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SC–ST केसों में सजा दर कम! जातिगत अत्याचार रोकने के लिए BANAE की राहुल गांधी से अपील — कांग्रेस शासित राज्यों में तो ठोस कार्रवाई कीजिये!

मुंबई- कर्नाटक में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के खिलाफ अत्याचारों के मामलों में सजा दर 2024 में 1% से भी कम रही, जो देश में सबसे कम है। इस चिंताजनक स्थिति को लेकर बाबासाहेब अंबेडकर नेशनल एसोसिएशन ऑफ इंजीनियर्स (BANAE) ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।

BANAE के राष्ट्रीय अध्यक्ष नागसेन सोनारे ने अपने पत्र में कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2 जुलाई 2024 को एक परामर्श जारी किया था, जिसमें एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 और नागरिक अधिकार संरक्षण (पीसीआर) अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए विशेष अदालतें, विशेष पुलिस स्टेशन, पुलिस और जजों के लिए विशेष प्रशिक्षण, अत्याचारों के प्रत्येक मामले में साक्ष्य संग्रह, 60 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करने, पीड़ितों और गवाहों को पुलिस सुरक्षा, तत्काल राहत और पुनर्वास, पीसीआर और पीओए अधिनियम के बारे में जन जागरूकता, भारतीय संविधान और कानून के शासन पर प्रशिक्षण जैसे निर्देश दिए गए थे। यह परामर्श 21 नवंबर 2023 को हुई 27वीं राष्ट्रीय समीक्षा बैठक के आधार पर सभी राज्यों के मुख्य सचिवों, गृह सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को 3 जुलाई 2024 को भेजा गया था।

हालांकि, सोनारे ने पत्र में लिखा कि कर्नाटक सहित अधिकांश राज्य सरकारों में इन अधिनियमों को लागू करने की राजनीतिक और प्रशासनिक इच्छाशक्ति का अभाव है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2012 से 2024 तक कर्नाटक में सजा दर मात्र 2.47% रही है। हाल ही में एक समाचार पत्र की रिपोर्ट में 2024 में सजा दर 1% से भी कम होने की बात सामने आई है।

सोनारे ने राहुल गांधी से अनुरोध किया है कि वे कर्नाटक के गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक और सामाजिक कल्याण निदेशालय (डीसीआरई) को गृह मंत्रालय के परामर्श और 2011 से जारी अन्य परामर्शों को पूरी तरह लागू करने के लिए निर्देश दें। इससे सजा दर में वृद्धि होगी और एससी-एसटी समुदाय की गरिमा, जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा होगी।

सोनारे ने यह भी सुझाव दिया कि पीओए और पीसीआर अधिनियम के कार्यान्वयन में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि सामाजिक कल्याण मंत्री द्वारा आईएएस, आईपीएस और राज्य सेवा अधिकारियों के वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन (एसीआर) में एक विशेष कॉलम जोड़ा जाए, जिसमें उनके द्वारा इन अधिनियमों के कार्यान्वयन में प्रदर्शन का मूल्यांकन हो। इससे अधिकारियों पर इन अधिनियमों को गंभीरता से लागू करने का दबाव बढ़ेगा।

पत्र में कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश जैसे कांग्रेस शासित राज्यों में तत्काल और प्रभावी कार्रवाई की उम्मीद जताई गई है। सोनारे ने कहा, "हम चाहते हैं कि इन राज्यों में एससी-एसटी समुदाय के खिलाफ अत्याचारों को रोकने और दोषियों को सजा दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।"

वरिष्ठ पत्रकार और दलित नेता इंदुधारा होन्नापुरा ने हाल ही में कर्नाटक में विशेष पुलिस स्टेशनों की स्थापना के फैसले का स्वागत किया, लेकिन चेतावनी दी कि इन स्टेशनों को प्रभावी ढंग से काम करना होगा। उन्होंने कहा, "इन स्टेशनों को पर्याप्त बुनियादी ढांचा और धन उपलब्ध कराया जाए। इनमें सामाजिक प्रतिबद्धता वाले अधिकारियों की नियुक्ति हो, न कि इसे दंडात्मक तबादलों का स्थान बनाया जाए। यह कदम तभी सार्थक होगा जब इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा।"

बानाए ने अपने पत्र के साथ गृह मंत्रालय के परामर्श और समाचार पत्र की रिपोर्ट की प्रतियां भी संलग्न की हैं। संगठन ने राहुल गांधी से इस मामले में त्वरित कार्रवाई करने और एससी-एसटी समुदाय के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।

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