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'जय भीम' और 'फ्री फिलिस्तीन' नारे लिखने के आरोप में मुस्लिम छात्र को कॉलेज ने निकाला लेकिन मद्रास हाईकोर्ट ने दी राहत, परीक्षा की अनुमति मिली

चेन्नई- मद्रास उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में राजीव गांधी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूथ डेवलपमेंट (RGNIYD), श्रीपेरंबुदूर के एक छात्र एस. असलम की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है। संस्थान ने असलम को "जय भीम" और "फ्री फिलिस्तीन" जैसे नारे हॉस्टल की दीवारों पर लिखने के आरोप में निलंबित कर दिया था। जस्टिस टी.वी. तमिलसेल्वी की एकल पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए न केवल निलंबन आदेश पर अंतरिम रोक लगाई, बल्कि छात्र को अपनी पढ़ाई पूरी करने और परीक्षा में शामिल होने की अनुमति भी दी।

एस. असलम, केरल के कोल्लम जिले का एक मेधावी छात्र है, जो RGNIYD में सामाजिक कार्य (सोशल वर्क) में मास्टर्स की डिग्री के अंतिम वर्ष में पढ़ रहा है। याचिका के अनुसार, असलम ने सभी परीक्षाओं को बिना किसी बैकपेपर के उत्तीर्ण किया है और अपनी पढ़ाई के प्रति पूरी निष्ठा दिखाई है। 24 मई को संस्थान के सहायक रजिस्ट्रार अविनव ठाकुर, हॉस्टल वार्डन और सहायक वार्डन के साथ हॉस्टल परिसर का दौरा कर रहे थे, जब उन्होंने दीवारों पर "जय भीम" और "फ्री फिलिस्तीन" जैसे नारे लिखे पाए। इसके बाद, संस्थान ने एक जांच समिति गठित की, जिसके अध्यक्ष तीसरे प्रतिवादी थे, और इसमें अन्य प्रतिवादी भी शामिल थे।

असलम का आरोप है कि जांच समिति ने उनके खिलाफ पक्षपातपूर्ण और अवैध तरीके से कार्रवाई की। याचिका में कहा गया कि 25 मई को दोपहर 2:45 बजे व्हाट्सएप के जरिए उन्हें जांच के लिए बुलाया गया, लेकिन उन्हें उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों की स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। इसके अलावा उन्हें अपनी सफाई देने या दस्तावेजी सबूत पेश करने का उचित अवसर भी नहीं दिया गया। याचिका में यह भी दावा किया गया कि जांच समिति पर सहायक रजिस्ट्रार अविनव ठाकुर का प्रभाव था, जिनके खिलाफ झारखंड में एक यौन उत्पीड़न का मामला लंबित है, जिसे असलम और अन्य छात्रों ने उजागर किया था।

25 मई को जारी आदेश (RIGNIYD/Admin/2025-2026/058) में असलम को "राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों" में शामिल होने का दोषी ठहराते हुए संस्थान से निलंबित कर दिया गया। असलम ने इस आदेश को चुनौती देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय में रिट याचिका (WP No. 19760 of 2025) और दो मिसलेनियस याचिकाएं (WMP No. 22188 और 22189 of 2025) दायर कीं। याचिका में कहा गया कि निलंबन आदेश संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करता है।

न्यायमूर्ति टी.वी. थमिलसेल्वी ने याचिका पर सुनवाई करते हुए असलम के पक्ष में महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा, "छात्र के भविष्य को देखते हुए, अगर उसे परीक्षा और इंटर्नशिप कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई, तो इससे उसे बहुत अधिक कठिनाई होगी।" इस आधार पर, कोर्ट ने निलंबन आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी और संस्थान को निर्देश दिया कि असलम को परीक्षा में शामिल होने के लिए हॉल टिकट जारी किया जाए और उन्हें सामाजिक कार्य विभाग में ब्लॉक प्लेसमेंट कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति दी जाए। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि असलम को पढ़ाई जारी रखने के लिए संस्थान के व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल किया जाए।

न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 25 जून को निर्धारित की और सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। निजी नोटिस की भी अनुमति दी गई।

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