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एंकर अंजना ओम कश्यप सहित इंडिया टुडे समूह के संपादक अरुण पुरी के खिलाफ SC/ST एक्ट में मामला दर्ज, जानिए क्या है मामला?

नई दिल्ली। लुधियाना पुलिस ने टीवी न्यूज एंकर अंजना ओम कश्यप के खिलाफ वाल्मीकि समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के आरोप में मामला दर्ज किया है। यह मामला उनके टीवी शो ब्लैक एंड व्हाइट में की गई एक टिप्पणी से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने वाल्मीकि के जीवन का उल्लेख करते हुए कुछ शब्द कहे, जिन्हें समुदाय ने अपमानजनक बताया है।

गुरुवार को दर्ज की गई एफआईआर में इंडिया टुडे ग्रुप के प्रधान संपादक अरुण पुरी तथा लिविंग मीडिया इंडिया लिमिटेड को भी सह-आरोपी बनाया गया है। शिकायत भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज भावदास के राष्ट्रीय संयोजक चौधरी यशपाल की ओर से दर्ज कराई गई है, जिसके अध्यक्ष विजय दानव हैं।

क्या है शिकायत?

एफआईआर के अनुसार, 7 अक्टूबर को प्रसारित शो में अंजना ओम कश्यप ने संत वाल्मीकि का उल्लेख करते हुए कहा था कि “उनका असली नाम रत्नाकर था, जो पहले लूटपाट करते थे, लेकिन नारद मुनि के मार्गदर्शन से उन्होंने अपने जीवन को बदल लिया।” शिकायत में कहा गया है कि इस बयान ने पूरे वाल्मीकि समाज की धार्मिक भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचाई है।

शिकायतकर्ता चौधरी यशपाल का कहना है, “वाल्मीकि हमारे भगवान हैं। उनके बारे में ऐसी झूठी कहानियाँ फैलाना असहनीय है। यह समुदाय के अस्तित्व और आस्था पर सीधा प्रहार है। जब तक आरोपी सलाखों के पीछे नहीं पहुँचते, हम चैन से नहीं बैठेंगे।” उन्होंने समुदाय के लोगों से एकजुट होकर विरोध करने का आह्वान भी किया है।

पुलिस ने यह मामला भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 299 के तहत दर्ज किया है। यह धारा उन मामलों पर लागू होती है जहाँ किसी वर्ग के नागरिकों की धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर या दुर्भावनापूर्ण तरीके से आहत किया गया हो, चाहे वह शब्दों, संकेतों, चित्रों या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से क्यों न किया गया हो।

इसके अलावा, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3(1)(v) का भी उल्लेख किया गया है, जो इन समुदायों की गरिमा और अधिकारों की रक्षा से संबंधित है।

एपिसोड में कैसे शुरू हुआ विवाद?

कश्यप का यह शो एक ऐसी बहस पर आधारित था, जिसमें हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई पर एक वकील द्वारा जूता फेंकने की घटना पर चर्चा की जा रही थी। इसी दौरान उन्होंने वाल्मीकि के जीवन का उदाहरण दिया था, जिसे उन्होंने “आत्मसाक्षात्कार और परिवर्तन की प्रेरणादायक कहानी” बताया।

हालांकि, वाल्मीकि समाज के नेताओं का कहना है कि “यह कहानी एक लोककथा भर है, जिसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। किसी भगवान के जीवन पर इस तरह की मनगढ़ंत बातें कहना धार्मिक अपमान की श्रेणी में आता है।”

सुप्रीम कोर्ट का हवाला

शिकायत में सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला भी दिया गया है, जिसमें कहा गया था कि भगवान वाल्मीकि की पवित्रता और महानता पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि अंजना ओम कश्यप के बयान ने न केवल इस निर्णय की भावना का उल्लंघन किया है, बल्कि संविधान में प्रदत्त धार्मिक सम्मान के अधिकार का भी हनन किया है।

पहले भी विवादों में रहीं अंजना ओम कश्यप

यह पहली बार नहीं है जब अंजना ओम कश्यप पर विवादित बयान को लेकर कानूनी कार्रवाई हुई है। सितंबर माह में लखनऊ की एक अदालत ने उनके खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया था। उस मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने शिकायत की थी कि 14 अगस्त को प्रसारित कार्यक्रम विभाजनकारी और भड़काऊ था, जो दो समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाने की कोशिश कर रहा था।

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