भोपाल। मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में मंगलवार को उस समय हालात तनावपूर्ण हो गए, जब सैकड़ों किसानों ने पाटन कृषि मंडी में उड़द की खरीद-फरोख्त को लेकर विरोध करते हुए जबलपुर-दमोह मार्ग पर चक्काजाम कर दिया। किसानों की मांग थी कि उनकी उड़द की फसल को कम से कम 6500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाए।
किसानों का यह आंदोलन तीन घंटे तक चला, जिसके कारण पाटन कस्बे के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। घटना की जानकारी मिलते ही एसडीएम मानवेंद्र सिंह, एसडीओपी, तहसीलदार और पाटन थाना पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को संभालने का प्रयास किया।
क्यों सड़कों पर उतरे किसान?
पाटन के किसानों ने बताया कि राज्य शासन ने उड़द और मूंग का समर्थन मूल्य 8200 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है, लेकिन मंडी में व्यापारियों द्वारा मात्र 5 हजार से 5800 रुपए प्रति क्विंटल तक की बोली लगाई जा रही है। उनका कहना था कि इस दर पर तो किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही।
किसान वीरेंद्र कुमार ने कहा, “अगर हमें 7000 रुपए प्रति क्विंटल भी मिलें, तभी हमारी थोड़ी बहुत भरपाई हो पाएगी,”
इसी तरह शहपुरा से आए किसान सूरज पटेल का कहना था कि उन्होंने शासन की प्रक्रिया के तहत रजिस्ट्रेशन तो करवा लिया है, लेकिन समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू नहीं हुई। मजबूरी में किसानों को कम कीमत पर व्यापारियों को फसल बेचनी पड़ रही है।
इधर, पाटन मंडी में उपस्थित व्यापारियों ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वे केवल अच्छी गुणवत्ता की उड़द की ही खरीदी कर रहे हैं और कीमत उसी के अनुरूप तय की जा रही है। व्यापारियों के अनुसार, इस साल रकबा बढ़ने से उड़द की आवक ज्यादा है, जिससे कीमतें गिर रही हैं।
रकबा बढ़ने से दाम गिरे
इस साल जबलपुर जिले में उड़द की खेती का रकबा 47,500 हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो कि बीते वर्षों की तुलना में अधिक है। साथ ही कटनी, नरसिंहपुर, सिवनी, दमोह जैसे जिलों से भी बड़ी मात्रा में उड़द पाटन मंडी में पहुंच रही है। पिछले साल उड़द के दाम 8500 से 9000 रुपए प्रति क्विंटल तक गए थे, लेकिन इस बार फसल अधिक होने से बाजार में दामों में गिरावट आई है।
कलेक्टर ने दिए निर्देश
किसानों के आंदोलन की खबर मिलते ही कलेक्टर दीपक सक्सेना ने स्थिति को गंभीरता से लिया और एसडीएम मानवेंद्र सिंह को मौके पर भेजा। साथ ही मंडी सचिव को निर्देश दिए गए कि मंडी परिसर में एक बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई जाए, जिससे किसान बिक्री दर की जानकारी पारदर्शी ढंग से देख सकें।
जबलपुर कलेक्टर ने दीपक सक्सेना ने कहा, "हमने अधिकारियों को मौके पर भेजा और मंडी में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। किसानों को बाजार दर की जानकारी सार्वजनिक रूप से मिले, यह हमारी प्राथमिकता है."
कुछ घंटे बाद खत्म हुआ धरना, शुरू हुई बोली
प्रशासन के हस्तक्षेप और बातचीत के बाद किसानों ने अपना धरना समाप्त कर दिया। इसके बाद मंडी में उड़द की बोली 6300 से लेकर 6700 रुपए प्रति क्विंटल तक लगनी शुरू हुई। हालांकि यह दर समर्थन मूल्य से काफी कम है, लेकिन कुछ हद तक किसानों को राहत मिली है।
भारतीय किसान संघ के प्रांत संगठन मंत्री राहुल धूत ने द मूकनायक से बातचीत में जबलपुर के किसानों का यह आंदोलन सरकार और प्रशासन के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि समर्थन मूल्य सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। जब तक बाजार में पारदर्शिता, समर्थन मूल्य की गारंटी और समय पर खरीदी सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक किसानों का विश्वास नहीं बन पाएगा।
किसानों की मुख्य मांगें
उड़द की खरीदी समर्थन मूल्य पर सुनिश्चित की जाए।
जब तक समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं होती, व्यापारियों पर नियंत्रण कर न्यूनतम दर तय की जाए।
मंडी में बिक्री मूल्य की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
खरीदी प्रक्रिया में देरी न हो, पंजीकृत किसानों से तत्काल खरीदी की जाए।