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Ground Report: हरदा में मोरिंगा पाउडर से कुपोषण पर जीत, 90 दिनों में दौड़ने लगे बच्चे!

भोपाल/हरदा- मध्य प्रदेश के हरदा जिले में बच्चों के कुपोषण के खिलाफ एक अनोखा और प्रभावशाली प्रयास, 'हृदय अभियान हरदा,' चलाया जा रहा है। यह अभियान राज्य सरकार और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयासों का हिस्सा है, जो समाज के सबसे कमजोर वर्ग—बच्चों—के पोषण और स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध है। हरदा जिले के आदिवासी बहुल इलाकों में यह पहल एक नई उम्मीद लेकर आई है, जिसने अब तक 146 बच्चों को कुपोषण से मुक्त कर दिया है। "द मूकनायक" ने इस अभियान की जमीनी पड़ताल की है, जिसमें इसके उद्देश्य और समाज पर प्रभाव की असली तस्वीर पेश की है। पढ़िए हमारी ये ग्राउंड रिपोर्ट-

15 अगस्त 2024 को शुरू हुआ हृदय अभियान, दो महीनों के भीतर, अपने पहले चरण में उल्लेखनीय सफलता हासिल कर चुका है। गंभीर रूप से कुपोषित (सेम) और मध्यम कुपोषित (मेम) श्रेणी में आने वाले 225 बच्चों में से 146 बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर हुआ। इन बच्चों के बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) में 64.88 प्रतिशत सुधार दर्ज किया गया।

अभियान के दौरान हरदा जिले के 50 गांवों को कुपोषण मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस प्रयास में, बच्चों को पोषणयुक्त आहार देने के साथ-साथ उनके परिवारों को भी जागरूक किया जा रहा है।

मोरिंगा पाउडर कुपोषण के खिलाफ हथियार

अभियान में पोषण के लिए मोरिंगा पाउडर का उपयोग किया जा रहा है। यह पाउडर विटामिन, कैल्शियम, और आयरन से भरपूर होता है, लेकिन इसके कड़वे स्वाद को देखते हुए इसे फ्लेवर्ड ग्रेनुअल्स के रूप में तैयार किया गया। इसे बच्चों को दूध के साथ दिया जाता है।

रसलपुर गांव की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बिंदु धुर्वे ने द मूकनायक से बातचीत में बताया कि हृदय अभियान के तहत बच्चों को दिन में दो बार 10 ग्राम मोरिंगा और 10 ग्राम मिल्क पाउडर दिया जाता है। यह प्रक्रिया तीन महीने तक चलती है।

बिंदु कहती हैं, "शुरुआत में बच्चों को इसका स्वाद पसंद नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इसे अपनाया। अब बच्चों की सेहत में इतना सुधार हुआ है कि गांव की महिलाएं खुद हमारे पास आकर यह पाउडर मांग रही हैं।"

ग्रामीणों ने द मूकनायक से साझा की कहानियां

हरदा जिले के रसलपुर गांव की रहने वाली 35 वर्षीय कृष्णा बाई ने अपनी भावुक कहानी साझा की। उनके बेटे की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ रही थी। वह बेहद कमजोर हो गया था, उसके हाथ-पैर पतले हो गए थे, और वह सामान्य बच्चों की तरह खेल-कूद में भाग नहीं ले पाता था। कृष्णा बाई ने बताया, "हमने बहुत कोशिशें कीं, लेकिन बच्चे के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो रहा था। हमें चिंता थी कि कहीं हमारी छोटी सी लापरवाही बच्चे की जिंदगी पर भारी न पड़ जाए। तभी गांव की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने हमें मोरिंगा पाउडर और दूध पाउडर दिया। उन्होंने हमें इसे गर्म पानी में घोलकर बच्चे को दिन में दो बार पिलाने की सलाह दी। शुरुआत में बच्चे को यह पसंद नहीं आया, लेकिन धीरे-धीरे उसने इसे पीना शुरू कर दिया। दो महीने के भीतर ही बच्चा इतना मजबूत हो गया कि अब वह दौड़ता और खेलता है। हमारे लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था।"

रसलपुर गाँव मे बच्चों सहित घर के बाहर बैठी आदिवासी महिला

इसी गांव की एक अन्य महिला आरती ने अपने बेटे के बारे में बात करते हुए कहा, "मेरा बेटा समय से पहले जन्मा था और बेहद कमजोर था। उसका वजन एक किलो से भी कम था। हमने जितना हो सका उतना ध्यान रखा, लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। हर दिन उसे इस हालत में देखना हमारे लिए बहुत कठिन था। फिर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने हमें मोरिंगा पाउडर दिया। शुरुआत में हमें यकीन नहीं था कि यह इतना प्रभावी होगा। लेकिन दो महीने तक नियमित रूप से देने के बाद हमने देखा कि हमारे बच्चे की सेहत में सुधार होने लगा। उसका वजन बढ़ा, और वह अब पहले से कहीं ज्यादा स्वस्थ दिखने लगा। आज हमारा बेटा न केवल स्वस्थ है, बल्कि हमारे परिवार में खुशियों का कारण भी बन गया है।"

बच्चे के स्वास्थ्य होने से खुश है आरती

जिला महिला बाल विकास अधिकारी संजय त्रिपाठी ने बताया, "हरदा जिले में कलेक्टर के निर्देशन में यह अभियान चलाया जा रहा है। यह मोरिंगा पाउडर आधारित पहल पूरे प्रदेश में पहली बार यहां लागू की गई है। अभियान के अगले चरण की तैयारी हो रही है।"

सरकारी और समाजिक प्रयासों का एक बेहतरीन उदाहरण बना अभियान: कलेक्टर

कलेक्टर हरदा, आदित्य सिंह (IAS) ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, "हरदा जिले में 'हृदय अभियान हरदा' के तहत हमने कुपोषण की गंभीर समस्या से निपटने के लिए एक नई पहल शुरू की है, जो न केवल बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर रही है, बल्कि यह अभियान सामुदायिक जागरूकता और सहभागिता का भी प्रतीक बन चुका है। मोरिंगा पाउडर का उपयोग बच्चों के पोषण को सुधारने के लिए किया जा रहा है, और इसने अब तक 146 बच्चों की सेहत में उल्लेखनीय सुधार किया है। हमारे प्रयासों का उद्देश्य हरदा जिले के 50 गांवों को कुपोषण मुक्त बनाना है, और इस मॉडल की सफलता सामने भी आई है। यह अभियान सरकारी और समाजिक प्रयासों का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो बच्चों के बेहतर भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।"

मोरिंगा कुपोषण के लिए कारगर : डॉ. शर्मा

भोपाल के शासकीय प. खुशीलाल आयुर्वेदिक महाविद्यालय के उप अधीक्षक डॉ. विवेक शर्मा के अनुसार, मोरिंगा एक अत्यधिक पौष्टिक पौधा है जो कुपोषण से जूझ रहे लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय हो सकता है। उन्होंने बताया, मोरिंगा के पत्तों में आयरन, कैल्शियम, विटामिन A, C, और E की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने में मदद करती है। इसके अलावा, मोरिंगा में मौजूद फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को ताजगी और ऊर्जा प्रदान करते हैं, जिससे कुपोषण को दूर किया जा सकता है।

डॉ. शर्मा ने बताया कि मोरिंगा का नियमित सेवन विशेष रूप से बच्चों और महिलाओं के लिए फायदेमंद है, क्योंकि यह उनकी शारीरिक वृद्धि और स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी मोरिंगा उपयोगी है, क्योंकि यह आयरन और कैल्शियम की कमी को दूर करने में मदद करता है, जो कुपोषण से जुड़ी समस्याओं को रोकता है। इस प्रकार, मोरिंगा को आहार में शामिल करना कुपोषण के खिलाफ एक प्रभावी और प्राकृतिक उपाय हो सकता है।

प्रदेश के अन्य जिलों में शुरू होगा अभियान

अभियान की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि सामुदायिक भागीदारी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बड़ी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। अब प्रशासन इस मॉडल को अन्य जिलों में लागू करने की योजना बना रहा है, ताकि पूरे प्रदेश को कुपोषण मुक्त बनाया जा सके। हृदय अभियान केवल कुपोषण के खिलाफ एक पहल नहीं है, बल्कि यह सरकार और समाज के संयुक्त प्रयास का प्रतीक है। इसने न केवल बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार किया है, बल्कि समुदाय में जागरूकता भी फैलाई है।

क्या है मोरिंगा?

मोरिंगा, जिसे सहजन (सहजन की फली) भी कहा जाता है, एक पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है। इसकी पत्तियों में विटामिन A, C, E, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, और प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है, जो शरीर को आवश्यक पोषण प्रदान करती हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और सूजन को कम करते हैं।

मोरिंगा के पत्ते और फली

मोरिंगा का नियमित सेवन इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, पाचन में सुधार लाता है और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह दिल की सेहत के लिए फायदेमंद होता है और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में सहायक है। मोरिंगा के बीज, पत्तियां, और फली विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए उपयोगी हैं, जैसे कि त्वचा की देखभाल, बालों को पोषण देना और रक्त की कमी (एनीमिया) को दूर करना। इस पौधे का कृषि और पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह सूखा-प्रतिरोधी है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है।

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