तिरुवनंतपुरम- केंद्र सरकार ने केरल के सार्वजनिक शिक्षा क्षेत्र के लिए 15,000.27 करोड़ रुपये की धनराशि रोक दी है, क्योंकि राज्य ने प्रधान मंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम श्री) योजना को लागू करने से इनकार कर दिया है। यह विवाद केंद्र और राज्यों के बीच शिक्षा नीति पर गहरे मतभेदों को उजागर करता है, जिसमें केरल ने केंद्र पर अपनी नीतियों को थोपने का आरोप लगाया है।
देशाभिमानी समाचार पत्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र ने समग्र शिक्षा केरल (SSK) और दिव्यांग छात्रों के लिए अनुदान सहित 15,000.27 करोड़ रुपये की धनराशि रोकी है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में, केरल सरकार द्वारा सभी दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी कर देने के बावजूद, SSK की अंतिम दो किस्तें, कुल 513.54 करोड़ रुपये, बिना सूचना के रोक दी गईं।
केंद्र ने केरल से 336 स्कूलों को PM SHRI मॉडल स्कूलों में बदलने की मांग की है, जिसमें प्रत्येक ब्लॉक रिसोर्स सेंटर (BRC) के तहत दो स्कूल शामिल हैं। केंद्र का कहना है कि PM SHRI योजना के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करना धनराशि जारी करने की शर्त है। हालांकि, केरल ने 2020 में शुरू हुई इस योजना को लागू करने से इनकार कर दिया है।
केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात कर लंबित धनराशि जारी करने की मांग की। अभी तक केरल ने MoU पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। राज्य का दावा है कि PM SHRI योजना 2009 के शिक्षा अधिकार अधिनियम का उल्लंघन करती है, और वह धनराशि जारी कराने के लिए कानूनी कार्रवाई की योजना बना रहा है। शिवनकुट्टी ने कहा कि केंद्र की शर्तों के कारण 1,500 करोड़ रुपये की हानि हो सकती है, जिसे राज्य बर्दाश्त नहीं कर सकता।
केंद्र के धन रोकने से शिक्षण योजनायें चौपट
धनराशि रोकने से केरल की सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
मुफ्त यूनिफॉर्म और पाठ्यपुस्तकें: छात्रों को बुनियादी संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
स्कूल, लाइब्रेरी, और खेल अनुदान: स्कूलों की सुविधाएँ प्रभावित हो रही हैं।
दिव्यांग बच्चों के लिए सहायता: चिकित्सा उपकरण, थेरेपी, और छात्रवृत्तियाँ रुकी हुई हैं।
शिक्षक वेतन और प्रशिक्षण: 7,000 शिक्षकों के वेतन और प्रशिक्षण कार्यक्रम बाधित हैं ।
आवासीय छात्रावास और प्री-स्कूल: इन सुविधाओं का संचालन मुश्किल हो रहा है।
सामाजिक समावेश योजनाएँ: लड़कियों और वंचित समुदायों के लिए कार्यक्रम प्रभावित हो रहे हैं।
केरल का आरोप है कि यह राजनीतिक दबाव का परिणाम है, जो संघीय ढांचे और सहकारी संघवाद के खिलाफ है। इससे शिक्षा की गुणवत्ता और समानता को नुकसान पहुँच रहा है
क्या है पीएम श्री योजना
पीएम श्री योजना (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है जिसका उद्देश्य सरकारी स्कूलों को उन्नत बनाना है। इस योजना का मुख्य लक्ष्य सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता, बुनियादी ढांचे और छात्रों के प्रदर्शन में सुधार करना है. यह योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के कार्यान्वयन को प्रदर्शित करने और अनुकरणीय स्कूल बनाने पर केंद्रित है.
योजना की अवधि 2022-23 से 2026-27 तक है.
2022-23 और 2026-27 के बीच 14,500 से अधिक स्कूलों में इस योजना को लागू करने का प्रस्ताव किया गया था, जिसके लिए ₹ 273.6 बिलियन (US$3.2 बिलियन) का बजटीय आवंटन किया गया था.
स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग की वेब साईट पर पीएम श्री योजना Dashboard के अनुसार अब तक कुल 33 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों और केंविसं/नविस ने पीएम श्री योजना के कार्यान्वयन के लिए शिक्षा मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। 32 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों और केंविसं/नविस स्कूलों से 4 चरणों में कुल 12,079 स्कूलों का चयन किया गया है, जिनमें से 1329 स्कूल प्राथमिक, 3340 स्कूल प्रारंभिक, 2921 स्कूल माध्यमिक और 4489 स्कूल वरिष्ठ माध्यमिक हैं।
केरल PM SHRI योजना क्यों नहीं लागू कर रहा?
केरल सरकार ने PM SHRI योजना को लागू न करने का फैसला किया है, क्योंकि उसे आशंका है कि इससे शिक्षा पाठ्यक्रम पर केंद्र का नियंत्रण बढ़ जाएगा। इस योजना के तहत चुनिंदा स्कूलों को विकसित किया जाता है, जहाँ NEP 2020 के अनुसार पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा। इससे राज्य और केंद्रीय पाठ्यक्रम के बीच विभाजन पैदा होगा, जिसे केरल अपनी शिक्षा स्वायत्तता के लिए खतरा मानता है।
विशेष रूप से, NCERT पाठ्यपुस्तकों से मुगल इतिहास, गुजरात दंगे, मौलाना अबुल कलाम आजाद, डार्विन का विकासवाद सिद्धांत (Theory of Evolution), और महात्मा गांधी की हत्या जैसे विषय हटाए गए हैं। इन बदलावों को शिक्षा के “भगवाकरण” की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। केरल का कहना है कि यह उसकी धर्मनिरपेक्ष और समावेशी शिक्षा नीति के खिलाफ है।
इसके अलावा, PM SHRI स्कूलों को बेहतर सुविधाएँ मिलने से सामान्य सरकारी स्कूलों के छात्र इन स्कूलों की ओर पलायन कर सकते हैं, जिससे अन्य स्कूलों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। यह शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा दे सकता है, जो NEP का हिस्सा है और केरल इसे सार्वजनिक शिक्षा के लिए हानिकारक मानता है।
केरल के अलावा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल ने भी PM SHRI योजना को लागू करने से इनकार किया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्र पर “खुलेआम ब्लैकमेल” करने का आरोप लगाया है, जिसमें उन्होंने कहा कि केंद्र ने SSA फंड्स को रोककर राज्यों पर दबाव बनाने की कोशिश की है। तमिलनाडु ने तीन-भाषा नीति को अपनी दो-भाषा नीति (तमिल और अंग्रेजी) के खिलाफ माना है और इसे हिंदी थोपने की कोशिश बताया है। पश्चिम बंगाल ने स्कूलों के नाम में “PM SHRI” उपसर्ग जोड़ने और 40% लागत वहन करने से इनकार किया है।
दिल्ली और पंजाब ने शुरू में विरोध किया लेकिन बाद में MoU पर हस्ताक्षर कर लिए। दिल्ली ने अक्टूबर 2024 में MoU पर हस्ताक्षर किए। पंजाब ने अगस्त 2024 में योजना को स्वीकार किया। हालांकि, तमिलनाडु और केरल ने 2024 में MoU पर हस्ताक्षर करने की सहमति जताई थी, लेकिन मई 2025 तक केरल ने ऐसा नहीं किया।