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सदाबहार दोस्त भी दुश्मन बन गए: केरल कांग्रेस के मोदी सरकार से चुभते सवाल — PM बनकर 73 देशों की 157 यात्राएं कीं, लेकिन संकट की घड़ी में कोई काम क्यों नहीं आया?

नई दिल्ली- केरल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। एक ताज़ा पोस्ट में कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने अब तक 73 देशों की 157 यात्राएं कीं, जिन पर देश के खजाने से लगभग ₹8,400 करोड़ खर्च किए गए। लेकिन कांग्रेस पूछ रही है- इन यात्राओं से भारत को असल में मिला क्या?

पार्टी का आरोप है कि इन दौरों के दौरान बड़े-बड़े एनआरआई कार्यक्रमों का आयोजन हुआ, महंगे खाने-पीने और दिखावे पर खर्च हुआ, और इन यात्राओं का मकसद देश की छवि सुधारने से ज़्यादा मोदी की व्यक्तिगत ब्रांडिंग और उनके करीबी उद्योगपतियों को विदेशी सौदे दिलवाना था।

कांग्रेस का कहना है कि जब बात पाकिस्तान के IMF बेलआउट की हो या हालिया आतंकी हमलों की, तब भारत को किसी भी बड़े देश का खुला समर्थन नहीं मिला। जिन देशों में मोदी ने बार-बार दौरे किए, वहां से भी भारत को संकट की घड़ी में समर्थन नहीं मिला।

पोस्ट में लिखा, " जब पाकिस्तान के आईएमएफ बेलआउट या हाल ही में हुए आतंकी हमलों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों की बात आई, तो उस लंबी सूची में से एक भी देश भारत के साथ खड़ा नहीं हुआ। पड़ोस में हमारे ज़्यादातर सदाबहार दोस्त दुश्मन बन गए। इन यात्राओं पर हमें हज़ारों करोड़ खर्च करने पड़े। खर्च का एक बड़ा हिस्सा एनआरआई के लिए भव्य आयोजनों, मोदी के प्रशंसकों को बढ़िया खाने-पीने की चीज़ें खिलाने और मोदी पंथ को बढ़ाने में चला गया। ज़्यादातर यात्राएँ अडानी और अंबानी जैसे बड़े व्यापारियों को विदेश में सौदे दिलाने में ज़्यादा केंद्रित दिखीं।"

पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार के दौर में ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति कमजोर पड़ी है। नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पारंपरिक मित्र देशों से संबंधों में तनाव पैदा हुआ है।

कांग्रेस का तर्क है कि इतने पैसे देश की स्वास्थ्य, शिक्षा या रोज़गार योजनाओं में लगाए जाते तो ज़्यादा बेहतर होता।

क्या हासिल हुआ इन यात्राओं से- कांग्रेस का सवाल

कांग्रेस पूछ रही है — इन यात्राओं से भारत को क्या कोई सस्ती रक्षा डील मिली? क्या कोई बड़ा तकनीकी ट्रांसफर हुआ? क्या भारत को किसी प्रभावशाली वैश्विक समूह में स्थायी स्थान मिला? क्या भारत को व्यापारिक करों में राहत मिली?

पार्टी का कहना है कि इन सभी सवालों का जवाब "नहीं" है। सिर्फ गले मिलना, फोटो खिंचवाना और सोशल मीडिया पर वीडियो बनाना कोई कूटनीतिक सफलता नहीं है।

प्रधानमंत्री की अंतरराष्ट्रीय यात्राओं के लिए दो विशेष विमान भी खरीदे गए जिनकी लागत ₹8,400 करोड़ बताई जा रही है। कांग्रेस का तर्क है कि इतने पैसे देश की स्वास्थ्य, शिक्षा या रोज़गार योजनाओं में लगाए जाते तो ज़्यादा बेहतर होता।

पार्टी ने बीजेपी सरकार से मांग की है कि वह इन यात्राओं का ठोस लेखा-जोखा दे। अब समय आ गया है कि देश की जनता यह सवाल पूछे — क्या विदेश यात्राओं पर हुआ खर्च देशहित में था या व्यक्तिगत प्रचार के लिए?

कांग्रेस का यह पोस्ट ऐसे समय में आया है जब भारत कई कूटनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है और वैश्विक मंच पर अपेक्षित समर्थन नहीं मिल पा रहा है।

अब सवाल यह है — क्या प्रधानमंत्री मोदी की यात्राओं से भारत की ताकत बढ़ी, या सिर्फ उनके ब्रांड की?

केरल कांग्रेस का सोशल मीडिया क्यों इतना प्रभावी ?

केरल कांग्रेस की सोशल मीडिया रणनीति आक्रामकता, रचनात्मकता और जवाबदेही का एक शक्तिशाली मिश्रण है, जो इसे भारत में कांग्रेस की सबसे सक्रिय और प्रभावशाली इकाई बनाती है। केरल कांग्रेस प्रतिदिन 8–10 पोस्ट करती है, जो अन्य इकाइयों को पीछे छोड़ती है। इसकी निरंतरता एक सुसंगत कथानक सुनिश्चित करती है।

मलयालम पॉप संस्कृति, मीम्स और हास्य का उपयोग केरल को अलग करता है, जिससे इसकी सामग्री वायरल और प्रासंगिक बनती है। अन्य इकाइयां सूखी, नीति-केंद्रित पोस्ट्स पर निर्भर करती हैं। कांग्रेस केरल की पोस्ट्स केंद्र और एलडीएफ की शासन विफलताओं पर निरंतर निशाना साधती हैं, डेटा और हास्य का उपयोग कर जवाबदेही की मांग करती हैं। अन्य इकाइयां अक्सर बचाव और हमले के बीच अपना ध्यान बांटती हैं, जिससे प्रभाव कमजोर पड़ता है।

केरल कांग्रेस की पोस्ट्स विशेष रूप से आक्रामक हैं, लेकिन CAG रिपोर्ट्स, PLFS डेटा या सरकारी बयानों जैसे तथ्यों पर आधारित हैं, जिससे उनकी आलोचनाओं को खारिज करना मुश्किल हो जाता है। यह अन्य राज्यों में अक्सर देखे जाने वाले भावनात्मक या अलंकारिक हमलों के विपरीत है।

मलयालम फिल्म मीम्स और डायलॉग्स का उपयोग एक सांस्कृतिक तीक्ष्णता जोड़ता है, जिससे पोस्ट्स प्रासंगिक और साझा करने योग्य बनती हैं। यह दृष्टिकोण विशेष रूप से युवा दर्शकों के बीच उनकी पहुंच को बढ़ाता है।

एक्स पर, केरल कांग्रेस राष्ट्रीय अपील के लिए अंग्रेजी भाषा की पोस्ट्स पर ध्यान केंद्रित करती है, जबकि इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप मलयालम भाषी युवाओं के लिए दृश्य सामग्री प्रदान करते हैं।

भले ही इसके केवल 1 लाख 42 हजार फॉलोअर्स हैं लेकिन केरल कांग्रेस के पोस्ट्स पर औसतन 1,000–2,000 लाइक्स और सैकड़ों रीपोस्ट्स प्राप्त होते हैं जो राष्ट्रीय INC हैंडल (@INCIndia) के साथ प्रतिस्पर्धा करती हैं, जबकि INC के 1 करोड़ से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।

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