मिट्टी के लिए कब्र से कंकालों को निकाल फेंका! गुजरात में खनन माफिया की बर्बरता से दलित समुदाय आहत, CM से न्याय की गुहार

04:38 PM Jun 16, 2025 | Geetha Sunil Pillai

सुरेन्द्रनगर - जिले के लिंबडी तालुका के परनाला गांव में खनन माफिया ने मानवता को शर्मसार करने वाला कृत्य किया है। इस गांव में अनुसूचित जाति समुदाय के श्मशान घाट को निशाना बनाकर अवैध मिट्टी खनन किया गया और वहां दफनाए गए मानव कंकालों को बाहर निकालकर फेंक दिया गया। इस घिनौने कार्य ने न केवल समुदाय की धार्मिक और भावनात्मक भावनाओं को ठेस पहुंचाई, बल्कि क्षेत्र में भय और सांप्रदायिक तनाव का माहौल भी पैदा कर दिया। ग्रामीणों ने इस मामले में स्थानीय प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता पर गहरा रोष जताया है और मुख्यमंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, सुरेन्द्रनगर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत सौंपकर त्वरित कार्रवाई की मांग की है।

परनाला गांव की लीलाबेन मकवाणा और दलित समुदाय के अन्य लोगों ने सुरेन्द्रनगर कलेक्टरेट में एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें इस घटना का विस्तृत ब्योरा दिया गया। उनके अनुसार माफिया लोगों ने श्मशान घाट को क्षतिग्रस्त किया और अवैध खनन के दौरान वहां दफन कंकालों को बेरहमी से बाहर निकालकर फेंक दिया। इस कृत्य से मृतकों के परिजनों की भावनाएं गहरी रूप से आहत हुई हैं। इतना ही नहीं, इन आसामाजिक तत्वों ने गांव के सरपंच के अधिकारों का भी सम्मान नहीं किया और श्मशान घाट को चारों तरफ से बंद कर दिया, जिससे समुदाय के लिए उसका उपयोग करना असंभव हो गया।

इस मामले में स्थानीय समुदाय ने कई बार स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को मौखिक और लिखित रूप से सूचित किया, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि खनन माफिया की मनमानी और प्रशासन की चुप्पी ने उन्हें मजबूर कर दिया है कि वे उच्च अधिकारियों तक अपनी बात पहुंचाएं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में तत्काल कार्रवाई नहीं की गई और कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसके लिए जिला प्रशासन पूरी तरह जिम्मेदार होगा।

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उनका कहना है कि खनन माफिया ने न केवल अवैध मिट्टी खनन करके प्राकृतिक संसाधनों की लूट की बल्कि जानबूझकर अनुसूचित जाति के कब्रिस्तान को निशाना बनाकर सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) और अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एट्रोसिटी एक्ट) के तहत मामला दर्ज करने और आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है। इसके अलावा, अवैध खनन में उपयोग किए गए सभी वाहनों को जब्त करने और भारी जुर्माना लगाने की मांग भी की गई है।

ग्रामीणों ने यह भी मांग की है कि उनके मोहल्लों में पुलिस सुरक्षा की व्यवस्था की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। साथ ही ग्राम पंचायत को भूमि हड़प अधिनियम के तहत कार्रवाई करके श्मशान घाट को दबंग तत्वों के कब्जे से मुक्त कराने की मांग की गई है। समुदाय ने यह भी अनुरोध किया कि खनन माफिया का आपराधिक इतिहास जांचा जाए और यदि वे इस तरह के अपराधों में बार-बार शामिल पाए जाते हैं, तो उन्हें जिले से निष्कासित किया जाए।

इसके अतिरिक्त दलित समुदाय ने श्मशान घाट के विकास और सुरक्षा के लिए कई ठोस सुझाव दिए हैं। उन्होंने मांग की है कि श्मशान घाट तक पहुंच के लिए पक्की सड़क बनाई जाए, चारों ओर सुरक्षा दीवार और गेट बनाए जाएं, बैठने के लिए बेंच लगाए जाएं, पेड़ लगाए जाएं और उपकरण रखने के लिए एक कमरा बनाया जाए। इन कार्यों के लिए ग्राम पंचायत, तालुका पंचायत और जिला पंचायत से अनुदान स्वीकृत करवाने की मांग की गई है। साथ ही, जिला विकास अधिकारी से विशेष अनुदान के माध्यम से श्मशान घाट के विकास कार्यों को मंजूरी देने का अनुरोध किया गया है।

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए समुदाय ने मांग की है कि डिप्टी कलेक्टर, मामलतदार और पुलिस उपाधीक्षक की एक संयुक्त टीम बनाकर घटनास्थल का दौरा किया जाए और जिला कलेक्टर के माध्यम से राज्य सरकार को एक तथ्यात्मक रिपोर्ट सौंपी जाए। इस घटना को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताते हुए समुदाय ने प्रशासन से त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई की अपील की है।

नवसर्जन ट्रस्ट के सामाजिक कार्यकर्ता किरीट राठौड़ ने परनाला गांव का दौरा किया और इस मामले में मुख्यमंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, सुरेन्द्रनगर कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को लिखित ज्ञापन सौंपा। उन्होंने इस घटना को अनुसूचित जाति समुदाय के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश करार दिया और प्रशासन से इसकी गहन जांच और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।