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जाति आधारित जनगणना और EVM धांधली के खिलाफ 30 अक्टूबर को भारत बंद

नई दिल्ली- भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के अध्यक्ष चौधरी विकास पटेल ने 30 अक्टूबर को भारत बंद का आह्वान किया है।

बहुजन लीडर्स ने कहा कि यह बंद जाति आधारित जनगणना न कराने, संख्या के अनुपात में हिस्सेदारी न देने, और EVM से हो रही धांधली के विरोध में किया जा रहा है। इन मुद्दों पर चरणबद्ध आंदोलन की शुरुआत हो चुकी है, जिसका उद्देश्य देश में लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करना है।

वामन मेश्राम ने सोशल मीडिया पर जारी बयान में कहा, "हमने जुलाई महीने में EVM के विरोध में भारत_बंद करने की घोषणा की थी। अब 30 अक्टूबर को हम इस घोषणा पर अमल करेंगे। देश के लोकतंत्र, संविधान और राष्ट्र को बचाने के लिए इस आंदोलन में हर नागरिक की सहभागिता जरूरी है।"

यह आंदोलन विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों द्वारा समर्थित है। ओबीसी, एससी और एसटी वर्गों की बढ़ती मांगों को देखते हुए यह आंदोलन धीरे-धीरे राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा रूप लेता जा रहा है। आंदोलन के नेताओं ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अपने संघर्ष को जारी रखेंगे और आने वाले समय में और भी बड़े कदम उठाने की योजना बना रहे हैं।

आंदोलन के मुख्य मुद्दे

  1. जाति आधारित जनगणना की मांग


    केन्द्र सरकार से राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की जा रही है। आंदोलनकारियों का कहना है कि देश में जातियों की वास्तविक संख्या के आधार पर ओबीसी, एससी और एसटी को सभी क्षेत्रों में हिस्सेदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। साथ ही, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का बढ़ा हुआ अनुपात देखते हुए उनके आरक्षण को भी बढ़ाने की मांग उठाई गई है।

  2. EWS आरक्षण के बाद 50% आरक्षण सीमा समाप्त


    EWS आरक्षण लागू होने के बाद 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा समाप्त हो चुकी है। इसलिए, जब तक जाति आधारित जनगणना नहीं होती, तब तक मंडल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक ओबीसी के लिए 52 प्रतिशत आरक्षण लागू किया जाना चाहिए।

  3. EVM धांधली का विरोध और बैलेट पेपर की मांग


    चुनावों में हो रही धांधली को लेकर EVM के विरोध में भी आंदोलन किया जा रहा है। आंदोलनकारियों का कहना है कि बैलेट पेपर को वापस लाकर लोकतंत्र की सुरक्षा की जानी चाहिए।

  4. ओबीसी से क्रीमीलेयर हटाने की मांग


    ओबीसी वर्ग से असंवैधानिक रूप से लगाए गए क्रीमीलेयर को हटाने की मांग की गई है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी और एसटी वर्ग पर क्रीमीलेयर लगाने के फैसले को भी वापस लिया जाना चाहिए।

  5. ओबीसी, एससी और एसटी के विकास के लिए बजट की कमी


    केन्द्र सरकार द्वारा ओबीसी के विकास के लिए पर्याप्त बजट न देने और एससी, एसटी के विकास के लिए भी अपर्याप्त बजट की शिकायत की गई है। आंदोलनकारियों का कहना है कि इन वर्गों के विकास के लिए उचित बजट आवंटन होना चाहिए।

  6. बिहार आरक्षण विवाद


    बिहार में जाति आधारित जनगणना के बाद ओबीसी, एससी, एसटी के बढ़े हुए आरक्षण पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा है। आंदोलनकारियों का कहना है कि बिहार के आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालकर इस मुद्दे को सुलझाया जाना चाहिए।

  7. मंडल आयोग की सिफारिशों का क्रियान्वयन


    कई राज्यों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण भी लागू नहीं है। इसको लेकर मांग उठाई गई है कि मंडल आयोग की सिफारिशों के मुताबिक सभी राज्यों में ओबीसी की संख्या के आधार पर आरक्षण सुनिश्चित किया जाए।

  8. रिजर्वेशन इम्पलीमेंटेशन एक्ट


    एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों के आरक्षण में हो रही धोखाधड़ी को रोकने के लिए रिजर्वेशन इम्पलीमेंटेशन एक्ट बनाया जाए। इस एक्ट के तहत इन वर्गों के लिए आरक्षण की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।

  9. निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करने की मांग


    आंदोलनकारियों का कहना है कि सरकारी क्षेत्रों के साथ-साथ निजी क्षेत्रों में भी आरक्षण लागू किया जाए, ताकि समाज के हाशिये पर मौजूद वर्गों को हर क्षेत्र में बराबरी का अवसर मिले।

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