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मणिपुर: जिरीबाम हत्याकांड में हमर समुदाय के दो लोगों की गिरफ्तारी पर आदिवासी संगठनों का विरोध

चुराचांदपुर: मणिपुर के दो प्रमुख आदिवासी संगठनों ने जिरीबाम जिले में पिछले साल हुए छह मैतेई लोगों की हत्या के मामले में हमर समुदाय के दो व्यक्तियों की गिरफ्तारी पर आपत्ति जताई है। संगठनों ने एनआईए और असम पुलिस द्वारा की गई इस कार्रवाई को मनमाना और अन्यायपूर्ण बताया है।

चुराचांदपुर स्थित ‘हमर वीमेन एसोसिएशन’ (HWA) ने एक बयान जारी कर कहा, "हम थांगलिएनलाल हमर और लालरोसांग हमर की गिरफ्तारी को लेकर बेहद चिंतित हैं। ये दोनों व्यक्ति परिवार के पालनकर्ता हैं, दैनिक मज़दूरी करते हैं और उनका आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है।"

जानकारी के मुताबिक, थांगलिएनलाल हमर, जो असम के कछार जिले के मोइनाथोल दिल्कशोष घाट के निवासी हैं, को 31 जुलाई 2025 को एनआईए और असम पुलिस की संयुक्त टीम ने गिरफ्तार किया। वहीं, लालरोसांग हमर को मिज़ोरम की राजधानी आइजोल से पकड़ा गया।

महिला संगठन ने एनआईए पर भेदभावपूर्ण और मनमाने तरीके अपनाने का आरोप लगाते हुए दोनों व्यक्तियों की तत्काल रिहाई की मांग की है।

वहीं, एक अन्य संगठन 'कुकी-जो काउंसिल' ने भी गिरफ्तारी की आलोचना की है। संगठन ने कहा कि, "थांगलिएनलाल हमर एक निर्दोष नाविक हैं और उनका इस अपराध से कोई लेना-देना नहीं है। यह गिरफ्तारी दुर्भावनापूर्ण लगती है और इससे जांच की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं।"

गौरतलब है कि नवंबर 2024 में जिरीबाम में छह मैतेई व्यक्तियों का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी गई थी। इसी दिन, सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में दस संदिग्ध उग्रवादी मारे गए थे, जिनके शवों को बाद में पोस्टमॉर्टम के लिए असम भेजा गया।

इस घटना से मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच पहले से मौजूद जातीय तनाव और भड़क उठा, जिसकी चपेट में असम के कुछ क्षेत्र भी आ गए।

इसके बाद, असम सरकार ने अंतरराज्यीय सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी थी, और दिसंबर 2024 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह मामला एनआईए को सौंप दिया। तब से अब तक, केंद्रीय एजेंसी ने इस हत्याकांड में कई संदिग्धों की पहचान की है।

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