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राजस्थान के इस गाँव में 2022 में मेघवाल समाज ने निकाली थी बिन्दौली तो सवर्णों ने कर दिया बहिष्कृत,अब फिर से होने वाला ब्याह तो सताने लगा डर!

राजसमंद- देश में जहां जाति गणना को लेकर बहस छिड़ी हुई है, वहीं राजस्थान के राजसमंद जिले के टाड़ावाड़ा गुजरान गाँव में मेघवाल समाज के परिवार पिछले तीन साल से जातिवाद का दंश झेल रहे हैं।

गुर्जर बाहुल इस गाँव में मेघवाल समाज के 20 परिवारों को 2022 में बिन्दौली निकालने के कारण उच्च जातियों द्वारा सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर दिया गया था। अब, जब गाँव में मेघवाल समाज के एक युवक की शादी 4 मई को तय हुई है, तो गाँव में तनाव फिर से चरम पर पहुंच गया है।

26 वर्ष के सुरेश मेघवाल ने द मूकनायक को बताया कि उन्होंने अपने भाई दिनेश मेघवाल के विवाह समारोह के लिए सुरक्षा और सहायता की मांग की है। विवाह से एक दिन पहले, 3 मई 2025 को दोपहर 3 बजे, दूल्हे की बिन्दौली घोड़े पर सवार होकर निकाली जाएगी।

यह जुलूस गाँव के मुख्य चौराहे से चारभुजानाथ मंदिर, खेड़ादेवी देवमाता प्रांगण, और महादेव मंदिर होते हुए शाम 7 बजे तक दूल्हे के निवास पर वापस लौटेगा। लेकिन सुरेश को आशंका है कि गाँव के कुछ असामाजिक तत्व इस आयोजन में व्यवधान डालकर अशांति फैला सकते हैं। सुरेश के अपने विवाह में भी इसी तरह की आशंकाओं के चलते पुलिस को बिन्दौली निकालनी पड़ी थी।

2022 में हुई थी ये घटना

सुरेश ने बताया कि अप्रेल 2022 में मेघवाल समाज की एक बिन्दौली के दौरान कुछ जातिवादी लोगों ने माहौल खराब किया था। उसके बाद 10 मई को स्वयं सुरेश की शादी हुई. सुरेश ने बताया की जातिवादी लोगों के भय से प्रशासन और पुलिस से मदद मांगी थी और पुलिस बल की मौजूदगी में समारोह सम्पन्न हुआ था। लेकिन इससे उच्च जाति वाले मेघवाल समाज के लोगों से नाराज हो गए, उन्होने अपनी अलग अलग बैठकें करके मेघवाल समाज के सभी परिवारों से सामाजिक मेल मिलाप और लेनदेन समाप्त कर दिए।

सुरेश ने बताया, " गाँव की पंचायत ने मेघवाल समाज को 12 खेड़ा पंचायती से बहिष्कृत कर दिया और बोलचाल, किराने का सामान, और कामकाज देना बंद कर दिया। आज हाल यह है कि दूध लेने के लिए भी बाइक से पास के गाँव जाना पड़ता है। किराणे का सामान लेने 10 किलोमीटर दूर जाता हूँ, हम लोगों को कोई काम गाँव वाले देते नहीं है।मेरा भाई फोटोग्राफर है लेकिन उसे भी गाँव में कोई काम नहीं मिलता। तीन साल से यह बहिष्कार आज तक जारी है, जिसके कारण मेघवाल परिवार गाँव में अलग-थलग पड़ गए हैं।"

सुरेश बताते हैं कि सवर्णों का दबदबा इतना है कि मेघवाल समाज ने इस सामाजिक बहिष्करण की रिपोर्ट भी नहीं लिखवाई ना ही कोई कानूनी कारवाई की। समाज में भी भेद डाल दिया है, कुछ परिवारों ने उन लोगों का कहना मान दबाव में आकर हम लोगों से दूरी बना ली उन्हें वापस ले लिया लेकिन कुछ परिवार अभी भी बहिष्कृत हैं।

सुरेश बताते हैं कि उनके भाई के शादी समारोह में आने से समाज के परिवारों में भी भय है। इस स्थति को देखते हुए सुरेश ने जिला कलेक्टर, एसपी, एसडीएम सहित दलित समाज के प्रमुख संगठनों और कार्यकर्ताओं से सहायता मांगी है। अपने भाई के विवाह को लेकर सुरेश ने जयपुर स्थित संवैधानिक विचार मंच के संस्थापक गिगराज जोडली सहित अन्य लोगों को पत्र के माध्यम से गुहार लगाई है। उन्होंने मेहमानों की सुरक्षा और समारोह के शांतिपूर्ण आयोजन के लिए प्रशासन से उच्च स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की मांग की है।

दलित समाज के साथ जातिवादी लोगों द्वारा इस प्रकार की घटनाएं देशभर से आये दिन रिपोर्ट होती रहती हैं। अप्रेल में उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के एतमादपुर इलाके में एक दलित दूल्हे और उसकी बारात पर कुछ ऊंची जाति के ग्रामीणों द्वारा कथित रूप से हमला किया गया। यह हमला दूल्हे के घोड़ी चढ़ने और बैंड-बाजे के साथ बारात निकालने को लेकर किया गया।

हरियाणा के रायपुर रानी क्षेत्र के मौली गांव में एक दलित युवक की बारात को जातिसूचक टिप्पणियों और धमकियों के साथ रोके जाने और हमले के आरोप सामने आए। पुलिस ने 9 अप्रैल को इस मामले में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं, जिनमें कुल 11 लोगों को आरोपी बनाया गया है। 

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र के एक मंदिर के पुजारी ने एक दलित जोड़े को मंदिर में शादी करने के लिए प्रवेश देने से इनकार कर दिया। इस साल मार्च माह में हुई इस घटना के बाद पीड़ित ने इस मामले की शिकायत पुलिस से की तो आरोपी के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया।

फरवरी 2025 में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में दलित दूल्हे की बारात पर डीजे संगीत बजाने को लेकर हुए विवाद में हमला करने के आरोप में ठाकुर समुदाय के आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने इस मामले में 29 पहचाने गए लोगों और लगभग 50 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

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