मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को ठाणे के एक निवासी की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिस पर आरोप है कि वह बांग्लादेशी नागरिक है और अवैध तरीके से भारत में प्रवेश कर यहां रह रहा है। आरोपी बाबू अब्दुल रूफ सरदार वर्ष 2013 से ठाणे में रह रहा है और दावा करता है कि उसके पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी और भारतीय पासपोर्ट है। ये सभी दस्तावेज आयकर रिकॉर्ड, बैंक खातों, बिजली-पानी कनेक्शन और व्यापार पंजीकरण से जुड़े हुए हैं।
जस्टिस अमित बोर्कर ने कहा कि केवल आधार, पैन या वोटर आईडी जैसे दस्तावेज होने से कोई व्यक्ति भारतीय नागरिक नहीं बन जाता। उन्होंने टिप्पणी की, “ये दस्तावेज पहचान या सेवाएं प्राप्त करने के लिए होते हैं, लेकिन नागरिकता अधिनियम, 1955 में तय की गई मूल कानूनी शर्तों को नहीं बदल सकते।”
अभियोजन पक्ष के अनुसार, सरदार ने कथित तौर पर अवैध रूप से भारत में प्रवेश किया और फर्जी भारतीय पहचान पत्रों का इस्तेमाल किया। पुलिस की फॉरेंसिक जांच में उसके मोबाइल फोन से उसके और उसकी मां के बांग्लादेश में जारी जन्म प्रमाणपत्रों की डिजिटल प्रतियां बरामद हुईं। पुलिस ने यह भी दावा किया कि वह बांग्लादेश से जुड़े कई फोन नंबरों के साथ लगातार संपर्क में था।
उसके आधार कार्ड की सत्यापन रिपोर्ट यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) से अभी आना बाकी है।
जस्टिस बोर्कर ने कहा कि यह मामला केवल आव्रजन कानून के तकनीकी उल्लंघन का नहीं है, बल्कि “पहचान छिपाने और फर्जी दस्तावेज तैयार कर भारतीय नागरिकता के लाभ उठाने का जानबूझकर किया गया प्रयास” है।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि नागरिकता अधिनियम भारतीय नागरिकता प्राप्त करने और खोने के लिए स्थायी ढांचा प्रदान करता है, और इसका पालन सख्ती से होना चाहिए।