भोपाल। राजधानी भोपाल सहित पूरे मध्य प्रदेश में फ्लू और आई इंफेक्शन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की भीड़ देखने को मिल रही है। जय प्रकाश (जेपी) अस्पताल और हमीदिया अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। डॉक्टरों का कहना है कि शहर में लगातार बनी हुई नमी और उमस के कारण संक्रमण तेजी से फैल रहा है। अगर यही हालात बने रहे, तो अगले 15 दिनों में मरीजों की संख्या और बढ़ सकती है।
जेपी अस्पताल में जहां पहले हर दिन 80 से 100 मरीज पहुंचते थे, अब वहां 150 से ज्यादा लोग इलाज के लिए आ रहे हैं। इसी तरह, हमीदिया अस्पताल में ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या 100 से बढ़कर 130 तक पहुंच गई है। मरीजों को बुखार, खांसी, गले में खराश, सिरदर्द और बदन दर्द की शिकायत हो रही है। इसके अलावा, आई फ्लू के मरीजों में भी भारी वृद्धि देखी जा रही है। संक्रमित लोगों को आंखों में जलन, लालिमा, खुजली और पानी आने जैसी समस्याएं हो रही हैं।
संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए अस्पतालों में आई स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के पास मरीजों की लंबी कतारें लग रही हैं। मरीजों की संख्या बढ़ने से अस्पतालों की व्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ रहा है और डॉक्टरों को भी अधिक मेहनत करनी पड़ रही है।
संक्रमण बढ़ने के प्रमुख कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, इस संक्रमण के फैलने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं। बारिश के बाद मौसम में लगातार बदलाव हो रहा है। दिन में तेज धूप और गर्मी रहती है, जबकि सुबह और शाम को हल्की ठंडक होती है। इस बदलाव के कारण हवा में नमी बनी रहती है, जो बैक्टीरिया और वायरस के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करती है।
इसके अलावा, ठंड के बाद गर्मी शुरू होने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। कमजोर इम्यून सिस्टम होने के कारण संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। यही वजह है कि इस मौसम में सर्दी-खांसी, वायरल बुखार और एलर्जी जैसी बीमारियां तेजी से फैलती हैं।
फ्लू और आई फ्लू के मामलों में वृद्धि का एक बड़ा कारण भीड़भाड़ वाले इलाकों में संक्रमण का तेजी से फैलना है। जनवरी और फरवरी के महीने में अधिक संख्या में लोग घरों से बाहर निकलकर सार्वजनिक स्थानों पर अधिक समय बिताने लगते हैं। बाजार, सार्वजनिक परिवहन और भीड़भाड़ वाले इलाकों में संक्रमण फैलने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
आई फ्लू के बढ़ते मामले और विशेषज्ञों की राय
आई स्पेशलिस्ट डॉ. कविता कुमार के अनुसार, आई फ्लू एक संक्रामक बीमारी है, जो वायरस और बैक्टीरिया के संपर्क में आने से फैलती है। यह संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के तौलिये, तकिये और अन्य निजी वस्तुओं को इस्तेमाल करने से भी फैल सकता है। इसके अलावा, आंखों को बार-बार मलने और बिना हाथ धोए छूने से संक्रमण तेजी से फैलता है।
वर्तमान समय में, वातावरण में धूल, परागकण और प्रदूषण कण बढ़ गए हैं। इससे एलर्जी होने का खतरा भी बढ़ गया है। एलर्जी के कारण लोगों को आंखों में तेज खुजली महसूस होती है, जिससे वे बार-बार आंखें मलते हैं। यह आदत खतरनाक साबित हो सकती है, क्योंकि हाथों में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस आंखों में जाकर संक्रमण को बढ़ा सकते हैं।
संक्रमण से बचाव के उपाय
डॉक्टरों का कहना है कि आई फ्लू होने पर सबसे पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। बिना परामर्श के आई ड्रॉप का इस्तेमाल करने से संक्रमण और बढ़ सकता है। संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना चाहिए और अपनी आंखों को दिन में कई बार साफ पानी से धोना चाहिए।
संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए तौलिया, तकिया और अन्य निजी वस्तुओं को किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए। भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचना चाहिए और हाथों को बार-बार साबुन या सैनिटाइजर से धोना चाहिए।
विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह दी है कि वे इस दौरान स्वीमिंग पूल में जाने से बचें, क्योंकि पूल का क्लोरीनयुक्त पानी आंखों में जलन बढ़ा सकता है। इसके अलावा, अगर किसी को आई फ्लू हो गया है, तो उसे दूसरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए, ताकि संक्रमण को रोका जा सके।
स्वास्थ्य विभाग ने की फ्लू से निपटने की तैयारी
फ्लू और आई फ्लू के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है। अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है और डॉक्टरों को अतिरिक्त सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं। सरकारी अस्पतालों में ओपीडी का समय बढ़ाने और मरीजों के लिए विशेष इंतजाम करने की योजना बनाई जा रही है।
डॉक्टरों ने लोगों से अपील की है कि वे अपनी सेहत का ध्यान रखें और अगर किसी को फ्लू या आई फ्लू के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। संक्रमण को रोकने के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना जरूरी है।