नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मध्य प्रदेश के दो पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी में चार महीने से अधिक की देरी के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से स्पष्टीकरण मांगा है। ये अधिकारी एक 26 वर्षीय दलित युवक की हिरासत में हुई कथित मौत के मामले में शामिल हैं।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने राज्य सरकार को भी यह निर्देश दिया है कि वह दोनों पुलिसकर्मियों, जिनकी पहचान संजीव सिंह मवई और उत्तम सिंह कुशवाहा के रूप में हुई है, के खिलाफ की गई विभागीय कार्रवाई का ब्योरा अदालत के समक्ष प्रस्तुत करे।
शीर्ष अदालत ने इस बात पर गौर किया कि 15 मई के स्पष्ट निर्देश के बावजूद पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार नहीं किया गया था। एजेंसी तब हरकत में आई जब अदालत ने मुख्य सचिव को तलब करने की चेतावनी दी।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, "आप इतने दिनों में उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं कर सके? सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इस तरह पालन नहीं किया जाता है। आपने इसलिए कार्रवाई की क्योंकि हमने कहा था कि हम आज मुख्य सचिव को उपस्थित होने के लिए कहेंगे। आप बताएं कि ऐसा क्यों हुआ। हम इस मामले को बंद नहीं करने जा रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "आपको यह भी बताना होगा कि विभागीय कार्रवाई का क्या हुआ? अब किस प्रक्रिया का पालन करने की आवश्यकता है? सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिए जाने के बावजूद उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की। यह अपने आप में अदालत की अवमानना है।"
इससे पहले 23 सितंबर को भी शीर्ष अदालत ने 14 जुलाई को म्याना पुलिस स्टेशन में देवा पारधी की हिरासत में हुई मौत के मामले में शामिल पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने में विफलता के लिए सीबीआई को फटकार लगाई थी। पीठ ने तब कहा था, "यह इस तरह नहीं चल सकता। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आप कार्रवाई करने में असमर्थ हैं। तो फिर इसका क्या फायदा? आप लाचारी जता रहे हैं! ...कृपया लाचारी न जताएं।"
पीठ ने यह भी चेतावनी दी थी, "अगर एकमात्र गवाह को कुछ भी होता है और हिरासत में कोई दूसरी घटना होती है, तो हम आपको बख्शेंगे नहीं।"
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान, सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल राजा ठाकरे ने अदालत को बताया कि दोनों पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्होंने जानकारी दी, "उत्तम सिंह को 27 सितंबर को इंदौर से गिरफ्तार किया गया, जबकि संजीव सिंह को 5 अक्टूबर को शिवपुरी से हिरासत में लिया गया। वे फिलहाल इंदौर जेल में बंद हैं।"
हालांकि, पीठ ने कहा कि ये गिरफ्तारियां "इस अदालत द्वारा की गई कड़ी टिप्पणियों के बाद" हुई हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा, "इन परिस्थितियों में, हम निर्देश देते हैं कि संबंधित प्रतिवादी (सीबीआई) यह स्पष्टीकरण दाखिल करे कि इस अदालत के 15 मई, 2025 के आदेश का पालन करने में चूक क्यों हुई और उक्त अधिकारियों की गिरफ्तारी 27 सितंबर, 2025 और 5 अक्टूबर, 2025 को ही क्यों की गई। प्रतिवादी-राज्य (मध्य प्रदेश सरकार) यह भी बताए कि इन अधिकारियों के खिलाफ आगे क्या विभागीय कार्रवाई की गई है।"
इस मामले पर अगली सुनवाई 6 नवंबर को होगी।