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मटके से जरा पानी पी लिया, तो हो गई पिटाई! — राजस्थान के इस गाँव में जातीय भेदभाव की पराकाष्ठा

नागौर- राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में जातिगत भेदभाव की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं। हाल ही में नागौर जिले के कांटिया गाँव में एक मेघवाल युवक के साथ जातिगत भेदभाव की घटना सामने आई है। पीड़ित ने 2 जून को थाना खींवसर में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(R) (जातिगत अपमान) और 3(1)(S) (धमकी) के तहत मामला दर्ज करते हुए आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। मामले की जाँच पुलिस उपाधीक्षक (वृत्त नागौर) को सौंपी गई है।

घटना की जानकारी देते हुए एडवोकेट भट्टराज जोगसन ने द मूकनायक को बताया कि 1 जून को शाम करीब 7 बजे पीड़ित ओमप्रकाश (21) पुत्र मुकनाराम व अशोक पुत्र गंगाराम जाति मेघवाल निवासी आउ मोटरसाइकिल से अपने रिश्तेदार हरकाराम पुत्र जस्साराम के निवास कांटिया जा रहे थे। गाँव में नागाजी किराणा स्टोर पर रुके जहाँ पानी की मटकी रखी हुई थी तो पीड़ित ने मटकी से पानी का लोटा भरकर पानी पिया। जिस पर दुकानदार और स्थानीय लोगों ने उसे जातिसूचक गालियाँ दीं, धक्का-मुक्की की और जान से मारने की धमकी दी।

इतने में नागाजी किराणा स्टोर के मालिक कालुराम पुत्र घमंडाराम व पास में इलेक्ट्रोनिक दुकान के मालिक ओमप्रकाश पुत्र सोनाराम व वीर तेजा एग्रों ऐजेन्सी के मालिक नरसीराम पुत्र लक्ष्मणराम ने एक राय होकर उससे नाम व जाति पूछी। जब पीड़ित ने बताया वो मेघवाल समाज से है तो उन तीनों ने उसे जाति सूचक गालियां दी। इसपर पीड़ित ने कहा कि मटकी बाहर पडी थी तो मैने पानी पी लिया व कहा की "मैं लोटा रेत से मांझ दूंगा व लोटा साफ़ भी दिया। इसपर भी आरोपी संतुष्ट नहीं हुए और धक्का मुक्की की व जान से मारने की धमकियां दी। बाद में पीड़ित अपने रिश्तदार हरकाराम के घर चला गया तो रात्री करीब 11-30 बजे आरोपी कैम्पर गाडी आरजे 21 जीसी 2257 लेकर हरकाराम के घर के पास तीन चार बार इधर उधर घूमे व गाडी के टायर घसीट कर शोर करते हुए डराने का प्रयास किया। आरोपितों ने गाड़ी लेकर पीड़ित के रिश्तेदार के घर के बाहर धमकी भरा रुख अपनाया। पुलिस ने एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।

एडवोकेट भट्टराज जोगसन ने बताया कि गाँव में मेघवाल समाज के करीब 150 घर हैं और विपक्षी लोग मनबढ़ किस्म के हैं जो जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। जोगसन बताते हैं जातीय भेदभाव की घटना आसपास के इलाकों में आम है लेकिन पुलिस और प्रशासन इस सामाजिक मुद्दे को लेकर उदासीन है, शिकायतों के बाद भी पुलिस मिलीभगत में उचित कारवाई नही करती है जिससे इस प्रकार की घटनाएं थमने का नाम नहीं लेती हैं।

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