बाड़मेर- राजस्थान के रेगिस्तानी जिले बाड़मेर में थार महोत्सव 2025 ने अपनी भव्यता से पर्यटकों और स्थानीय लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। 8 और 9 अक्टूबर को आयोजित इस दो दिवसीय उत्सव में लोक नृत्य, शोभायात्राएं, ऊंट दौड़ और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने थार की रेत को रंगीन बना दिया। लेकिन इस महोत्सव की चमक को थार सुंदरी प्रतियोगिता के चयन पर उठे जातिवादी भेदभाव के आरोपों ने एक काला धब्बा लगा दिया है।
प्रतियोगिता में दूसरा स्थान हासिल करने वाली रिंकू ने खुलेआम आरोप लगाया है कि विजेता नक्षत्री चौधरी का चयन उनकी जाति के आधार पर किया गया, जबकि वह खुद योग्यता के हर पैमाने पर विजेता बनने की हकदार थीं। रिंकू ने अपनी 4 साल की मेहनत, परिवार की चेतावनियों और भेदभाव की सच्चाई को बयां करते हुए कहा कि अगली बार कोई लड़की ऐसी प्रतियोगिता में तैयार होकर नहीं आएगी।

35 तोला सोने के गहनों से सजी नक्षत्री बनी विनर
8 अक्टूबर को आयोजित समारोह में थार सुंदरी का खिताब 22 वर्षीय नक्षत्री चौधरी को प्रदान किया गया। नक्षत्री वर्तमान में मुंबई में रहकर बीए की पढ़ाई कर रही हैं. उन्होंने बताया कि वे खासकर इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कुछ दिन पहले ही बाड़मेर आई थीं. साथ ही वे एनएसएस स्वयंसेविका के रूप में समाज सेवा से भी जुड़ी हैं. उन्होंने कहा कि थार सुंदरी बनना उनके लिए सम्मान की बात है और वे भविष्य में गर्ल्स एजुकेशन व सशक्तिकरण के लिए काम करेंगी.नक्षत्री ने प्रतियोगिता में लगभग 52 लाख रुपये के आभूषण पहनकर सभी का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने 35 तोला सोने के गहनों से सजी पारंपरिक राजस्थानी पोशाक में मंच पर उतरीं, जो थार की समृद्धि का प्रतीक बनी। इसी समारोह में थार श्री का खिताब मोटर मैकेनिक धर्मेंद्र सिंह डाबी को मिला, जिनकी भव्य मूंछें और दाढ़ी ने दर्शकों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।
हालांकि, विजेता घोषणा के तुरंत बाद विवाद भड़क उठा। दूसरा स्थान हासिल करने वाली रिंकू ने मंच पर ही आपत्ति जताई और कहा कि चयन प्रक्रिया में जातिगत भेदभाव हुआ है। रिंकू के अनुसार, वह योग्यता के हर पैमाने पर विजेता नक्षत्री से बेहतर थीं, लेकिन उनकी निचली जाति के कारण उन्हें न्याय नहीं मिला। यह आरोप सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जहां एक वीडियो में रिंकू की भावुक अपील ने हजारों लोगों का ध्यान खींचा।

रिंकू की 4 साल की मेहनत पर फिरा पानी, परिवार ने चेताया था
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और स्थानीय साक्षात्कारों में रिंकू ने अपनी पीड़ा खुलकर बयां की। पारंपरिक राजस्थानी वेशभूषा में सजी रिंकू, जो भारी आभूषणों से लदी हुई थीं, ने कहा, "सबसे ज्यादा जेवेलरी मेरी थी, उसने प्रॉपर जेवेलरी नहीं पहनी थी। सबने कहा आप ही फर्स्ट आओगे तो वो कैसे फर्स्ट आ गई??" उन्होंने अपनी 4 साल की तैयारी का जिक्र करते हुए बताया, "मैं इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए 4 साल से तैयारी कर रही थी। " दो साल पहले उसके पास जेवेलरी नहीं थी पूरी इसलिए नहीं आ सकी, इस बार पूरी तैयारी करके आई, पूरी कॉन्फिडेंट थी और सबने कहा वह सबसे अच्छी लग रही है। " सबने बोला आप फर्स्ट हो फिर उसको फर्स्ट कैसे मिल गया? उसके पास पूरी ज्वेलरी भी नहीं है। आप उसको मेरे पास खड़ा करके चेक तो कर लो।"
थार महोत्सव बाङमेर
— Hetram Gothwal (@hetramgothwal1) October 8, 2025
जाति देखकर विजेता घोषित करने के आरोप
यहा भी जातिवाद, @8PMnoCM @RajCMO pic.twitter.com/ChCKyOI5N2
रिंकू ने भेदभाव की जड़ों को उजागर करते हुए कहा, "यहाँ भेदभाव होता है और इसी वजह से लड़कियां भाग नहीं लेतीं, इस बार केवल 13 लड़कियां आईं।" उन्होंने परिवार की चेतावनियों का भी जिक्र किया: "मेरे घरवालों ने पहले ही मना किया था कि भले ही जा तैयार होकर, तेरे को कोई नहीं लेने वाला। अभी मैं घर पर जाऊंगी तो मुझे आगे कहीं भी नहीं जाने देंगे, यहाँ भी मैं लड़ झगड़ के आई हूँ। घरवालों ने मना ही किया था क्योंकि उनको पता है कौन फर्स्ट आएगा क्योंकि हमारी कास्ट वाले फर्स्ट आ ही नहीं सकते। भले कितना भी कर लो... ऐसा ही है, बड़ी कास्ट वाले ही आगे आते हैं, छोटी कास्ट वाले आगे नहीं आ सकते।"
वीडियो में रिंकू की आवाज में गुस्सा साफ झलकता है। वह आगे कहती हैं, "अगली बार कोई लड़की यहाँ तैयार होकर नहीं आएगी, मेरे ख्याल से सब इसका विरोध करेंगी। कौन टाइम वेस्ट करेगा यहाँ पर आके?" पुरुष विजेता धर्मेंद्र डाबी के चयन पर टिप्पणी करते हुए रिंकू ने कहा, " वो कैसे हुए नहीं पता लेकिन लड़कियों के साथ ऐसा ही होता है।"
रिंकू की जाति के बारे में स्रोतों का कहना है कि वह अनुसूचित जाति (एससी) से हैं, जबकि विजेता नक्षत्री चौधरी जाट समुदाय से ताल्लुक रखती हैं, जो राजस्थान में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अंतर्गत आता है।
विवाद के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। फेसबुक और इंस्टाग्राम पर पोस्ट्स में लोग लिख रहे हैं, "थार महोत्सव में भी जातिवाद? शर्मनाक!" कुछ ने जिला प्रशासन से जांच की मांग की है। सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने महोत्सव पर पहले ही पैसों की बर्बादी का आरोप लगाया था, लेकिन जातिवाद पर उनकी कोई टिप्पणी नहीं आई।