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MP: दलित युवक से मारपीट और जातिगत अपमान के मामले में आरोपियों को तीन-तीन साल की सजा

भोपाल। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले के नेपानगर में एक दलित युवक के साथ मारपीट और जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने के मामले में विशेष न्यायालय ने अहम फैसला सुनाया है। विशेष न्यायाधीश ने तीनों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए तीन-तीन साल के सश्रम कारावास और एक-एक हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। यह निर्णय अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत आया है, जो पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

मामला क्या है?

घटना 30 मई 2024 की है, जब नेपानगर के वेलफेयर सेंटर निवासी युवक पर तीन युवकों ने जानलेवा हमला किया। आरोपियों की पहचान सुंदरम धनन्जय ठाकुर (23), अर्जुन रामेश्वर मराठा (22) और साहिल उर्फ भूपेन्द्र चौहान (22) के रूप में हुई है। ये तीनों क्रमश: वेलफेयर सेंटर, एमजी नगर और भवानी नगर के निवासी हैं।

आरोपियों ने पीड़ित से पहले गाली-गलौज की, फिर मारपीट पर उतारू हो गए। इतना ही नहीं, उन्होंने धारदार हथियार से हमला कर युवक को घायल कर दिया। इसके बाद पीड़ित को उसकी जाति को लक्ष्य कर जातिसूचक शब्दों से अपमानित भी किया गया।

पीड़ित की शिकायत पर थाना प्रभारी निरीक्षक जानू जैसवाल द्वारा मामले की गंभीरता से जांच की गई। इसके बाद 5 अगस्त 2024 को आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में चालान पेश किया गया।

विशेष न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए तीनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 325 (स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना), 34 (सामूहिक रूप से अपराध करना) और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी पाया।

मामले में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक दीपक उमाले ने पैरवी की। उमाले ने पीड़ित की ओर से तथ्यात्मक और साक्ष्य-आधारित दलीलें पेश कीं, जिससे अदालत को यह विश्वास हो गया कि घटना सुनियोजित और जातिगत द्वेष के आधार पर की गई थी।

विशेष लोक अभियोजक दीपक उमाले ने बताया कि उन्होंने पीड़ित की ओर से ठोस साक्ष्य और तथ्यात्मक दलीलें अदालत के समक्ष प्रस्तुत कीं, जिससे यह सिद्ध हो सका कि घटना पूर्वनियोजित थी और आरोपियों ने जातिगत द्वेष के चलते पीड़ित के साथ मारपीट और अपमानजनक व्यवहार किया। अदालत ने अभियोजन की दलीलों को स्वीकार करते हुए तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया।

अदालत का फैसला

विशेष न्यायालय ने तीनों आरोपियों को दोषी मानते हुए तीन-तीन साल का सश्रम कारावास और एक-एक हजार रुपए का अर्थदंड की सजा सुनाई। यह फैसला न केवल पीड़ित को न्याय दिलाने का कार्य करता है, बल्कि समाज में यह संदेश भी देता है कि जातिगत भेदभाव और हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सजा से संबंधित कानूनी प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 325:

स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना

सजा: अधिकतम 7 वर्ष की कैद एवं जुर्माना

धारा 34:

सामूहिक रूप से अपराध करने का आशय

SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा:

जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर अपमान करना, शारीरिक हिंसा करना, सार्वजनिक रूप से अपमानित करना

सजा: 6 माह से लेकर 5 साल तक की सश्रम कैद औऱ जुर्माना

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