कुरुक्षेत्र (हरियाणा)। हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के इस्माइलाबाद थाना क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक दलित व्यक्ति के साथ पुलिस हिरासत में अमानवीय बर्ताव किए जाने का आरोप लगा है। पीड़ित की पत्नी ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए एसपी से न्याय की गुहार लगाई है। वहीं, पुलिस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
क्या है पूरा मामला
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित की पत्नी के अनुसार, 30 जुलाई की रात गांव में कुत्तों के भौंकने पर उसके पति ने उन्हें भगाने के लिए पत्थर फेंका, जिससे गलती से पड़ोसी के घर की खिड़की का शीशा टूट गया। इस पर विवाद हुआ, लेकिन माफी मांगने के बावजूद पड़ोसी ने डायल-112 पर पुलिस को बुला लिया।
पीड़ित का आरोप है कि मौके पर पहुंची पुलिस ने उसके पति को गाड़ी में बैठाने के बजाय घसीटते हुए गिरा दिया और बेरहमी से पीटते हुए थाने ले गई। वहां उसे कपड़े उतरवाकर नंगा किया गया, हाथ-पैर बांधे गए और डंडों व पट्टों से पीटा गया। आरोप यह भी है कि एक पुलिसकर्मी ने उसके प्राइवेट पार्ट में डंडा डाल दिया, जिससे वह बेहोश हो गया।
अस्पताल ले जाकर दी गई धमकी
महिला का आरोप है कि जब उसके पति की हालत बिगड़ी तो पुलिस उसे पिहोवा के सरकारी अस्पताल ले गई, लेकिन डॉक्टर को सच्चाई बताने पर नहर में फेंककर मारने की धमकी दी। इसके बाद उसे दोबारा थाने लाकर फिर पीटा गया।
खाली कागज़ों पर करवाए साइन
महिला ने आगे कहा कि पुलिसकर्मियों ने उसके पति से जबरन खाली कागज़ों पर दस्तखत करवाए। जब वह सुबह थाने पहुंची तो उसका पति चलने की हालत में भी नहीं था और उसका हाथ टूट चुका था।
मेडिकल और इलाज की स्थिति
पीड़ित ने 3 अगस्त को निजी अस्पताल में मेडिकल कराया। शुरुआत में डॉक्टरों ने मेडिकल से इनकार कर दिया, लेकिन एफिडेविट देने पर मेडिकल किया गया। फिलहाल वह कुरुक्षेत्र के एक प्राइवेट अस्पताल में इलाजरत है।
पुलिस का पक्ष
इस मामले में इस्माइलाबाद थाना प्रभारी राजेश कुमार ने सभी आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति शराब पीकर हंगामा कर रहा था, जिस पर डायल-112 की टीम ने उसे थाने लाया और उसके खिलाफ BNS की धारा 172 के तहत निवारक कार्रवाई की गई थी। अगले दिन दोनों पक्षों में समझौता हो गया और आरोपी को परिजनों को सौंप दिया गया।
मारपीट और अमानवीय टॉर्चर के आरोपों पर SHO ने कहा कि "पुलिस ऐसा क्यों करेगी? यह आरोप गलत हैं। शिकायत 4 अगस्त को दी गई, जबकि मेडिकल 3 अगस्त को हुआ। यदि इतना गंभीर मामला था तो पीड़ित ने उसी समय शिकायत क्यों नहीं दी?"
जांच की बात कही गई
SHO राजेश कुमार ने माना कि शिकायत मिलने के बाद मामले की जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि पांच दिन बाद शिकायत दी गई, ऐसे में संभव है कि चोट किसी और कारण से भी लगी हो। लेकिन फिलहाल यह जांच का विषय है।