125 दिन के आंदोलन के बाद आखिर मिली राहत: छत्तीसगढ़ में 2621 बीएड सहायक शिक्षकों का विज्ञान प्रयोगशाला सहायक पद पर होगा समायोजन

03:50 PM Apr 30, 2025 | Geetha Sunil Pillai

रायपुर- छत्तीसगढ़ में बीएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों के 125 दिनों तक चले आंदोलन के बाद आखिरकार राज्य सरकार ने उनके लिए राहत भरा फैसला लिया है। बुधवार को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सीधी भर्ती 2023 में सेवा समाप्त किए गए 2621 बीएड अर्हताधारी सहायक शिक्षकों को सहायक शिक्षक विज्ञान (प्रयोगशाला) के पद पर समायोजित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि यह फैसला हजारों शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

छत्तीसगढ़ में बीएड सहायक शिक्षकों का यह आंदोलन तब शुरू हुआ जब सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसलों के बाद उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं। बीएड और डीएड प्रशिक्षित शिक्षकों की योग्यता को लेकर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 10 दिसंबर, 2024 को एक महत्वपूर्ण आदेश दिया कि प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्ति के लिए डीएड उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। हाईकोर्ट के आदेश के बाद लगभग 2900 बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों को नौकरी से हटा दिया गया।

ये शिक्षक 2018 में एनसीटीई (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद) के नियमों के तहत भर्ती हुए थे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनकी योग्यता पर सवाल उठे, जिसके चलते बर्खास्तगी के आदेश जारी किए गए। शिक्षकों ने इस आदेश को अन्यायपूर्ण मानते हुए इसे वापस लेने की मांग करते हुए आन्दोलन छेड़ दिया। 

इस फैसले के खिलाफ शिक्षकों ने 14 दिसंबर 2024 को अंबिकापुर से रायपुर तक पैदल अनुनय यात्रा शुरू की, जो 19 दिसंबर को रायपुर पहुंचकर धरने में बदल गई।

शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर अनोखे और प्रभावशाली तरीकों से विरोध प्रदर्शन किया। इनमें शामिल थे:

  • रक्तदान शिविर: धरना स्थल पर शिक्षकों ने रक्तदान कैंप आयोजित किया।

  • सामूहिक मुंडन: पुरुष और महिला शिक्षकों ने सामूहिक मुंडन करवाकर सरकार का ध्यान आकर्षित किया।

  • जल सत्याग्रह: शिक्षकों ने ठंड के बावजूद पानी में खड़े होकर हनुमान चालीसा का पाठ किया और जल सत्याग्रह किया।

  • खून से पत्र: शिक्षकों ने अपनी मांगों को उजागर करने के लिए खून से पत्र लिखकर सरकार को भेजा।

  • कैंडल मार्च और दंडवत यात्रा: 12 जनवरी 2025 को माना चौक से शदाणी दरबार तक दंडवत यात्रा निकाली गई, और विभिन्न अवसरों पर कैंडल मार्च आयोजित किए गए।

इन प्रदर्शनों के दौरान शिक्षकों को पुलिसिया दमन और गिरफ्तारियों का भी सामना करना पड़ा। 1 जनवरी 2025 को बीजेपी कार्यालय के घेराव के दौरान 30 शिक्षकों को गिरफ्तार किया गया। इसके बावजूद, शिक्षकों ने हार नहीं मानी और अपनी मांगों को लेकर डटे रहे।

उच्च स्तरीय समिति का गठन

शिक्षकों की बर्खास्तगी के बाद उपजे विवाद को सुलझाने के लिए राज्य सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया, जिसके अध्यक्ष मुख्य सचिव अमिताभ जैन थे। समिति में शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेसी भी शामिल थे। समिति ने तीन बैठकों में शिक्षाविदों और डीपीआई अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया। समिति ने सुझाव दिया कि बर्खास्त शिक्षकों को सहायक शिक्षक विज्ञान (प्रयोगशाला) के पद पर समायोजित किया जा सकता है। इस सुझाव को कैबिनेट ने स्वीकार कर लिया।

शिक्षकों का कहना था कि उनकी नौकरी उनके परिवार की आजीविका का आधार थी। पूर्व प्राचार्य राजेश कुमार चटर्जी ने कहा कि अधिक योग्यता हासिल करना कोई अपराध नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि बीएड डिग्रीधारियों को सहायक शिक्षक विज्ञान के पद पर समायोजित किया जाना चाहिए, क्योंकि इसके लिए न्यूनतम योग्यता हायर सेकेंडरी विज्ञान है, जिसमें बीएड धारी उपयुक्त हैं।

कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने भी बीएड धारकों के समायोजन की वकालत की और सुझाव दिया कि डीएड धारकों को अन्य पदों पर नियुक्त किया जा सकता है।

30 अप्रैल 2025 को कैबिनेट की बैठक में लिए गए फैसले ने शिक्षकों के आंदोलन को एक सुखद अंत प्रदान किया। वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने इस निर्णय को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि यह न केवल शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित करेगा, बल्कि शिक्षा क्षेत्र में भी सकारात्मक बदलाव लाएगा।

शिक्षकों ने इस फैसले का स्वागत किया है और इसे अपनी एकता और संघर्ष की जीत बताया। हालांकि, समायोजन प्रक्रिया में आने वाली प्रशासनिक और कानूनी रुकावटों को दूर करने के लिए सरकार को अभी और कदम उठाने होंगे।