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यूपी: अकबरनगर में दोबार कब्जा रोकने के लिए 24 घंटे निगरानी, बस्तीवासी मकान-दुकान बचाने को हो रहे एकजुट

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की कुकरैल नदी के किनारे बसी अकबर नगर प्रथम व द्वितीय बस्ती में मकान खाली हो गए हैं या तोड़ दिए गए हैं। वहां दोबार कब्जा या निर्माण नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए नगर निगम ने विशेष निगरानी टीम गठित की है। ये टीम आठ आठ घंटे की तीन शिफ्ट में बस्ती में होने वाली गतिविधियों को नजर रखेगी। हर टीम के साथ लखनऊ विकास प्राधिकरण व नगर निगम का संयुक्त दस्ता भी रहेगा।

इधर, अकबरनगर बस्तीवासी अपने मकान व दुकान बचाने के लिए लगातार पब्लिक मीटिंग आयोजित कर रहे है। मकान व दुकान बचाने के लिए जरूरी कागजातों को एकत्र किया जा रहा है। वहीं आगामी रणनीति पर चर्चा की जा रही है।

अकबरनगर का एक घर

कुकरैल के दायरे में निर्माण हटाने की कार्रवाई पर 21 दिसम्बर को हाईकोर्ट ने चार सप्ताह के लिए रोक लगा दी है। इससे पहले काफी लोग घर व दुकान को खाली कर चले गए थे। ऐसे में इनपर दोबारा कब्जा या निर्माण नहीं होने पाए। इसको लेकर विशेष निगरानी की जा रही है। टीमें मौके पर बनाए गए कैम्प में रहेंगी। साथ ही अकबर नगर प्रथम व द्वितीय में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखेगी। अवैध गतिविधियों की सूचना अधिकारियों को देगी। साथ ही इसका वीडियो भी बनाएगी। इसको लेकर नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने आदेश भी जारी किया है।

तीन शिफ्ट में टीम रखेगी नजर

पहली टीम जोन-4 में तैनात पीसीएस अफसर की अगवाई में बनी है। इसमें उनके साथ अवर अभियंता सदानंद, दो सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। यह टीम सुबह छह से दोपहर दो बजे तक काम करेगी। दूसरी टीम अधिशासी अभियंता जोन-4 अतुल मिश्रा की अगुवाई में बनी है। इसमें अवर अभियंता विकास सिंह व दो सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। तीसरी टीम अधिशासी अभियंता पुनीत ओक्षा की अगुवाई में बनी हैं अवर अभियंता सनी विश्वकर्मा व दो पुलिसकर्मी शामिल हैं टीम रात दस बजे से सुबह छह बजे तक काम करेगी।

अधिवक्ता शाहीन

पेश करेंगे दस्तावेज

बस्ती निवासी एडवोकेट शाहीन खातून ने बताया कि एलडीए ने यह जमीन गृहविहीन समिति के सचिव बच्चू लाल के पक्ष में आवंटित की थी। 4 नवम्बर 1972 से 24 अक्टूबर 1974 तक यूपी में राज्यपाल रहे अकबरअली खां के नाम पर वर्ष 1973 में ही गृहविहीन समिति की ओर से बसाई गई बस्ती का नाम अकबरपुर रखा गया। कुकरैल के आस-पास बसे लोगों में कुछ को एलडीए के द्वारा नजूल (सरकारी) भूमि का आवंटन वर्ष 1983 में किया था। हम लोग इससे संबंधित सारे दस्तावेज एकत्र कर रहे है। हाईकोर्ट में होने वाली आगामी सुनवाई में हम यह दस्तावेज पेश करेंगे।

पहले क्यों नहीं तोड़ा अवैध निर्माण

कुकरैल के दायरे में 39 वर्षों से अवैध निर्माण हो रहा है, अब जब लोगों ने झोपड़ी से पक्के घर बना दिए तो उनपर बुल्डोजर चलाने की तैयारी है। एलडीए के पूर्व सचिव प्रभुनाथ मिश्र ने 19 अगस्त 1984 में संयुक्त सचिव को पत्र लिखा था कि जिसमें लिखा कि आवंटित नजूल भूमि के अतिरिक्त 284 लोग अवैधरूप से निर्माण करके कब्जा कर चुके है। इसके बाद भी एलडीए ने कोई कार्रवाई नहीं की। कस्बा निवासी बबली कहती हैं कि जब बस्ती अवैध थी तो पहले ही तोड़ देना चाहिए था। हम हमने अपना घर अपनी गृहस्थी बना ली तो सरकार को तोड़ने की याद आई है।

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