लखनऊ: ग्रेटर नोएडा से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहाँ 15 अक्टूबर को कथित तौर पर 'ऊंची जाति' के कुछ लोगों की पिटाई का शिकार हुए 17 वर्षीय दलित किशोर ने शुक्रवार सुबह अस्पताल में दम तोड़ दिया। किशोर पिछले एक हफ्ते से अधिक समय से जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा था।
शुक्रवार की दोपहर जब किशोर का शव ग्रेटर नोएडा के मोहल्ला अंबेडकर स्थित उसके घर लाया गया, तो इलाके में मातम और तनाव का माहौल बन गया। परिवार के गहरे सदमे के बीच, किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया।
17 वर्षीय अनिकेत जाटव के लिए न्याय की मांग कर रहे परिवार को अंतिम संस्कार के लिए राजी करने में अधिकारियों को लगभग एक घंटे का समय लगा।
शुक्रवार दोपहर, अंबेडकर चौक के पास अनिकेत के घर के बाहर मातम पसरा था। पुरुष चारपाइयों और प्लास्टिक की कुर्सियों पर गमगीन बैठे थे, जबकि घर के आंगन से महिलाओं के रोने-बिलखने की आवाजें गूंज रही थीं। अनिकेत की मां अपनी छाती पीटते हुए "अरे अन्नू, मेरे अन्नू" कहकर चीख रही थीं, जिन्हें रिश्तेदार संभालने की कोशिश कर रहे थे।
परिवार के अनुसार, अनिकेत एक मैकेनिक और ड्राइवर था। 15 अक्टूबर को, जिस दिन उसका जन्मदिन था, उसी रात उस पर कथित तौर पर ऊंची जाति के लोगों ने हमला किया था। अनिकेत के चाचा सुमित ने बताया, "उसने अभी केक ही काटा था कि वे लोग आ गए। वे उसे कई हफ्तों से धमका रहे थे।"
इस हमले में सुमित भी घायल हुए थे; शुक्रवार को भी उनकी दाहिनी आंख पर चोट के गहरे नीले और बैंगनी निशान थे।
दिन भर, सांत्वना देने के लिए राजनेताओं का आना-जाना लगा रहा। इनमें जेवर से भाजपा विधायक धीरेंद्र सिंह भी शामिल थे, जो शोकाकुल परिवार के बीच चुपचाप बैठे रहे। सिंह ने अनिकेत के माता-पिता से बात की और बताया कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनकी बात कराई है। बाद में उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "मुख्यमंत्री ने सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।" बसपा और समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेता भी परिवार से मिलने पहुंचे और उन्हें अपने समर्थन का वादा किया।
क्या है पूरा मामला?
रबूपुरा पुलिस ने इस मामले में कथित हमले के दो दिन बाद, 17 अक्टूबर को FIR दर्ज की थी। FIR में सात 'ऊंची जाति' के लोगों को नामजद किया गया है। इनमें से दो को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि पांच अन्य अभी भी फरार हैं।
चाचा सुमित ने बताया कि इस पूरे विवाद की जड़ एक महीने पहले स्थानीय रामलीला में हुए एक झगड़े से जुड़ी है। वहां कथित तौर पर कुछ ठाकुर युवक अनिकेत के एक दोस्त को गाली दे रहे थे, जिसका अनिकेत ने बीच-बचाव किया था।
सुमित के अनुसार, इस घटना के बाद के दिनों में 'ऊंची जाति' के लोगों द्वारा अनिकेत को बार-बार परेशान किया गया और जातिसूचक गालियां दी गईं। सुमित ने कहा, "हमले से दो दिन पहले, उन्होंने अनिकेत को घर के बाहर पकड़ लिया और उसे पत्थर से मारा। जवाब में अनिकेत ने उनमें से एक को थप्पड़ मार दिया। तब उन्होंने अनिकेत से कहा कि वह अपनी 'औकात' भूल गया है।"
15 अक्टूबर की रात, जब अनिकेत पास के एक खेत में अपना जन्मदिन का केक काट रहा था, वही समूह फिर से लौटा। सुमित ने आरोप लगाया कि इस बार उनके हाथों में रॉड और हॉकी स्टिक थीं। वह बताते हैं कि, "उन्होंने पहले मुझे पीटना शुरू कर दिया। मैंने सोचा कि अनिकेत शायद भाग गया होगा। लेकिन बाद में वह हमें झाड़ियों के पीछे बेहोश मिला, उसका शरीर खून से लथपथ था।"
सुमित और अनिकेत दोनों को पहले स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहाँ से उन्हें दिल्ली के एक अस्पताल में रेफर कर दिया गया। सुमित को दो दिन पहले छुट्टी मिल गई थी, लेकिन अनिकेत ने शुक्रवार को दम तोड़ दिया।
पुलिस ने क्या कहा?
एसएचओ सुजीत उपाध्याय ने जानकारी दी, "पहले मारपीट का मुकदमा दर्ज किया गया था, जिसे बाद में हत्या की धारा में बदल दिया गया है। हम जातिगत दुर्व्यवहार के आरोपों की भी पुष्टि कर रहे हैं। SC/ST अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है, और बाकी आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।"
परिवार का इकलौता सहारा था अनिकेत
गौतम बौद्ध नगर जिले के दक्षिणी किनारे पर बसे रबूपुरा में दलितों (जाटव) का एक बड़ा समुदाय रहता है। वे 'ऊंची जाति' के परिवारों के साथ-साथ रहते हैं, जिनके बारे में ग्रामीणों का कहना है कि ज्यादातर जमीन पर उनका नियंत्रण है।
अनिकेत के पिता बेरोजगार हैं। उसकी मां ने बताया कि अनिकेत, उनका सबसे बड़ा बच्चा, परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था। वह बताती हैं कि, "वह दिन भर मोटरबाइक ठीक करता था, जो कुछ भी कमाकर लाता, उसी पैसे से हमारा गुजारा चलता था।"
रोते हुए उसकी माँ ने कहा, "उन्होंने मेरे बेटे को मार डाला। हमें पैसा नहीं चाहिए। हमें नौकरी नहीं चाहिए। हमें खून के बदले खून चाहिए।"