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अंबेडकर जयंती पर उदयपुर में कोर्ट चौराहे पर पुलिस ने नहीं लहराने दिया नीला झंडा—बहुजन बोले भाजपा के झंडे तो...!

उदयपुर- उदयपुर के कोर्ट चौराहे पर निर्मित अंबेडकर पार्क पर रविवार रात को बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती की पूर्व संध्या पर नीला झंडा लगाने को लेकर पुलिस और भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं के बीच तीखा विवाद हो गया। दलित संगठनों द्वारा बाबा साहेब की जयंती के आयोजन के तहत अंबेडकर सर्कल पर उनकी प्रतिमा के समक्ष एक लंबे पोल पर नीला झंडा लगाया जा रहा था, लेकिन पुलिस ने इसे लगाने देने से मना कर दिया।

कांग्रेस एससी सेल के नेता शंकर चंदेल ने द मूकनायक को बताया कि यह घटना रविवार रात करीब 9:30 बजे की है। चंदेल ने कहा, "हम झंडा लगाने की तैयारी कर रहे थे। हमने क्रेन मंगवाई थी, लेकिन भूपालपुरा थाना के एसएचओ आदर्श परिहार वहां पहुंच गए और हमें झंडा लगाने से रोक दिया। उन्होंने क्रेन चालक के साथ बदतमीजी की और उसे भगा दिया। हमने उनसे अनुरोध किया कि यह झंडा केवल एक दिन के लिए है, बाबा साहेब की जयंती के बाद हम इसे उतार लेंगे, लेकिन वह नहीं माने।"

चंदेल ने आगे बताया कि झंडे पर केवल बाबा साहेब की छवि और अशोक चक्र बना हुआ है, इसमें कोई धार्मिक चिन्ह नहीं है। उन्होंने कहा, "हमने एसएचओ से कहा कि यह झंडा केवल जयंती के लिए है, लेकिन उन्होंने हमें एडीएम सिटी और एसपी से अनुमति लेने को कहा। उन्होंने हमारे सामने अपने उच्च अधिकारियों से फोन पर बात की और हमें झंडा लगाने की अनुमति नहीं दी। शायद उन्हें ऊपर से निर्देश मिले थे कि हमें झंडा नहीं लगाने दिया जाए।"

दलित होने की वजह से रोका गया

चंदेल ने इस घटना को दलित समाज के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया करार देते हुए कहा, "चौराहों पर बीजेपी के झंडे लग रहे हैं। हर समाज अपने महापुरुषों की जयंती और विशेष अवसरों पर अपने झंडे लगाता है। शहर के कई चौराहों पर विवेकानंद जयंती, हनुमान जयंती, परशुराम जयंती जैसे आयोजनों पर समुदाय विशेष के झंडे लगाए जाते हैं, लेकिन हमें केवल इसलिए रोका जा रहा है क्योंकि हम दलित हैं।"

उन्होंने जोर देकर कहा कि बाबा साहेब केवल दलित या बहुजन नेता नहीं थे, बल्कि उन्होंने देश को संविधान दिया। चंदेल ने कहा, "आज भारत की कानून व्यवस्था बाबा साहेब की देन है। वे देश के पहले कानून मंत्री थे, लेकिन उनके जन्मोत्सव पर ही कानून का यह दोहरा मापदंड दुखदायी है।"

चंदेल ने प्रशासन पर भेदभाव और बीजेपी सरकार पर दलित और बहुजन विरोधी होने का आरोप लगाया। उन्होंने हाल ही में अलवर में भाजपा नेता ज्ञानदेव आहूजा द्वारा दलित नेता टीकाराम जूली के राम मंदिर जाने पर गंगाजल से शुद्धिकरण विवाद का जिक्र करते हुए कहा, "ये लोग मुंह पर मीठा-मीठा बोलते हैं, लेकिन अंदर से इनके मन में बहुजनों के प्रति केवल नफरत है। बीजेपी पहले मुस्लिम विरोधी है, और इसके साथ ही यह बहुजन और दलित विरोधी भी है।"

गौरतलब है कि उदयपुर शहर के बीचों-बीच स्थित अंबेडकर सर्कल, जिसे कोर्ट चौराहा भी कहा जाता है, बाबा साहेब की आदमकद प्रतिमा के लिए जाना जाता है। हर साल उनकी जयंती और महापरिनिर्वाण दिवस पर दलित संगठन यहां रैली और आयोजन करते हैं। इस बार झंडा विवाद ने इस आयोजन पर छाया डाल दी है।

इस घटना ने स्थानीय स्तर पर चर्चा को जन्म दिया है, और दलित संगठनों में पुलिस और प्रशासन के रवैये के खिलाफ आक्रोश देखा जा रहा है।

चंदेल ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर 15 अप्रैल को दलित संगठन और भीम आर्मी के कार्यकर्ता उदयपुर के एसपी और कलेक्टर से मिलकर ज्ञापन सौंपेंगे। उन्होंने कहा, "हम इस भेदभावपूर्ण व्यवहार का विरोध करेंगे और बाबा साहेब के सम्मान के लिए अपनी आवाज बुलंद करेंगे।"

द मूकनायक ने इस सम्बन्ध में एडीएम सिटी वार सिंह और एडिशनल एसपी (सिटी) उमेश ओझा से जिला और पुलिस प्रशासन का पक्ष जानने के लिए मेसेज किया. अधिकारियों से प्रतिक्रिया मिलने पर खबर अपडेट की जाएगी।

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