भोपाल। दीपावली और छठ जैसे बड़े त्योहारों के दौरान यात्रियों की भारी आवाजाही के बीच रेलवे से जुड़ी भ्रामक पोस्ट सोशल मीडिया पर डालने के मामले में भोपाल क्राइम ब्रांच ने आजाद समाज पार्टी (ASP) के नेता सुनील अस्तेय के खिलाफ केस दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि अस्तेय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर क्रमशः 19 और 20 अक्टूबर को ऐसी पोस्टें कीं, जिनसे रेलवे व्यवस्था के प्रति लोगों में अविश्वास तथा भ्रम फैलाने की कोशिश की गई।
आरपीएफ की शिकायत पर साइबर सेल हुई सक्रिय
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के सीसी (Central Control) में पदस्थ एसआई प्रभुनाथ तिवारी ने इन भ्रामक पोस्टों को संज्ञान में लिया और वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दी। इसके बाद इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर मामला क्राइम ब्रांच की साइबर सेल को सौंपा गया। जांच में पाया गया कि सुनील अस्तेय के एक्स हैंडल से ट्रेनों की भीड़, रूट संचालन और रेलवे प्रबंधन से संबंधित चार पोस्ट की गई थीं, जिनमें- रेलवे प्रशासन पर लापरवाही के आरोप, केंद्र सरकार के प्रति नकारात्मक टिप्पणी, और यात्रियों में घबराहट की स्थिति पैदा कर सकने वाले दावे शामिल थे।
पुलिस के अनुसार, यह पोस्ट उस समय की गईं जब त्योहारों के कारण करोड़ों यात्री ट्रेनों से सफर कर रहे थे, इसलिए इससे अफरा-तफरी और जन-अविश्वास फैलने की आशंका बढ़ गई थी।
जनता में भ्रम फैलाने का आरोप
पुलिस का कहना है कि आरोपित की पोस्ट कई व्हाट्सऐप ग्रुप्स और सोशल मीडिया सर्किलों में आगे साझा की गईं, जिससे लोगों के बीच रेलवे की तैयारियों और सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे। इसको पुलिस ने गंभीरता से लेते हुए इसे जन-शांति और सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित करने की कोशिश माना।
क्राइम ब्रांच का कहना है कि- “पोस्ट देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि जानबूझकर रेलवे और सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया, ताकि असंतोष और अविश्वास का माहौल बनाया जा सके।”
डिजिटल साक्ष्यों की पड़ताल, एक्स से मांगी गई यूजर डिटेल
साइबर यूनिट ने एक्स से आरोपी उपयोगकर्ता की लॉग डिटेल, आईपी एड्रेस और अन्य डिजिटल जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है।
फिलहाल मामला तकनीकी जांच के चरण में है। जांच दल पोस्ट के स्क्रीनशॉट, सर्वर टाइम, रीच और मैसेज इंटरेक्शन जैसे डिजिटल साक्ष्यों की फॉरेंसिक जांच कर रहा है। पुलिस का कहना है कि इन तकनीकी तथ्यों की पुष्टि होते ही आरोपित की गिरफ्तारी की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।
किस धाराओं में केस दर्ज
पुलिस के अनुसार, पोस्ट की प्रकृति और सामग्री को देखते हुए आरोपित पर आईटी एक्ट और सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने से संबंधित दंडात्मक धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। अधिकारियों का तर्क है कि त्योहारों के समय ऐसी पोस्टें यात्रियों की सुरक्षा, शांति और ट्रैफिक प्रबंधन को प्रभावित कर सकती हैं।
मामले को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा तेज हो गई है। आजाद समाज पार्टी से जुड़े लोग इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध बता रहे हैं, जबकि पुलिस का कहना है कि यह कानूनी कार्रवाई है, न कि राजनीतिक।
पार्टी की ओर से अभी आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि एएसपी इस कार्रवाई का विरोध कर सकता है।
आजाद समाज पार्टी के नेता सुनील अस्तेय ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि भारत का संविधान हर नागरिक को बोलने और सच कहने की स्वतंत्रता देता है, लेकिन वर्तमान व्यवस्था में सत्ता में बैठे लोग इस अधिकार को सीमित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दीपावली के दौरान ट्रेनों में भीड़, यात्रियों की दिक्कतों और रेलवे की अव्यवस्थाओं को लेकर उन्होंने जो तथ्य साझा किए, वह जनता की आवाज़ थे, जिन्हें उठाना उनका कर्तव्य था। लेकिन प्रशासन सच सामने आने से असहज हो गया और बौखलाहट में उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर दिया गया। अस्तेय का कहना है कि सरकार यह संदेश देना चाहती है कि जो भी आवाज़ उठाएगा, उसे प्रताड़ित किया जाएगा, जबकि यह लोकतंत्र की भावना के विपरीत है।
अस्तेय ने स्पष्ट कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और वे ऐसे मुकदमों से डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और तंत्र मिलकर विपक्षी आवाज़ों को कुचलना चाहते हैं, ताकि जनता की समस्याएं दब जाएं और केवल सत्ता का पक्ष ही सामने आए। लेकिन उनकी लड़ाई सच और जनता के अधिकारों के लिए है, इसलिए वह पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि चाहे कितनी भी साजिशें रची जाएं, संविधान में मिले अधिकारों और न्याय के भरोसे के साथ वह अपनी बात उठाते रहेंगे, क्योंकि लोकतंत्र में सवाल उठाना अपराध नहीं, बल्कि नागरिक का अधिकार और जिम्मेदारी है।