नई दिल्ली: एक बड़े फैसले में, राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCPA) ने आगामी जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने को मंजूरी दे दी है। इस बात की जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कैबिनेट ब्रीफिंग के दौरान दी।
वैष्णव ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुसार, जनगणना केंद्र का विषय है। उन्होंने बताया, "कुछ राज्यों ने जातियों की गणना के लिए सर्वेक्षण—मैं फिर दोहरा रहा हूं, सर्वेक्षण—कराए हैं। कुछ राज्यों ने यह कार्य पारदर्शिता के साथ किया, जबकि कुछ ने इसे राजनीतिक उद्देश्य से किया, जिससे जनता के बीच संदेह पैदा हुआ है।"
जातिगत गणना को पारदर्शी तरीके से कराने की जरूरत पर बल देते हुए वैष्णव ने कहा, "हमारी सामाजिक संरचना को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाने और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए, जातिगत गणना को सीधे जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए। इससे सामाजिक और आर्थिक ढांचा मजबूत होगा और देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता रहेगा।"
वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 30 अप्रैल 2025 को राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने यह निर्णय लिया कि आगामी जनगणना में जातिगत गणना को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा, "यह निर्णय सरकार की समाज और देश के मूल्यों व हितों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह उन पूर्ववर्ती सरकारों के विपरीत है जिन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) को 10% आरक्षण प्रदान किया था, लेकिन समाज में किसी प्रकार का तनाव उत्पन्न नहीं होने दिया।"
कांग्रेस पर निशाना
कांग्रेस और उसके INDIA गठबंधन पर हमला करते हुए वैष्णव ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने जातिगत जनगणना के मुद्दे का केवल राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग किया है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकारें जातिगत जनगणना नहीं करवा सकीं और केवल सर्वेक्षण कराती रहीं।
वैष्णव ने कहा, "कांग्रेस सरकारों ने हमेशा जातिगत गणना का विरोध किया और स्वतंत्रता के बाद से हुई जनगणनाओं में जाति को शामिल नहीं किया।"
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल का जिक्र करते हुए वैष्णव ने कहा, "2010 में डॉ. सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जातिगत जनगणना के विषय को कैबिनेट में भेजा जाएगा। इसके लिए एक समूह भी गठित किया गया था और कई दलों ने इसका समर्थन किया था। इसके बावजूद, कांग्रेस सरकार ने केवल जातिगत सर्वेक्षण कराया, जनगणना नहीं। इससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस और उसका गठबंधन जातिगत गणना के मुद्दे का केवल राजनीतिक उपयोग करता रहा है।"