहुत ज्यादा खुशी और ताकत मिलती है।
यह उन महिलाओं के लिए है जिनके लिए 100 रुपए यह 500 रुपए कमाना बहुत कष्टदायक है। कहीं न कहीं यह गृहणियों के लिए एक सम्मानजनक राशि है।
राज्य में अन्य विपक्षी पार्टी भी यहां चुनाव प्रचार कर रहे हैं, शिवराज सिंह चौहान कह रहे हैं कि हमारी पार्टी की सरकार बनी तो हम उक्त योजना में 2100 रुपए देंगे। तो इस चुनौती को आप कैसे देखते हैं?
आप सबसे पहले उस सोच को देखिए, उस भावना को देखिए। 2014 से लेकर 2019 तक भाजपा की ही सरकार थी। यह हमेशा बोलते रहते हैं कि हमें 5 साल पूरे किए हैं। तो मेरा सवाल यह है कि, जब आप (भाजपा) 5 साल थे तब आप ये योजना क्यों नहीं लेकर आए। तब तो आप आपकी सरकार केंद्र और राज्य में भी थी। उस समय आपने हमारी आधी आबादी के बारे में सोचने का प्रयास क्यों नहीं किया..! अगर झारखंड के बारे में कोई सोच सकता है तो वह है झारखंड का बेटा। कल को हम 2500 देने के लिए कहेंगे तो ये 5000 देने की बात करेंगे। जबकि, हम यह देना शुरू कर चुके हैं, लेकिन अभी यह “देंगे”।
इसलिए हमारा पहला सवाल उनसे हमेशा यही रहेगा कि जब आप सरकार में थे तब आपने हमारी आधी आबादी के बारे में क्यों नहीं सोच।
हमारा देश एक तरह से पुरुष प्रधान देश माना जाता है, जहां पुरुषों का ही राज चलता है। ऐसे में जब आप ग्राउंड पर उतरती हैं तो एक महिला होने के नाते आप क्या महसूस करती हैं?
आप चाहे किसी भी धर्म जाति से हों, आपको अपने ऊपर विश्वास रखना सबसे जरूरी है। मैं बच्चियों के लिए भी कहना चाहूंगी कि हमारे जो मुद्दे होते हैं उन्हें उठाने के लिए सिर्फ पुरुष ही क्यों होते हैं। हम भी तो इसे प्रखर होकर उठा सकते हैं। मैं झारखंड सहित भारत की सभी महिलाओं से कहना चाहती हूं कि आपको अपनी समस्या अपने मुख से बोलनी चाहिए। उनको किसी और के सहारे की जरूरत नहीं है।
कोई ऐसा काम बताएं जो आप अपने राजनीतिक करियर में करना चाहती थीं, उसे पूरा किया और कोई ऐसा काम जो अभी करना चाहती हैं?
एक विधायक के तौर पर कहूँ तो कल ही मैंने गांडेय में महिला कॉलेज का शिलान्यास किया है। मैं यह प्राण लिया था कि जब मेरा एलेक्शन का नॉमिनेशन था तब मैंने वहां के लोगों से वादा किया था कि मैं आपको एक महिला कॉलेज जरूर दूँगी। क्योंकि यह मेरा एक सपना था।
जहां तक बात है हमारे झारखंड सरकार की, तो सावित्री बाई फुले किशोरी समृद्धि योजना, जिसमें हम बच्चियों को 8वीं कक्षा से लेकर 12वीं तक 40 हजार रुपए की राशि देते हैं ताकि उनकी पढ़ाई न रुके। दूसरा हमारा है, सीएम स्कूल ऑफ एक्सिलेन्स, इसमें हम प्राइवेट स्कूलों के शिक्षा स्तर को अपने सरकारी स्कूलों तक लाने का प्रयास करते हैं। आप से घूम कर देख सकते हैं।
इसके अलावा हम फ़ॉरेन एजुकेशन के लिए अपने यहां के बच्चे-बच्चियों को बाहर पढ़ने के लिए भेजते हैं। इसलिए लिए बच्चों को एक भी रुपया अपनी जेब से नहीं देना पड़ता है। झारखंड सरकार उनका सारा खर्चा वहन करती है।
कोई ऐसा अनुभव बताएं जिसके बारे में आपको नहीं पता था, लेकिन ग्राउंड पर जाने के बाद पता चला?
समस्याएं बहुत सी हैं। जनसभाओं के दौरान, रैलियों में हम लोगों से मिले, यात्राएं की उस बीच कई चीजें जाने और समझे। कई गांवों में पानी की समस्याएं हैं, दूर-दराज के क्षेत्रों में स्कूल की कमी है। इसके अलावा, हमने देखा कि जो योजनाएं हम चला रहें हैं उसकी लोगों को और जरूरत है। अभी जो योजनाएं चल रहीं हैं उससे लोग बहुत खुश हैं। अभी हमें बहुत सारे क्षेत्रों में काम करना है। इसमें शिक्षा सबसे महत्वपपूर्ण है।
भाजपा परिवर्तन रैली कर रही है, क्या आप उसे चुनौती के तौर पर देख रहीं हैं?
चुनौती मेरी यह है कि हमारे झारखंड में बीजेपी ने कितने स्कूलों को बंद कराए, और हमे कितने खुलवा सकते हैं। कितने लोगों का पेंशन बीजेपी ने बंद करवाए, और हम कितनों को पेंशन दे सकते हैं। यह चुनौती है हमारी। झारखंड का पैसा हमारी झारखंड की जनता का पैसा है। आप यहां से कोयला लेकर जाते हैं, यहां से खनिज संपदा लेकर जाते हैं और हमें हमारे हक का पैसा तक नहीं देते। इसकी लड़ाई को कौन मजबूती देगा? यहां के मुद्दों को कौन उठाएगा? पिछड़ों का आरक्षण हो या सरना धर्म कोड का मामला, यहां विधान सभा से हम इन्हें पास कराते हैं और आगे जाकर हमारी फाइलें अटक जाती हैं। तो यह स्पष्ट है कि आपके मन में क्या है, आप क्या छिपाना चाहते हैं। हमारे मन में जो है, हम वह जनता के सामने मजबूती से रख रहे हैं।