+

MP: ग्वालियर में एडवोकेट अनिल मिश्रा की डॉ. अंबेडकर पर विवादित टिप्पणी पर प्रदेशभर में आक्रोश, भोपाल से काग्रेसियों ने फूंका पुतला।

भोपाल। मध्य प्रदेश के ग्वालियर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट अनिल मिश्रा द्वारा संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के खिलाफ की गई विवादित टिप्पणी को लेकर पूरे प्रदेश में आक्रोश फैल गया है। ग्वालियर से शुरू हुआ विरोध अब भोपाल, रतलाम, इंदौर और जबलपुर सहित कई जिलों में तेज हो गया है। दलित, आदिवासी और बहुजन संगठनों के साथ-साथ कांग्रेस, भाजपा और आजाद समाज पार्टी ने भी इस बयान की कड़ी निंदा की है।

इधर, रतलाम में डॉ. अंबेडकर के खिलाफ की गई टिप्पणी और दलित-आदिवासी उत्पीड़न के विरोध में दलित-आदिवासी संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर सर्कल पर एडवोकेट अनिल मिश्रा और जातिवादी मानसिकता का पुतला दहन किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह हमला केवल एक व्यक्ति पर नहीं बल्कि संविधान और दलित समाज की अस्मिता पर हमला है।

भोपाल में कांग्रेस का राष्ट्रपति को ज्ञापन, मनुवादी प्रवृत्ति के खिलाफ प्रदर्शन

भोपाल में मध्य प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। विभाग के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार के नेतृत्व में कांग्रेसजनों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए मनुवादी सोच के वकील का पुतला जलाया और तत्काल कार्रवाई की मांग की।

प्रदीप अहिरवार ने कहा कि, “यह केवल किसी व्यक्ति पर हमला नहीं बल्कि संविधान की आत्मा और न्यायपालिका की गरिमा पर सीधा प्रहार है। डॉ. बाबा साहब अंबेडकर के अपमान को देश का करोड़ों अनुयायी वर्ग कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।”

राष्ट्रपति से निम्न मांगें :

  • सुप्रीम कोर्ट परिसर में हुई मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की घटना की तत्काल जांच कर दोषी वकील की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाए।

  • वकील अनिल मिश्रा के खिलाफ देशद्रोह की धाराओं सहित कड़ी कानूनी कार्रवाई हो और उसकी वकालत की सनद रद्द की जाए।

  • जाति-आधारित घृणा और भेदभाव के खिलाफ "शून्य सहिष्णुता नीति" लागू की जाए।

  • न्यायपालिका और अन्य संस्थानों में दलित समुदाय की सुरक्षा और सम्मान के लिए निगरानी तंत्र बनाया जाए।

  • समानता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति देशभर में संवेदनशीलता अभियान चलाया जाए।

मुख्य न्यायाधीश भी सुरक्षित नहीं, तो दलित समाज कैसे सुरक्षित रहेगा : प्रदीप अहिरवार

प्रदीप अहिरवार ने कहा कि आज़ादी के 78 वर्ष बाद भी यदि देश के दलित मुख्य न्यायाधीश तक सुप्रीम कोर्ट में सुरक्षित नहीं हैं, तो यह पूरे दलित समाज की गरिमा पर प्रश्नचिह्न है।

उन्होंने कहा कि उच्च पदों पर बैठे दलित प्रतिनिधियों पर हमला भारत के विवेक और संविधान पर हमला है। उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की।

अहिरवार ने यह भी कहा कि आरोपी वकीलों के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि अधिनियम (UAPA) सहित गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस तरह संविधान और दलित अस्मिता पर हमला करने की हिम्मत न करे।

भाजपा, कांग्रेस और बहुजन संगठनों ने की निंदा

अनिल मिश्रा की विवादित टिप्पणी की निंदा बहुजन समाज पार्टी, आज़ाद समाज पार्टी, भाजपा और कांग्रेस- सभी ने की है। भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के नेताओं ने इसे “मनुवादी मानसिकता का जहर” बताया और सख्त कार्रवाई की मांग की।

वहीं, कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग ने साफ कहा कि यदि आरोपी पर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो देशभर में आंदोलन किया जाएगा।

विरोध प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में शामिल हुए लोग

भोपाल में हुए कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के प्रदर्शन में प्रदीप अहिरवार के साथ हेमंत नरवरिया, रवि वर्मा, डॉ. विक्रम चौधरी, मुकेश बंसल, नीरज चंडाले, रमेश बकोरिया, दर्शन कोरी, डी.पी. भालेराव, चेतन बलुआ, जितेंद्र बलुआ, शुभम इंद्राशे और कन्हैया मोरे सहित बड़ी संख्या में कांग्रेसजन शामिल हुए।

अनिल मिश्रा की विवादित टिप्पणी और मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर हुए जूता फेंकने की घटना ने पूरे देशभर में संविधान और सामाजिक न्याय की बहस को फिर से जीवित कर दिया है। दलित, बहुजन और संवैधानिक मूल्यों में आस्था रखने वाले लोग इसे न्यायपालिका और संविधान पर सीधा हमला मान रहे हैं।

Trending :
facebook twitter