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4 लाख करोड़ के पार हुआ MP सरकार पर कर्ज: हर नागरिक पर 50 हजार रुपये से अधिक का भार!

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार एक बार फिर बाजार से भारी कर्ज लेने जा रही है। राज्य सरकार ने इस बार 5 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने की योजना बनाई है। यह कर्ज दो हिस्सों में लिया जाएगा। पहले हिस्से में 2,500 करोड़ रुपये का कर्ज लिया जाएगा, जिसे 21 वर्षों में चुकाना होगा। दूसरे हिस्से में भी 2,500 करोड़ रुपये का कर्ज लिया जाएगा, लेकिन इसकी अदायगी अवधि 17 वर्षों की होगी। इस कर्ज को जुटाने के लिए गवर्नमेंट सिक्योरिटीज का विक्रय किया जाएगा। इन सिक्योरिटीज पर साल में दो बार ब्याज का भुगतान किया जाएगा, जिससे निवेशकों को भी इस पर लाभ मिलेगा। इधर, कांग्रेस ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रदेश कर्ज में डूबता जारहा है।

राज्य सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया जा चुका है। इस नए कर्ज के साथ यह राशि बढ़कर 30 हजार करोड़ रुपये हो जाएगी। हालांकि, यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब राज्य पर कुल कर्ज का आंकड़ा 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। इसका सीधा असर प्रदेश के हर नागरिक पर पड़ता है। औसतन, मध्य प्रदेश के प्रत्येक नागरिक पर अब 50 हजार रुपये से अधिक का कर्ज है।

राज्य की वित्तीय स्थिति पर असर

मध्य प्रदेश सरकार का वार्षिक बजट 3.65 लाख करोड़ रुपये का है। लेकिन प्रदेश पर कर्ज का भार इससे भी अधिक हो चुका है। सरकार का तर्क है कि यह कर्ज विकास परियोजनाओं और आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए लिया जा रहा है। इसके साथ ही सरकार ने अपनी वित्तीय स्थिति को ठीक बताया है। लेकिन यह भी सच है कि इस कर्ज का बड़ा हिस्सा मुफ्त योजनाओं और जनकल्याणकारी कार्यक्रमों को पूरा करने में खर्च हो जाता है।

कर्ज लेने की वैधानिक सीमा

राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (FRBM) अधिनियम के अनुसार, राज्य सरकार अपने सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) का तीन प्रतिशत तक कर्ज ले सकती है। मौजूदा वित्तीय वर्ष 2024-25 में सरकार को 65,000 करोड़ रुपये तक कर्ज लेने की अनुमति है। इसके अतिरिक्त, आधा प्रतिशत ऋण ऊर्जा और अन्य विशेष परिस्थितियों के लिए लिया जा सकता है। सरकार का दावा है कि यह कर्ज आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए लिया जा रहा है।

कर्ज और प्रदेश के नागरिकों पर प्रभाव

मध्य प्रदेश पर 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज का भार राज्य की वित्तीय स्थिति के लिए चिंता का विषय है। प्रति नागरिक कर्ज 50 हजार रुपये से अधिक हो चुका है, जिससे यह स्पष्ट है कि कर्ज का भार न केवल सरकार पर बल्कि आम जनता पर भी पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार द्वारा कर्ज का उपयोग लंबे समय तक लाभ देने वाली परियोजनाओं में होना चाहिए, न कि केवल अल्पकालिक योजनाओं को पूरा करने में।

आर्थिक विशेषज्ञों और विपक्षी दलों ने राज्य सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि सरकार द्वारा लिए गए कर्ज का बड़ा हिस्सा मुफ्त की योजनाओं और सब्सिडी पर खर्च हो रहा है। इससे राज्य का राजकोषीय घाटा बढ़ रहा है और दीर्घकालिक विकास परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं।

मध्यप्रदेश में बढ़ते कर्ज को लेकर कांग्रेस ने डॉ. मोहन सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अभिनव बारोलिया ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि सरकार भारी कर्ज ले रही है, लेकिन इसका उपयोग जनता के हित में नहीं दिख रहा। खस्ताहाल सड़कों और दयनीय स्वास्थ्य व्यवस्था से जनता पहले ही परेशान है, जबकि टैक्स और महंगाई का बोझ लगातार बढ़ रहा है।

बारोलिया ने सवाल उठाया कि राज्य की खराब आर्थिक स्थिति के बावजूद लिया गया कर्ज कहां जा रहा है। उन्होंने सरकार से कर्ज के उपयोग का स्पष्ट ब्यौरा सार्वजनिक करने की मांग की, क्योंकि महंगाई और बेरोजगारी के बीच यह बोझ जनता की मुश्किलें और बढ़ा सकता है।

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