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MP के शिवपुरी में दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या, सरपंच समेत आठ पर मामला दर्ज

भोपाल। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के इंदरगढ़ गांव में सरपंच और उसके परिवारजनों द्वारा एक दलित युवक को बर्बरता से पीट-पीटकर मार डालने की घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। ग्वालियर निवासी 27 वर्षीय विष्णु जाटव अपने मामा के खेत पर पानी लगा रहा था, जब यह घातक विवाद हुआ। यह घटना 26 नवंबर को घटित हुई, जिसकी वीडियो फुटेज सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।

क्या है पूरा मामला?

ग्वालियर का विष्णु जाटव इंदरगढ़ गांव में अपने मामा के घर आया हुआ था। खेत में पानी लगाने के दौरान सरपंच पदम सिंह धाकड़ और उसके परिजन बेताल धाकड़, जसवंत धाकड़, अवधेश धाकड़, अंकेश धाकड़, मोहर पाल धाकड़, दाखा बाई धाकड़, और विमल धाकड़ खेत पर पहुंचे। पहले उन्होंने विष्णु से गाली-गलौज की और फिर लाठी-डंडों से बुरी तरह पीट दिया।

घटना के बाद, गंभीर रूप से घायल विष्णु को शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां देर रात इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। विष्णु की मौत से परिवार सदमे में है। रोते-बिलखते परिजनों ने आरोपियों को कड़ी सजा दिलाने और परिवार को न्याय देने की मांग की है। उनका कहना है कि यह हत्या जातिगत दुश्मनी और दबंगई का परिणाम है।

पुलिस ने आठ लोगों पर दर्ज किया मामला

सुभाषपुरा थाने के प्रभारी कृपाल सिंह राठौड़ ने बताया कि मृतक के परिजनों की शिकायत पर सरपंच पदम सिंह और अन्य आठ लोगों के खिलाफ हत्या की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने भरोसा दिलाया कि आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा और मामले की गहन जांच की जाएगी।

इस घटना ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने द मूकनायक से बात करते हुए राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, "प्रदेश में जंगलराज कायम हो गया है। दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। शिवपुरी की घटना दिल दहला देने वाली है। राज्य सरकार से मांग है कि आरोपियों को सख्त सजा दी जाए, पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाए और उनके किसी सदस्य को सरकारी नौकरी प्रदान की जाए।"

जातिगत अत्याचार का सिलसिला जारी

शिवपुरी की यह घटना मध्य प्रदेश में दलितों पर हो रहे अत्याचारों की कड़ी में एक और दर्दनाक घटना है। बीते दिनों ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जो राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हैं।

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