गौतम बुद्ध नगर - उत्तर प्रदेश में जातिवादी घटनाओं को लेकर लगातार शिकायतें मिलती रहती हैं, इसी कड़ी में थाना दनकौर क्षेत्र के गांव रोशनपुर में एक दलित युवक को उसके काम से इनकार करने पर जातिसूचक गालियों के साथ पीटा गया। पेशे से बिजली मेकेनिक पीड़ित राजेश जाटव ने आरोप लगाया है कि बिजली का काम करने से इनकार करने पर गांव जुनेदपुर के सागर नागर, अनिल बिधूड़ी (उर्फ बलुआ) और सुबोध नागर ने उस पर लात-घूंसे और ईंटों से हमला किया।
जब जाटव ने इसकी शिकायत पुलिस को की तो उनकी रिपोर्ट नहीं ली गई और उलटा पुलिस ने मामला रफा दफा करने का प्रयास किया, मामले में SC/ST एक्ट लागू नहीं किया गया है और पुलिस की लापरवाही के आरोप लग रहे हैं।
राजेश के अनुसार 27 जून को सागर और अनिल उसके घर आए और बिजली का काम करने को कहा। समय न होने के कारण मना करने पर दोनों ने जातिसूचक गालियां देते हुए उस पर हमला कर दिया। उन्होंने "चमार, ढेड, नीच! तू हमारा काम नहीं करेगा? तेरी इतनी औकात?" जैसे शब्द कहे और राजेश को बेहोश करने तक पीटा। सागर के चाचा सुबोध नागर को भी हमले में शामिल बताया गया है।

पीड़ित की पत्नी सुमन ने तहरीर दी, लेकिन IO उपेंद्र कुमार ने बिना बयान दर्ज किए FIR लिखी।4 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया। सुमन ने मीडिया को बताया कि राजेश अस्पताल में गंभीर हालत में है, लेकिन पुलिस ने मेडिकल जांच या मदद के लिए कोई कार्रवाई नहीं की। पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस आरोपियों के साथ मिलकर मामला दबाने और समझौता कराने की कोशिश कर रही है।
द मूकनायक को जानकारी देते हुए दलित अधिकार कार्यकर्ता निर्देश सिंह ने कहा, "यूपी दलितों के लिए यातनागृह बनता जा रहा है। सिर्फ इसलिए कि एक दलित ने मुफ्त में काम करने से मना कर दिया, उसे जान से मारने की कोशिश की गई। पुलिस की भूमिका संदेहास्पद है।"
निर्देश ने आगे कहा, "SC/ST एक्ट तुरंत लागू होना चाहिए। पुलिस की निष्क्रियता दलित विरोधी मानसिकता को बढ़ावा देती है।" सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मामले में तुरंत आरोपियों पर SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज करने, पीड़ित को मुआवजा और सरकारी नौकरी देने के साथ लापरवाह पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है ।