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MP: डिंडौरी में बैगा आदिवासियों की जमीनों पर फर्जीवाड़ा, दिग्विजय सिंह बोले - कोर्ट तक लड़ूंगा

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने डिंडौरी जिले में बैगा आदिवासियों की जमीनों की कथित तौर पर फर्जीवाड़ा, डराने-धमकाने और मनमानी कीमतों पर खरीदी को आदिवासियों के हक, पहचान और जीवनयापन से जुड़ा गंभीर मामला बताते हुए न्याय की लड़ाई कोर्ट तक ले जाने का ऐलान किया है। रविवार को डिंडौरी में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में दिग्विजय सिंह ने इस पूरे प्रकरण को ‘सुनियोजित साजिश’ बताया।

राष्ट्रपति को भी हुई चिंता

दिग्विजय सिंह ने कहा कि डिंडौरी के पिपरिया माल और बघरैली गांवों के बैगा आदिवासियों की जमीनें जिन परिस्थितियों में खरीदी गई हैं, उससे राष्ट्रपति तक चिंतित हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति ने खुद मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव से इस मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार को इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए।

बॉक्साइट परियोजना से जुड़ी है जमीन

पूर्व मुख्यमंत्री ने खुलासा किया कि जिन एक हजार एकड़ जमीनों की खरीद की गई है, वे बॉक्साइट परियोजना क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह जमीनें किसी आम उद्देश्य से नहीं बल्कि परियोजना से जुड़े फायदे के लिए खरीदी गई हैं। यह खरीददारी बिना आदिवासियों की वास्तविक सहमति और नियमों की अनदेखी करके की गई है।

गरीब लाभार्थियों के नाम पर खरीदी गई जमीनें?

दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाया कि कटनी जिले के जिन चार लोगों — रघुराज, राकेश, नत्थू और प्रहलाद — के नाम जमीन खरीदी गई है, उनमें से कुछ गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं और सरकारी योजनाओं के लाभार्थी हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि एक हजार एकड़ जमीन खरीदने के लिए पैसा कहां से आया?

उन्होंने कहा, "सरकार को जांच करनी चाहिए कि जमीन खरीद में असली निवेश किसका है? इन लोगों की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं कि इतनी बड़ी मात्रा में जमीन खरीद सकें,"

चौपाल लगाकर आदिवासियों से की बातचीत

दिग्विजय सिंह ने पिपरिया और चाड़ा गांवों का दौरा कर बॉक्साइट परियोजना प्रभावित क्षेत्रों में चौपाल लगाई और बैगा आदिवासियों से संवाद किया। उन्होंने जमीनों के पट्टे, दस्तावेज देखे और प्रभावित परिवारों की आपबीती सुनी। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वे ट्राइब्स ट्रिब्यूनल कोर्ट या जनजातीय मंत्रालय तक जाकर न्याय की मांग करेंगे।

दिग्विजय सिंह ने याद दिलाया कि अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में उन्होंने आदिवासियों की जमीनों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाए थे।

दिग्विजय सिंह ने कहा, "हमने व्यवस्था की थी कि कलेक्टर की अनुमति के बिना कोई भी आदिवासी जमीन नहीं खरीदी जा सकती। यह कानून आज भी लागू है, लेकिन उसका उल्लंघन हो रहा है,"

क्या कहता है कानून?

अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि की सुरक्षा के लिए पांचवीं अनुसूची और PESA कानून लागू हैं। इसके तहत बिना ग्रामसभा की अनुमति और सक्षम अधिकारी की सहमति के आदिवासी जमीनों की बिक्री अवैध मानी जाती है।

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