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MP महू में शुरू हुआ तीन दिवसीय बाबा साहब जन्मोत्सव कार्यक्रम, लाखों अनुयायी पहुचेंगे महू

भोपाल। भारत रत्न और संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली महू (डॉ. आंबेडकर नगर) आज से तीन दिवसीय आयोजन का केंद्र बन गई है। 12 अप्रैल से 14 अप्रैल तक चलने वाले इस आयोजन में देशभर से लाखों की संख्या में बाबा साहब के अनुयायी, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र और संविधान प्रेमी महू पहुंचना शुरू हो गए हैं। इस दौरान न केवल श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी, बल्कि कई विचारगोष्ठियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सेमिनारों का आयोजन भी किया जा रहा है।

आज सुबह कार्यक्रम की शुरुआत बाबा साहब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। इसके बाद संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन हुआ। श्रद्धालु ‘जय भीम’ और ‘हम भारत के लोग हैं’ जैसे नारों के साथ पूरे वातावरण को संविधानमय बना रहे हैं।

दलित इतिहास महीने में महू का विशेष महत्व

अप्रैल माह को पूरे देश में दलित इतिहास महीने (Dalit History Month) के रूप में मनाया जाता है, और महू इस महीने में विशेष केंद्र बन जाता है। डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू में हुआ था। यहाँ प्रतिवर्ष यह स्थान सामाजिक न्याय और समता के विचारों को आत्मसात करने के लिए लाखों लोगों को आकर्षित करता है।

ठहरने और भोजन की समुचित व्यवस्था

डॉ. अंबेडकर जन्म स्थल मेमोरियल, महू इंदौर के प्रबंध सदस्य एवं मीडिया प्रभारी राजीव कुमार अंभोरे ने द मूकनायक से बात करते हुए बताया, “ आज से तीन दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है। हर साल की तरह इस बार भी 12 से 14 अप्रैल तक आने वाले सभी अनुयायियों के ठहरने, भोजन और सुरक्षा की समुचित व्यवस्था की गई है। कोई भी श्रद्धालु बिना सुविधा के नहीं रहेगा।”

सम्मान समारोह और विचार गोष्ठियाँ होंगी आयोजित

राजीव अंभोरे ने जानकारी दी कि 14 अप्रैल को डॉ. अंबेडकर की जयंती पर समाज में विशेष योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया जाएगा। इस सम्मान समारोह का उद्देश्य बाबा साहब की विचारधारा को आगे बढ़ाना और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने वालों को प्रोत्साहित करना है।

वहीं, तीन दिनों तक संविधान, सामाजिक न्याय, दलित अधिकारों और शिक्षा पर आधारित सेमिनार, परिचर्चा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है। देशभर से विद्वान, प्रोफेसर, सामाजिक कार्यकर्ता और छात्र इन कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं।

युवाओं पर विशेष फोकस

कार्यक्रम के दौरान युवाओं को संविधान और सामाजिक न्याय से जोड़ने की खास पहल की जा रही है। विभिन्न संस्थाएं संविधान आधारित कार्यशालाओं और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के ज़रिए युवाओं में जागरूकता फैला रही हैं।

महाराष्ट्र से आए अमेश मेश्राम जो एक छात्र है उन्होंने द मूकनायक से कहा, “यह स्थान केवल अंबेडकर का जन्मस्थल नहीं, बल्कि हमारी आत्मा का केंद्र है। हर बार यहां हजारों लोग बाबा साहब के जन्मदिन पर आते हैं, मैं पहली बार आया हूँ। यहां आकर लगता है जैसे बाबा साहब से सीधे जुड़ गए हूं।”

सामाजिक संगठनों की भागीदारी

महू अब केवल एक श्रद्धा स्थल नहीं, बल्कि दलित चेतना और राजनीति का प्रतीक स्थल बन चुका है। यहां विभिन्न अंबेडकरवादी संगठन, सामाजिक आंदोलन से जुड़े समूह, और राजनीतिक दल भी भाग लेते हैं और सामाजिक न्याय की दिशा में अपने विचार प्रस्तुत करते हैं।

बुनियादी सुविधाओं की माँग भी उठी

भले ही महू में हर वर्ष लाखों लोग जुटते हों, लेकिन अब भी यहाँ संग्रहालय निर्माण, स्थायी अतिथि निवास, बेहतर यातायात और स्वास्थ्य सुविधा जैसे मुद्दे लंबित हैं। सामाजिक संगठनों ने इस दौरान सरकार से मांग की है कि बाबा साहब के नाम पर घोषित योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन हो और महू को एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रेरणा केंद्र बनाया जाए।

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