उत्तर प्रदेश: टीवी चैनल के लाइव डिबेट में 'मनुस्मृति' के पन्ने फाड़ने के मामले में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका भारती के खिलाफ दर्ज किये गए FIR को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रद्द करने से इनकार कर दिया है. प्रियंका जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पीएचडी स्कॉलर भी हैं.
दरअसल, मनुस्मृति को महिला स्वतंत्रता विरोधी बताते हुए, इंडिया टीवी (India TV) के “विजय चौके से मुकाबला” कार्यक्रम में 18, दिसंबर 2024 को प्रियंका भारती ने उसकी प्रतियों के दो फाड़ कर दिया था. जिसकी 02 मिनट 01 सेकेण्ड की वीडियो क्लिप को उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर भी साझा किया था. इस दो मिनट के वीडियो पर कुछ ही देर में तेजी से प्रतिक्रियाएं आने लगीं थीं. कईयों ने “मनुस्मृति” को महिला विरोधी किताब करार देते हुए इसे फाड़ने और जलाने का समर्थन किया था, जबकि कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने प्रियंका को शारीरिक छति पहुंचाने और उनके खिलाफ नेरेटिव बनाना शुरू कर दिया.
मामले में, न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने 28 फरवरी को दिए गए आदेश में कहा कि "किसी धर्म विशेष की पवित्र पुस्तक" को फाड़ने से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि एक संज्ञेय अपराध किया गया है।
अदालत ने कहा कि वह इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती कि भारती एक उच्च शिक्षित व्यक्ति हैं और एक राजनीतिक दल के प्रवक्ता के रूप में टीवी चैनल में बहस में भाग ले रही थीं। इसलिए, वह यह दलील नहीं दे सकतीं कि यह कृत्य अज्ञानता में किया गया था।
प्रियंका भारती ने अलीगढ़ जिले के रोरावर थाने में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 299 के तहत दर्ज की गई प्राथमिकी (एफआईआर) को रद्द करने की मांग करते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
उन्होंने तर्क दिया था कि किसी व्यक्ति या धर्म की भावनाओं और भावनाओं का अपमान करने का कोई इरादा या जानबूझकर प्रयास नहीं किया गया था। हालांकि, न्यायालय ने एफआईआर को रद्द करने से अब इनकार कर दिया है।
प्रियंका के अधिवक्ता सैयद आबिद अली नकवी थे, जबकि राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता अमित सिन्हा रहे।
'मनुस्मृति' फाड़ने की नौबत क्यों आई?
पिछले साल 18 दिसंबर को इंडिया टीवी पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के डॉ. आंबेडकर से सम्बंधित विवादित बयान पर बहस चल रही थी. जिसे चैनल की एंकर मीनाक्षी जोशी होस्ट कर रहीं थीं. चैनल पर प्रसारित वीडियो की दो मिनट की क्लिप को प्रियंका भारती ने अपने एक्स हैंडल पर इस कैप्शन के साथ पोस्ट किया कि:
“आंबेडकर जैसा व्यक्ति भिक्षु आंबेडकर हो जाए तो किसी हिन्दू को सूतक नहीं लगने वाला... जहां बुद्ध स्वयं हार गए वहां अंबेडकर किस झाड़ की पत्ती है" ~सावरकर, इसी सावरकर से प्रेरित अमित शाह ने बाबा साहेब का अपमान करने की जुर्रत की है। इनके भगवान मनु के मनुस्मृति को हर बार फाड़ुंगी.
यहां यह उल्लेखनीय है कि, 25 दिसंबर, 1927 को डॉ. भीमराव अंबेडकर ने मनुस्मृति का सार्वजनिक दहन किया था. तभी से उनके अनुयायी व उनके प्रति श्रद्धा रखने वाले लोग इसे “मनुस्मृति दहन दिवस” के रूप में मनाते आ रहे हैं. साथ ही, डॉ. अंबेडकर मनुस्मृति को जातिवादी और पितृसत्तात्मक मानदंडों के खिलाफ मानते थे. उनके अनुसार, मनुस्मृति ऐसा हिंदू ग्रंथ है, जो जाति उत्पीड़न को संस्थागत बनाता था. निचली जातियों, विशेषकर दलितों और महिलाओं के शोषण और भेदभाव को उचित ठहराता था.