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LGBTQIA: झारखण्ड में एडवाइजरी कमेटी, तमिलनाडु और त्रिपुरा में योजनाओं की 'बारिश'

नई दिल्ली। LGBTQIA और TRANS समुदाय के लिए झारखंड, तमिलनाडु और त्रिपुरा में राज्य सरकार व स्वयंसेवी संस्थाओं ने कल्याणकारी योजनाओं का आगाज किया है। झारखंड में जहां राज्य सरकार ने कारपोरेट के साथ मिलकर एक एडवाइजरी कमेटी का गठन किया है। वहीं तमिलनाडु में मद्रास हाईकोर्ट के आदेशों के पश्चात समुदाय के कल्याण के लिए अलग से नीतियों का खाका तैयार किया जा रहा है। त्रिपुरा में समुदाय के लिए पेंशन स्कीम शुरू की गई है, जिसमें पात्र थर्ड जेंडर व्यक्ति को प्रतिमाह 2 हजार रुपए मिलेंगे।

समुदाय की बेहतरी के लिए करेंगे काम

झारखण्ड के जमशेदपुर में उत्थान संस्था ने एलाइंस इंडिया साहस प्रोजेक्ट के तहत एडवाइजरी बोर्ड का गठन किया है। कार्यक्रम की शुरुआत दीप जलाकर की गई, जिसमें टाटा स्टील वर्कस् यूनियन के अध्यक्ष टुन्नू चौधरी, यूथ इनटक के अध्यक्ष राकेश्वर पांडे, रांची हाई कोर्ट के एडवोकेट सोनल तिवारी और रांची रिनपास के एचओडी शामिल रहे। एडवाइजरी बोर्ड निर्माण का उद्देश्य है कि तृतीय लिंग समुदाय के लिए झारखंड में सही तरीके से कार्य किए जाएं। आने वाले समय में सभी जिलाधिकारियों के साथ मिलकर सैनिटाइजेशन प्रोग्राम किए जाएं।

द मूकनायक को उत्थान संस्था के सचिव अमरजीत ने बताया कि LGBTQIA समुदाय के लिए झारखंड में अब तक कोई कार्य नहीं हुआ। एडवाइजरी बोर्ड के तहत हम एक ब्रिज बनकर आगे बढ़ेंगे और बेहतर तरीके से समुदाय के लिए काम करेंगे। एडवाइजरी बोर्ड में यूथ इनटक अध्यक्ष राकेश्वर पांडे, रांची हाई कोर्ट के एडवोकेट सोनल तिवारी, समाज सेवी पूर्वी घोष, अनीता सिंह, उषा सिंह, एल.बी.एस.एम के प्रिंसिपल अशोक कुमार झा, एनी अमृता, रांची रिनपास, डॉ. मनीष किरण, संगीता, डालसा से योगीका कुमारी, रायन, मंजू रवि सिंह, रजिया किन्नर, डोली किन्नर व मधु किन्नर को शामिल किया गया है।

बनेंगी अलग से पॉलिसी

तमिलनाडु राज्य सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि LGBTQIA और ट्रांस व्यक्तियों के लिए अलग-अलग नीतियां तैयार की जा रही हैं। समाज कल्याण सचिव जयश्री मुरलीधरन ने मद्रास हाईकोर्ट में राज्य लोक अभियोजक हसन मोहम्मद जिन्ना के माध्यम से दायर की गई स्थिति रिपोर्ट में यह दलील दी है। यह रिपोर्ट गत सोमवार को न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश की पीठ के समक्ष तब पेश की गई, जब इस मुद्दे से संबंधित एक याचिका सुनवाई के लिए आई थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए फरवरी में समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों, ट्रांस समुदाय, LGBTQIA समुदाय, ट्रांस व्यक्तियों के कल्याण कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों सहित हितधारकों के साथ कई क्षेत्रीय परामर्श बैठकें आयोजित की गई थीं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बैठकों के दौरान उठाया गया मुख्य अनुरोध ट्रांस व्यक्तियों के लिए एक विशेष नीति और शिक्षा और रोजगार में आरक्षण था, क्योंकि वे कमजोर और हाशिए पर रहने वाले लोग हैं।

फरवरी में आयोजित एक बैठक में ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड के सदस्यों द्वारा आपत्तियां उठाई गईं और उन्होंने ट्रांस व्यक्तियों के लिए अलग नीति तैयार करने की वकालत की, जिसमें ट्रांस महिलाएं, ट्रांस पुरुष और अंतर-लिंग व्यक्ति शामिल हैं।

स्टेटस रिपोर्ट में बताया गया है कि तमिलनाडु राज्य ट्रांसजेंडर नीति, 2024 का अंग्रेजी मसौदा सरकार को 15 मई को प्राप्त हुआ है और अंग्रेजी मसौदे को मंजूरी मिलने के बाद तमिल अनुवाद को अंतिम रूप दिया जाएगा।

इसमें यह भी कहा गया है कि ट्रांस व्यक्तियों को बाहर करके LGBTQIA समुदाय के लिए मसौदा नीति को संशोधित करने के लिए कार्रवाई की गई है और इस प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी। न्यायमूर्ति आनंद वेंकटेश ने इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तीन महीने का समय दिया।

ट्रांसजेंडर सुरक्षा प्रकोष्ठ का गठन

त्रिपुरा के समाज कल्याण विभाग ने हर जिले में ट्रांसजेंडर सुरक्षा प्रकोष्ठ स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास शुरू किया है। इन प्रकोष्ठों का उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय के व्यक्तियों के लिए शिकायत निवारण केंद्र के रूप में काम करना है, जो उनकी अनूठी चुनौतियों और चिंताओं को संबोधित करते हैं।

समाज कल्याण और सामाजिक शिक्षा विभाग के निदेशक लालफक्तलिंगा ह्रंगचल ने हाल ही में दिए एक बयान में इन पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने उल्लेख किया, हमने ट्रांसजेंडर समुदाय के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए पहले ही राज्य ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड की स्थापना कर दी है। जिला मजिस्ट्रेटों से स्थानीय स्तर पर ट्रांसजेंडर सुरक्षा प्रकोष्ठ बनाने का आग्रह किया है। ये प्रकोष्ठ व्यक्तियों की सुरक्षा और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को संबोधित करेंगे।

इन सुरक्षा प्रकोष्ठों के अलावा, विभाग ने विशेष रूप से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए एक सामाजिक पेंशन योजना भी शुरू की है। यह योजना पात्र लाभार्थियों को 2,000 रुपए की मासिक पेंशन प्रदान करती है, जिसका उद्देश्य जरूरतमंद लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।

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