"सरस्वती नहीं — शिक्षा की असली देवी सावित्री बाई फुले हैं" कहने वाली दलित शिक्षिका को 10 महीने से वेतन नहीं दे रही राजस्थान सरकार!

09:14 AM Jan 03, 2025 | Geetha Sunil Pillai

बारां /राजस्थान - भारत की पहली महिला अध्यापिका, लड़कियों और समाज के बहिष्कृत हिस्सों के लोगों को शिक्षा प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभाने वाली विद्या की देवी माँ सावित्री बाई फुले की आज 3 जनवरी को जयंती है.

माँ सावित्री बाई फुले हर महिला, खासकर दलित और बहुजन वर्ग के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। बाल विवाह, सती प्रथा, विधवा मुंडन जैसी अनेक कुरीतियों का विरोध करने वाली सावित्री बाई ने पितृ सत्तात्मक समाज का विरोध सहकर लडकियों के लिए पहला स्कूल खोला लेकिन, उनकी शिक्षा और समानता की विरासत को सम्मान देने की कोशिशें आज भी कई जगहों पर जातिवादी मानसिकता और दमनकारी तंत्र से टकरा रही हैं।

राजस्थान के बारां जिले में स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लकड़ई की शिक्षिका हेमलता बैरवा इसी संघर्ष का प्रतीक बन गई हैं। गणतंत्र दिवस 2024 के अवसर पर विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मंच पर केवल बाबा साहब और महात्मा गांधी की तस्वीरें देखकर कुछ लोगों द्वारा सरस्वती की तस्वीर रखने पर जोर दिया गया. हेमलता बैरवा ने उनको इनकार करते हुए स्पष्ट कहा था, "शिक्षा की असली देवी सावित्री बाई फुले हैं।" उनके इस साहसिक कदम ने स्थानीय जातिवादी मानसिकता को चुनौती दी, लेकिन इसके परिणामस्वरूप उनके खिलाफ विभागीय कारवाई के साथ एफआईआर हुई और उन्हें निलंबित कर दिया गया। उनका मुख्यालय बीकानेर किया गया था।

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कानूनी लड़ाई जीतकर अप्रैल माह में वे बहाल हो गईं, जुलाई में उन्हें पोस्टिंग भी मिली लेकिन मार्च 2024 से वेतन न मिलने के कारण हेमलता बैरवा और उनके परिवार को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।

उनके दो बच्चे, जो कोटा में रहकर नीट और रीट की तैयारी कर रहे हैं, कठिन परिस्थितियों में अपनी पढ़ाई जारी रखने को मजबूर हैं। कोटा में बच्चों के कमरे का किराया कई महीनों से बाकी है, वहीं हेमलता खुद छीपाबड़ौद में 2,000 रुपये किराये के कमरे में रहती हैं। पाई-पाई के लिए तरस रही हेमलता मजबूरी में एक वक्त का खाना खाकर गुजारा कर रही हैं ।

छीपाबडौद में हेमलता बैरवा का कमरा जिसमे सामान के नाम पर बिस्तर, कपड़े, जरूरी बर्तन और ये चित्र हैं,

सत्य की सज़ा या सिस्टम की साजिश?

हेमलता बैरवा प्रबोधक लेवल-1 राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लकडई (पीईईओ बांदीपुरा) किशनगंज जिला बारां में पदस्थापित थी लेकिन 26 जनवरी 2024 को सरस्वती बनाम सावित्री विवाद के बाद उनके विरुद्ध ना केवल FIR दर्ज हुई बल्कि विभाग द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई गई जिसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया।

दलित शिक्षिका ने अपने निलंबन को राजस्थान प्रशासनिक न्यायाधिकरण (RAT) में चुनौती दी, इसके बाद शिक्षा विभाग ने दिनांक 10.04.2024 द्वारा जांच विचाराधीन रखते हुए निलंबन से बहाल कर आगामी आदेशों तक इनका मुख्यालय मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, पंचायत छीपाबडौद, जिला -बारां नियत किया। माह जुलाई में जिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय) प्रारम्भिक, बारां पीयूष कुमार शर्मा ने हेमलता बैरवा का पदस्थापन (posting) राजकीय प्राथमिक विद्यालय, अहमदा में करने बाबत आदेश जारी किए। 

द मूकनायक से विस्तृत बातचीत में हेमलता ने बताया कि विभाग ने उन्हें जानबूझकर परेशान करने के लिए अहमदा में पोस्टिंग दी है.वे कहती हैं, " विद्यालय 25 किलोमीटर दूर ऐसी जगह पर है जहाँ से आने जाने का कोई साधन या बस नहीं, केवल अपने निजी वाहन से ही यात्रा कर सकते हैं लेकिन मैं एक एकल महिला हूँ और रोजाना 25 किलोमीटर सुनसान स्थान से आना जाना मेरे लिए संभव नहीं है. विवाद से पहले मैं लकडई स्कूल में पदस्थ थी और वहां अभी भी मेरा पद खाली है लेकिन मुझे वहां पोस्टिंग नहीं दी जबकि वो दोनों शिक्षक जिन्होंने गाँव वालों को भड़का कर सारा बवाल खडा किया था, वे आज भी वहीं कार्यरत हैं. "

हेमलता ने RAT में पुराने स्कूल में ही पोस्टिंग देने के लिए याचिका लगाई है जिसपर शुक्रवार, 3 जनवरी को सुनवाई होनी है. वर्तमान में हेमलता, छीपाबडौद में मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में ड्यूटी दे रही हैं. " रोजाना ड्यूटी के लिए घर से 150 किलोमीटर की यात्रा नहीं कर सकती इसलिए यहीं 2 हजार रूपये में कमरा किराए लिया है. सामान कुछ ख़ास नहीं- बस बिस्तर, थोड़े कपड़े, किताबें और जरूरी बर्तन हैं मेरे पास- हेमलता अपना कमरा दिखाते हुए कहती हैं". लेकिन जरूरी सामान में हेमलता अपनी आदर्श माँ सावित्री फुले की तस्वीर लाना नहीं भूली. हेमलता कहती हैं," सावित्री माता के साथ ज्योतिबा और बाबा साहब की तस्वीर हमेशा मेरे साथ रहती हैं, उनके सम्मान के लिए तो ये पूरी लड़ाई हैं, भला उन्हें कैसे छोड़ दूँ? "

बकाया वेतन के लिए कोर्ट की शरण नहीं लेने का कारण पूछने पर हेमलता कहती हैं कि वकील की फीस नहीं दे सकी इसलिए अर्जी नहीं लगी.

छह माह से किश्तें चुकी, बच्चों के कमरे का किराया भी चढ़ रहा

हेमलता सिंगल मदर होकर अपने दोनों बच्चों की परवरिश अकेले करती हैं. अपने पति से वे पिछले 4-5 वर्षों से अलग रहती हैं, बीएड पास होने के बावजूद वे कोई काम नहीं करते ना ही बच्चों की कोई जिम्मेदारी उठाते हैं. हेमलता ने बताया, " मेरा बेटा निहाल NEET की तैयारी कर रहा है, बेटी REET की कोचिंग कर रही हैं, दोनों एक साथ एक रूम में रहते हैं जिसका खाने रहने का खर्चा 7 हजार रुपया है. कई महीनों से ये पैसे भी नहीं चुका पा रहीं हूँ, मकान मालिक भी मेरे समाज के ही हैं, मेरी परेशानी समझते हुए कुछ ज्यादा कहते नहीं हैं, भले लोगों का सहयोग है कि जैसे तैसे दिन गुजर रहे हैं".

हेमलता ने विवाद से पहले SBI बैंक से पर्सनल और कार लोन ले रखा था लेकिन अब उनकी किश्तें भी करीब छह माह से अदा नहीं कर सकी हैं. वो कहती हैं, " अभी तक तो बैंक से कोई नोटिस नहीं आया है लेकिन यदि तनख्वाह जल्दी नहीं मिली तो मुश्किलें बढ़ जायेंगी". मुफलिसी का आलम यह है कि हेमलता एक वक्त ही खाना खाकर गुजर करने को विवश है. फीकी हंसी के साथ वो कहती हैं, " सुबह चाय-बिस्किट या ऐसा कुछ खा लेती हूँ फिर शाम को ही खाना खाती हूँ". मुश्किलों से भरे दिनों में हेमलता को अपने पिता और भाई का संबल है जो यथा सभव उनकी मदद करते हैं.

बकाया वेतन के लिए कोर्ट में अर्जी नहीं लगाने का कारण पूछने पर हेमलता कहती हैं कि वकील की फीस ज्यादा है जिसके कारण अभी प्रार्थना पत्र लगाने में असमर्थ हूँ.

गौरतलब है कि अनुसूचित जाति के अधिकारियों और कर्मचारियों के संगठन AJAK यानी डॉ. अंबेडकर अनुसूचित जाति अधिकारी कर्मचारी एसोसिएशन (एजेएके) ने हेमलता के निलंबन के बाद उनपर चल रहे कानूनी मामले से लड़ने के लिए वित्तीय सहायता के रूप में 50,000 रुपये सहायता प्रदान की थी। हेमलता को ऐसे अधिवक्ता की दरकार है जो उनकी मदद के लिए आगे आये.

एक साल से पुलिस ने नहीं की FIR पर कारवाई

हेमलता बैरवा की शिकायत पर पुलिस ने दो शिक्षकों भूपेंद्र सेन और हंसराज सेन समेत कुछ स्थानीय लोगों के खिलाफ अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम और आईपीसी की धाराओं 504 और 506 के तहत मामला दर्ज किया। बैरवा ने एफआईआर में संविधान के अनुच्छेद 28 का हवाला देते हुए सरकारी स्कूल में सरस्वती पूजा का विरोध किया था।

दूसरी ओर, ग्रामीणों ने बैरवा पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ आईपीसी की धाराओं 295ए और 153ए के तहत जवाबी शिकायत दर्ज कराई ।

हेमलता ने बताया कि पुलिस ने अभी तक किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, और मामला अभी भी जांच के अधीन बताते हुए पेंडिंग रखा है।

शिक्षिका ने बताया, " मैंने आईजी साहब से लेकर अन्य अधिकारियों से कई बार आरोपियों के विरूद्ध कारवाई का आग्रह किया लेकिन पुलिस जानकार चालान पेश नहीं कर रही है और दोषियों को बचा रही है, मेरा विरोध संविधान के प्रावधानों के आधार पर था और किसी की धार्मिक आस्थाओं को ठेस पहुंचाने का इरादा नहीं था।

आखिर में यह पूछे जाने पर कि क्या उसे अपने किये पर अफ़सोस है या आज भी सावित्री बाई फुले के सम्मान के लिए जंग करने को कटिबद्ध है, हेमलता कहती हैं, " मैंने कुछ भी गलत नहीं किया. माँ सावित्री बाई के योगदान के कारण ही आज मेरा वजूद है, चाहे कितनी भी परेशानी आये, मैं सावित्री- ज्योतिबा फुले, बाबा साहब और संविधान के सम्मान के लिए आगे भी अपनी लड़ाई जारी रखूंगी.

एक महीने पहले जारी कर दिया वेतन का आदेश : डीईओ

इस मामले में शिक्षा विभाग का पक्ष जानने के लिए द मूकनायक ने बारां के जिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय) प्रारम्भिक, पीयूष कुमार शर्मा से बात की. जिला शिक्षा अधिकारी से शिक्षिका का 10 माह से वेतन रोकने के पीछे कारण पूछा गया. साथ ही हेमलता बैरवा द्वारा दी शिकायत पर लकड़ई स्कूल के दोनों आरोपी शिक्षकों और हेडमास्टर के विरुद्ध किसी भी तरह की कारवाई पर जानकारी भी चाही गई।

शर्मा ने बताया कि हेमलता को वेतन देने के आदेश वे करीब एक माह पहले जारी कर चुके हैं, उन्होने कहा, " आदेश मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, पंचायत छीपाबडौद, को भेजे भी जा चुके हैं, उनको अभी तक मिला नहीं क्या वेतन? उनको वेतन नहीं मिला हो तो मुझे बताना चाहिए था, वे संपर्क में नहीं रहीं, बाकी मेरे ऑफिस की तरफ से वेतन का कोई मसला पेंडिंग नहीं है" .

डीईओ ने बताया कि चुनाव में आचार संहिता के कारण पोस्टिंग में देरी हुई थी, शर्मा ने कहा, " उनसे उनकी चॉइस की जगह पूछी मैंने तो उन्होंने अपने घर के पास किसी भी जगह लगाने को कहा, फिर मैंने 25 किलोमीटर दूर अहमदा में पोस्टिंग दी लेकिन फिर वे इसपर स्टे ले आयीं और अभी मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी पर पदस्थ हैं".

आरोपी शिक्षकों और हेडमास्टर के विरुद्ध शिकायत के सवाल पर शर्मा ने कहा कि ये विभागीय जांच का मामला है जो अभी चल रही है. पुलिस का केस अलग है लेकिन विभाग द्वारा जांच अभी जारी है.

राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से भी शिक्षिका को वेतन नहीं देने की वजह जानने के लिए मेसेज भेजा गया.कोई जवाब प्राप्त होने पर खबर को अपडेट किया जाएगा.