तिरुप्पुर (तमिलनाडु): तमिलनाडु पुलिस पर तिरुप्पुर ज़िले में एक दलित युवक की संदिग्ध मौत को आत्महत्या बताकर मामले को दबाने के गंभीर आरोप लगे हैं। 42 वर्षीय के. मुरुगन, जो एक दिहाड़ी मज़दूर थे, की मौत को पुलिस ने आत्महत्या बताया है, लेकिन दलित कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों ने सवाल खड़े किए हैं— खासकर इस बात को लेकर कि बंधे हुए हाथों वाला व्यक्ति कैसे पेड़ से लटककर खुदकुशी कर सकता है?
कार्यकर्ताओं का यह भी आरोप है कि पुलिस ने शव का जल्दी अंतिम संस्कार करवाकर मामले को और संदिग्ध बना दिया है।
द न्यूज़ मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, मुरुगन, जो सेनक्कल्पालयम गांव के निवासी थे, 26 जून (गुरुवार) की सुबह एक नीम के पेड़ से लटके पाए गए। यह ज़मीन कथित रूप से पलानीस्वामी गौंडर के स्वामित्व में है, जिनके यहां मुरुगन दिहाड़ी मज़दूर के रूप में काम करते थे।
पुलिस ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 194 के तहत आत्महत्या का मामला दर्ज किया है और मुरुगन की पत्नी मणिमेगलाई के बयान को आधार बनाया है, जिन्होंने कथित तौर पर किसी साज़िश से इनकार किया।
प्राथमिकी (FIR) के अनुसार, मणिमेगलाई ने पुलिस को बताया कि मुरुगन लम्बे समय से बीमार थे और शराब की लत के कारण मानसिक रूप से परेशान थे। वह ओडनचत्रम स्थित क्रिश्चियन फेलोशिप अस्पताल में टीबी का इलाज करा रहे थे, लेकिन डॉक्टरों की सलाह के बावजूद शराब पीना नहीं छोड़ा, जिससे उनकी हालत और बिगड़ गई।
FIR में कहा गया है कि 25 जून की रात मुरुगन को तेज़ पेट दर्द हुआ और उन्हें दो बार धरापुरम सरकारी अस्पताल ले जाया गया। दंपति रात को एक रिश्तेदार के घर रुके, और अगली सुबह मुरुगन ने कहा कि अब वह ठीक हैं और काम पर जा रहे हैं। कुछ घंटों बाद मणिमेगलाई को सूचना मिली कि उनके पति मिलिट्री कॉलोनी के पास एक पेड़ से लटके मिले हैं।
अलंगियम पुलिस ने शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा और अगले दिन अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सौंप दिया।
हालांकि, दलित संगठनों और कार्यकर्ताओं ने पुलिस के दावे पर सवाल उठाए हैं। तमिल पुलिगल काची के राज्य प्रधान सचिव मुगिलारासन ने डीएसपी को ज्ञापन सौंपकर मणिमेगलाई पर बयान बदलवाने का दबाव डालने का आरोप लगाया है।
उन्होंने दावा किया कि मुरुगन और उनकी पत्नी दोनों ही गौंडर परिवार के यहां काम करते थे और कुछ स्थानीय लोग तथा रिश्तेदार मुरुगन के कर्ज़ और बीमारी को लेकर झूठी बातें फैला रहे हैं ताकि जातिगत दबाव में सच को दबाया जा सके।
ज्ञापन में कहा गया है, “इस मौत में स्पष्ट रूप से रहस्य है। एक आदमी जिसके हाथ बंधे हों, वह 20 फीट ऊंचे पेड़ पर चढ़कर रस्सी बांधकर आत्महत्या नहीं कर सकता। अगर वह ऐसा करता तो शाखा टूट जाती। हमें लगता है कि उसकी हत्या करके उसे आत्महत्या का रूप दिया गया है।”
विदुथलाई चिरुथैगल काची (VCK) के ज़ोनल सचिव, सिरुथै वल्लुवन ने भी इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस ने शव का जल्दबाज़ी में अंतिम संस्कार करवाया और सबूतों को छिपाया।
वल्लुवन ने कहा, “बच्चे भी नहीं मानेंगे कि मुरुगन ने बंधे हुए हाथों के साथ खुद को लटकाया होगा। पुलिस ऐसा दावा कैसे कर सकती है? तमिलनाडु सरकार को पीड़ित परिवार को मुआवज़ा देना चाहिए और क्षेत्र में दलितों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।”
हलांकि, अलंगियम पुलिस से संपर्क किया, तो उन्होंने किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया।
एक पुलिस अधिकारी ने फोन पर कहा, “जब हमने शव बरामद किया, तो हाथ बंधे नहीं थे, बल्कि रस्सी सिर्फ हाथों के चारों ओर लिपटी हुई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कोई भी आंतरिक चोट या कसाव के निशान नहीं मिले हैं।”
पुलिस ने यह पुष्टि की है कि जहां मुरुगन का शव मिला, वह ज़मीन पलानीस्वामी गौंडर की है— जिससे संदेह और गहरा गया है।