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CJI गवई पर जूता उछालने वाले वकील राकेश किशोर ने कहा- "मैं दलित हूं... बुद्ध के विचारों से प्रभावित, फिर ऐसा करूंगा"

नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने का प्रयास करने वाले 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने एक नया और चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने खुद को 'दलित' बताते हुए कहा है कि अब वह भगवान विष्णु के मंदिर में भूख हड़ताल शुरू करेंगे। साथ ही, उन्होंने धमकी देते हुए कहा, "अगर भगवान ने फिर बुलाया, तो मैं यह काम दोबारा करूंगा।"

सोशल मीडिया पर अपनी जाति को लेकर चल रही चर्चाओं का जवाब देते हुए किशोर ने ओपइंडिया से बातचीत में कहा, "लोग मुझे जानते नहीं, मैं न पांडे हूं, न तिवारी, न गुप्ता और न जायसवाल- मैं एक दलित हूं और मैं अपना जाति प्रमाण पत्र दिखाने के लिए तैयार हूं।" उन्होंने CJI के खिलाफ अपनी कार्रवाई को दलित समुदाय के प्रति मानसिकता का प्रतीक बताया।

इस विवाद की शुरुआत CJI द्वारा भगवान विष्णु को लेकर दी गई एक टिप्पणी से हुई थी। जब किशोर से पूछा गया कि क्या CJI की टिप्पणी जानबूझकर थी, तो उन्होंने जवाब दिया, "नहीं, वह टिप्पणी जानबूझकर नहीं थी, लेकिन CJI के मन में जो है वह बाहर आ गया। मुझे दुख है कि हिंदुओं का एक वर्ग कट रहा है और उन्हीं लोगों ने मेरे घर को घेरा था।"

'बुद्ध के विचारों से प्रभावित हूं'

जूता फेंकने की घटना के बाद भी किशोर ने अपने कृत्य पर कोई पछतावा जाहिर नहीं किया। उन्होंने दावा किया कि उनकी कार्रवाई बौद्ध धर्म के गहन अध्ययन से प्रेरित थी। उन्होंने कहा, "किसी और के लिए बौद्ध धर्म का इतना ज्ञान हासिल करना मुश्किल है जितना मेरे पास है। मैंने गौतम बुद्ध को सबसे अधिक पढ़ा है। मैं भगवान बुद्ध के विचारों से प्रभावित हूं।"

अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए किशोर ने कहा कि उनका मिशन सनातन धर्म और भगवान विष्णु की पूजा की रक्षा करना है। उन्होंने कहा, "मेरा लक्ष्य भगवान विष्णु की मूर्ति को पुनर्स्थापित करना है।" सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा, "आप जानते हैं कि वे कौन लोग हैं जो सिर को धड़ से अलग करने में दिलचस्पी रखते हैं। कन्हैयालाल कुमार की हत्या कर उसका वीडियो बनाया गया और उसके हत्यरे अब भी स्वतंत्र घूम रहे हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "मेरा अगला कदम खजुराहो में भगवान विष्णु के मंदिर में जाना है। मैं भूख हड़ताल पर जाऊंगा। मुझे भगवान का आदेश मिला है। मेरा संदेश है कि चुपचाप मत बैठो। सनातन के लिए जागो, अपने बच्चों को आगे लाओ।"

इस घटना ने धर्म, जाति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक बड़ी बहस का रूप ले लिया है। किशोर के खुले बयानों और माफी मांगने से इनकार ने इस विवाद को जारी रखा है, जिस पर समर्थकों और आलोचकों दोनों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। राकेश किशोर की हरकत पर चीफ जस्टिस गवई ने भले ही कारवाई नहीं करने की बात करते हुए बड़ा दिल दिखाया हो लेकिन देशभर में कई वकील संगठन और दलित अधिकार समूह इस घटना को लेकर आक्रोशित हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कर्नाटक और पंजाब में राकेश किशोर के विरुद्ध कई जीरो FIR दर्ज किये गए हैं।

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