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MP पर लाडली बहना योजना बन रही बोझ! सरकार ने फिर लिया 5 हजार करोड़ का कर्ज

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने 26 नवंबर 2024 को 5,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। यह कर्ज रिजर्व बैंक की मुंबई शाखा के माध्यम से दो हिस्सों में लिया गया। पहला कर्ज 2,500 करोड़ रुपये का है, जिसे 20 साल बाद चुकाना होगा, जबकि दूसरा 2,500 करोड़ रुपये का कर्ज 14 साल में चुकाया जाएगा। इसके साथ ही, मौजूदा वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य सरकार अब तक 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि लाडली बहना की भारी-भरकम राशि के कारण प्रदेश पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।

बता दें सरकार पर कुल कर्ज का भार अब 3.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। यह राशि राज्य के कुल वार्षिक बजट (3.65 लाख करोड़ रुपये) से भी अधिक है। बढ़ते कर्ज ने प्रदेश के हर नागरिक को औसतन 50,000 रुपये का कर्जदार बना दिया है।

वर्ष 2023-24 और 2024-25: कर्ज का विस्तृत आंकडें

मध्य प्रदेश सरकार ने पिछले दो वर्षों में नियमित अंतराल पर बाजार से भारी कर्ज लिया है। इसका विस्तृत विवरण इस प्रकार है:

मौजूदा वित्तीय वर्ष 2024-25 में सरकार अब तक 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। 2023-24 और 2024-25 में लिए गए कर्ज का विवरण देखें तो 31 जनवरी 2023 को 2,000 करोड़ रुपये, 7 फरवरी 2023 को 3,000 करोड़ रुपये, 14 और 21 फरवरी 2023 को क्रमशः 3,000-3,000 करोड़ रुपये और 28 फरवरी 2023 को भी 3,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया। इसी तरह, 6 और 14 मार्च 2023 को क्रमशः 3,000 करोड़ और 2,000 करोड़ रुपये का कर्ज, 21 मार्च 2023 को 4,000 करोड़ रुपये और 28 मार्च 2023 को 1,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया।

आगे 30 मई 2023 को 2,000 करोड़ रुपये, 13 जून 2023 को 4,000 करोड़ रुपये, 12 और 21 सितंबर 2023 को 3,000 और 1,000 करोड़ रुपये का कर्ज, 26 सितंबर 2023 को 5,000 करोड़ रुपये, 3 अक्टूबर 2023 को 3,000 करोड़ रुपये और 23 अक्टूबर 2023 को 1,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया। इसके बाद 31 अक्टूबर 2023 को 2,000 करोड़ रुपये, 28 नवंबर 2023 को 2,000 करोड़ रुपये और 26 दिसंबर 2023 को 2,000 करोड़ रुपये का कर्ज जोड़ा गया। इसी सिलसिले में 2024 में 23 जनवरी को 2,500 करोड़ रुपये, 6 फरवरी को 3,000 करोड़ रुपये, 20 और 27 फरवरी को 5,000-5,000 करोड़ रुपये, और 26 मार्च को 5,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया। 2024-25 में 6 अगस्त, 27 अगस्त, 24 सितंबर, 8 अक्टूबर, और 26 नवंबर को भी 5,000-5,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया।

इन कर्जों के साथ राज्य पर कुल 3.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज हो चुका है। यह राज्य के कुल वार्षिक बजट (3.65 लाख करोड़ रुपये) से भी अधिक है। इस बढ़ते कर्ज का अर्थ यह है कि मध्य प्रदेश का हर नागरिक अब औसतन 50,000 रुपये का कर्जदार है। वित्तीय विशेषज्ञ इसे गंभीर चिंता का विषय मानते हैं, क्योंकि इन ऋणों का बड़ा हिस्सा मुफ्त योजनाओं और लोकलुभावन नीतियों में खर्च हो रहा है, जिससे विकास परियोजनाएं और रोजगार सृजन प्रभावित हो सकते हैं।

मध्य प्रदेश सरकार ने अपने बचाव में कहा है कि यह कर्ज विकास परियोजनाओं और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए लिया गया है। सरकार का दावा है कि इन ऋणों का उपयोग ग्रामीण बुनियादी ढांचे, जल संसाधन, ऊर्जा, और सड़क परियोजनाओं के विकास में किया जा रहा है।

राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम (FRBM) के अनुसार, राज्य सरकार अपनी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 3% तक ऋण ले सकती है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में सरकार को 65,000 करोड़ रुपये तक का कर्ज लेने की अनुमति है। इसके अलावा, आधा प्रतिशत अतिरिक्त कर्ज ऊर्जा और अन्य विशेष क्षेत्रों में खर्च करने के लिए लिया जा सकता है।

सरकार के इस वित्तीय प्रबंधन पर आलोचना भी हो रही है कि मुफ्त योजनाओं जैसे कि महिला भत्ते, किसानों को अनुदान, और बिजली सब्सिडी में अधिकांश कर्ज की राशि खर्च हो रही है। इससे राज्य पर कर्ज का दबाव बढ़ता जा रहा है।

लाड़ली बहना योजना के बढ़ते बजट और प्रभाव

मध्य प्रदेश की तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा 2023 में शुरू की गई लाड़ली बहना योजना महिलाओं के सशक्तिकरण और उनके आर्थिक उत्थान के उद्देश्य से लाई गई थी। इस योजना के तहत 23 से 60 वर्ष की उम्र की महिलाओं को हर महीने नकद सहायता के रूप में धनराशि दी जाती है। शुरुआत में यह राशि एक हजार रुपए प्रति माह तय की गई थी, जिसके लिए पहले साल में सरकार ने 12,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था।

योजना के पांच वर्षों में इसे 60 हजार करोड़ रुपए के बजट के साथ लागू किया गया था, जो राज्य के इतिहास में महिला केंद्रित योजनाओं में सबसे बड़ी आर्थिक आवंटन में से एक था। बाद में, इस योजना की राशि को बढ़ाकर 1,250 रुपए प्रति माह कर दिया गया है। इस वृद्धि के बाद सरकार को अतिरिक्त बजट की आवश्यकता पड़ी, जिसे वर्तमान वित्तीय वर्ष में संशोधित किया जा चुका है।

लाड़ली बहना योजना पर बढ़ते खर्च ने राज्य के कुल बजट पर भारी प्रभाव डाला है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की योजनाओं से महिलाओं को अल्पकालिक राहत तो मिलती है, लेकिन अगर इन्हें सही ढंग से लागू न किया जाए, तो राज्य की अन्य विकास योजनाएं और बुनियादी ढांचा प्रभावित हो सकते हैं।

यह सवाल उठता है कि इस योजना पर किए जा रहे भारी खर्च के बीच राज्य अन्य प्राथमिकताओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार सृजन के लिए पर्याप्त संसाधन कैसे जुटाएगा। वहीं, सरकार का दावा है कि यह योजना महिलाओं के जीवन स्तर को सुधारने और उनकी आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने में मददगार साबित होगी।

कांग्रेस ने कहा कर्ज की सरकार!

मध्यप्रदेश में कर्ज के बढ़ते बोझ को लेकर कांग्रेस ने डॉ. मोहन सरकार पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अभिनव बारोलिया ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर भारी कर्ज लिया जा रहा है, लेकिन उसका उपयोग जनता के हित में होता दिखाई नहीं दे रहा। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सड़कों की खस्ताहाल स्थिति और स्वास्थ्य व्यवस्था की दयनीय स्थिति से जनता पहले ही परेशान है। सरकार के दावों और वास्तविक स्थिति में बड़ा अंतर है।

बारोलिया ने आगे कहा कि राज्य के नागरिकों पर टैक्स का बोझ लगातार बढ़ रहा है। महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है, और इसके बावजूद सरकार पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी करने की बजाय इन्हें बढ़ा रही है, जिससे रोजमर्रा की चीजों की कीमतें भी बढ़ रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब राज्य की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है, तब सरकार द्वारा लिया गया कर्ज आखिर कहां जा रहा है। यह कर्ज अगर प्रदेश के विकास और जनता की भलाई में खर्च नहीं हो रहा, तो यह गंभीर चिंता का विषय है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी कहा कि सरकार को जवाबदेही निभाते हुए कर्ज के उपयोग का स्पष्ट ब्यौरा जनता के सामने रखना चाहिए। राज्य में पहले से ही महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है, और अब कर्ज का यह बोझ जनता के लिए और मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

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