नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने दलित नेताओं की लगातार उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस और अन्य जाति-आधारित राजनीतिक दलों पर तीखा हमला किया है। हरियाणा के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य का हवाला देते हुए उन्होंने इन दलों पर आरोप लगाया कि वे केवल मुश्किल समय में ही दलितों को याद करते हैं, जबकि सत्ता में आने पर उन्हें दरकिनार कर देते हैं।
एक्स पर एक पोस्ट में मायावती ने कहा, "देश में अभी तक के हुए राजनीतिक घटनाक्रमों से यह साबित होता है कि खासकर कांग्रेस व अन्य जातिवादी पार्टियों को अपने बुरे दिनों में तो कुछ समय के लिए इनको दलितों को मुख्यमंत्री व संगठन आदि के प्रमुख स्थानों पर रखने की जरूर याद आती है। लेकिन ये पार्टियाँ, अपने अच्छे दिनों में, फिर इनको अधिकांशतः दरकिनार ही कर देती हैं तथा इनके स्थान पर, फिर उन पदों पर जातिवादी लोगों को ही रखा जाता है, जैसा कि अभी हरियाणा प्रदेश में भी देखने के लिए मिल रहा है।"
उन्होंने आगे कहा कि, "जबकि ऐसे अपमानित हो रहे दलित नेताओं को अपने मसीहा बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर से प्रेरणा लेकर इन्हें खुद ही ऐसी पार्टियों से अलग हो जाना चाहिए तथा अपने समाज को फिर ऐसी पार्टियों से दूर रखने के लिए उन्हें आगे भी आना चाहिए।"
मायावती ने हरियाणा की प्रमुख दलित नेता कुमारी शैलजा का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए दलित नेताओं से आग्रह किया कि वे उन पार्टियों से दूरी बनाए रखें जो उनका अनादर करती हैं। उन्होंने डॉ. बीआर अंबेडकर की विरासत का हवाला देते हुए दलित नेताओं से आग्रह किया कि वे ऐसी राजनीतिक संस्थाओं से समर्थन वापस लेकर अपने समुदाय की गरिमा और आत्मसम्मान को बनाए रखें।
आरक्षण और संवैधानिक अधिकारों पर चेतावनी
मायावती ने दलितों के लिए आरक्षण के ऐतिहासिक विरोध के लिए कांग्रेस की आलोचना की, खासकर राहुल गांधी की हालिया टिप्पणियों का संदर्भ देते हुए, जिसमें आरक्षण समाप्त करने का संकेत दिया गया था। उन्होंने दलित, एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों को इन राजनीतिक संस्थाओं में "संविधान विरोधी और आरक्षण विरोधी" भावनाओं के प्रति सचेत रहने के लिए आगाह किया।
हरियाणा कांग्रेस में अंदरूनी कलह
मायावती की यह टिप्पणी हरियाणा कांग्रेस में चल रही अंदरूनी कलह के बीच आई है, जिसमें वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रमुख दलित चेहरा कुमारी शैलजा के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। चुनाव नजदीक आने के साथ ही शैलजा ने खुद को प्रचार अभियान से अलग कर लिया है, जिससे पार्टी में उनके भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि शैलजा ने उकलाना निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने में रुचि दिखाई थी, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया और इसके बजाय उनके भतीजे को टिकट देने की पेशकश की। शैलजा के इस पर सहमत न होने से पार्टी के भीतर मतभेद और बढ़ गए हैं।
एक आश्चर्यजनक मोड़ में, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शैलजा को भाजपा में शामिल होने का निमंत्रण दिया, क्योंकि कांग्रेस में उनकी भूमिका अनिश्चित बनी हुई है। पार्टी के घोषणापत्र लॉन्च सहित प्रमुख कार्यक्रमों से उनकी अनुपस्थिति ने चुनावों से पहले उनकी स्थिति और पार्टी की एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।